US-Israel Relation: राष्ट्रपति बाइडेन के बयान से अमेरिका-इजरायल के रिश्ते में आई दरार, यह है वजह
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बयान ने दुनिया के सबसे अहम रणनीतिक रिश्ते को हिलाकर रख दिया। उन्होंने कहा कि अगर इजरायल ने रफाह में हमले की योजना पर अमल किया तो मैं हथियारों की आपूर्ति नहीं करूंगा। हथियार अमेरिका और इजरायल की जुगलबंदी का आधार रहे हैं। मगर चार दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है जब उनके रिश्ते में एक दरार नजर आ रही है। बाइडेन पर अपने देश के अंदर से और बाहर से दुनिया का भी दबाव था कि वे गाजा में बिगड़ते जा रहे मानवीय संकट और लगातार जा रही आम लोगों की जान बचाने में मदद करें। आखिरकार उन्होंने संयम तोड़ते हुए पूरे मध्य पूर्व में अपने सबसे करीबी रणनीतिक सहयोगी इजरायल को भेजी जा रही हथियारों की खेप रोक दी।
जंग की शुरुआत से ही बाइडेन दो अलग-अलग विचारों के बीच फंसे
इससे पहले 1980 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के दौर में ऐसा हुआ था। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ और मध्य पूर्व में शांति के लिए वार्ताकार की भूमिका निभाते रहे आरोन डेविड मिलर कहते हैं कि गाजा में जंग की शुरुआत से ही बाइडेन दो अलग-अलग विचारों के बीच फंसे हुए हैं। एक ओर तो रिपब्लिकन पार्टी है जो खुलकर इजरायल का समर्थन करती है, दूसरी ओर उनकी अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी है, जिसमें इस मामले पर अलग-अलग राय है।
अमेरिका ने कई बार आग्रह किया
मिलर कहते हैं कि अभी तक बाइडेन ऐसा कुछ करने से बच रहे थे, जिससे अमेरिका-इजरायल संबंधों को नुकसान पहुंचे। मगर अमेरिकी राष्ट्रपति के विचार तब बदल गए, जब इजरायल रफाह में घुसकर कार्रवाई करने वाला था। अमेरिका ने कई बार उनसे आग्रह किया था कि ऐसा न करें और इससे बेहतर होगा कि हमास के खिलाफ सीमित और सटीक आपरेशन को अंजाम दें। मिलर कहते हैं कि बाइडेन को आशंका है कि रफाह में इजरायली कार्रवाई के कारण जंग को खत्म करने और बंधकों को रिहा करने की संभावनाएं कम हो जाएंगी।
कई साल तक अमेरिका में प्रशासनिक सलाहकार के तौर पर भी काम कर चुके मिलर का कहना है कि बाइडेन यह भी चाहते हैं कि इजरायल के पड़ोसी देश मिस्र के साथ किसी तरह का तनाव पैदा ना हो। खतरा ये भी है कि अगर रफाह में कार्रवाई की गई तो डेमोक्रैटिक पार्टी के अंदर भी चिंता और विभाजन पैदा होगा। ऐसे में मिलर का मानना है कि बाइडेन ने हथियारों की खेप रोककर एक संकेत भेजा है।
बमों की खेप रोकी
बाइडेन के बयान के बाद अमेरिका ने इजरायल को भेजी जाने वाली कई हजार किलो बमों की खेप रोक दी थी। इनमें कुछ बम 900 किलो के हैं और कुछ 225 किलो के। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चिंता ये थी कि इन भारी बमों का इस्तेमाल अगर घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में किया गया तो गंभीर नुकसान हो सकता है और ऐसा गाजा के कई हिस्सों में देखा भी जा चुका है। 900 किलो वजनी बम इजरायल के पास मौजूद सबसे घातक हथियारों में से एक हैं। उसकी सेना कहती है कि हमास को मिटाने के लिए इन बमों का इस्तेमाल जरूरी है।
इसके अलावा, अमेरिका इस बारे में भी विचार कर रहा है कि जाइंट डायरेक्ट अटैक म्यूनिशंस (जेडीएएम) किट भेजने पर भी रोक लगाई जाए या नहीं। ये किट सामान्य बमों को गाइडेड बमों में बदल देती है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक रपट जारी की, जिसमें कहा गया कि हो सकता है इजरायल ने गाजा में जारी जंग के दौरान अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए कुछ मौकों पर अमेरिका की ओर से दिए गए बमों का इस्तेमाल किया हो। मगर रपट में कहा गया है कि उनके पास इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है।
बाइडेन के कदम का असर
भले ही वाकई ऐसा हो या न हो, बाइडेन के कदम का राजनीतिक असर तो हुआ ही है। अमेरिकी सीनेट के हाल में कई रिपब्लिकन काफी नाराज दिखे। अमेरिकी सीनेटर पीट रिकेट्स ने विदेश मामलों की समिति की बैठक के बाद कहा, हथियार रोकना चौंकाने वाला कदम है। राष्ट्रपति को ये नहीं करना चाहिए था। एक अन्य रिपल्बिकन सीनेटर जान बैरासो ने कहा कि इजरायल को अपने संप्रुभता की रक्षा करने का अधिकार है। उनका कहना था कि बाइडेन के इस कदम ने उनकी कमजोरी को सामने लाकर रख दिया है, लेकिन बाइडेन की अपनी पार्टी में इस कदम का स्वागत किया जा रहा है।