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चीन से पाकिस्तानी आर्मी को भेजे गये घातक हथियार आतंकियों के पास मिले, भारत में घुसपैठिये कर रहे इस्तेमाल

चीन की कंपनियों द्वारा पाकिस्तानी सेना के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए इन विशेष हैंडसेटों को पिछले वर्ष 17-18 जुलाई की मध्य रात्रि को जम्मू क्षेत्र के पुंछ जिले के सुरनकोट के सिंदराह टाप क्षेत्र में हुई मुठभेड़ के बाद तथा इस वर्ष 26 अप्रैल को उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर के चेक मोहल्ला नौपोरा क्षेत्र में हुई मुठभेड़ के बाद जब्त किया गया था।
Written by: जनसत्ता | Edited By: संजय दुबे
नई दिल्ली | Updated: June 24, 2024 14:10 IST
चीन से पाकिस्तानी आर्मी को भेजे गये घातक हथियार आतंकियों के पास मिले  भारत में घुसपैठिये कर रहे इस्तेमाल
पाकिस्तानी सेना आतंकियों को ये हथियार मुहैया कराकर भारत में घुसपैठ कराती है। (फाइल फोटो)
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जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ों में अत्यधिक उन्नत चीनी दूरसंचार उपकरण ‘अल्ट्रा सेट’ जब्त किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तानी सेना द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण आतंकवादी समूहों के हाथों में पहुंच गया है। अधिकारियों के अनुसार, इससे नियंत्रण रेखा के पास से होने वाली घुसपैठ और शहरों तथा गांवों के बाहरी इलाकों में आतंकवादियों के संभावित रूप से रहने की चिंता भी पैदा हो गई है। मुख्य रूप से पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर से आने वाले विदेशी आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ मोबाइल हैंडसेट की जब्ती से संकेत मिलता है कि आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान में सरकारी तंत्र द्वारा प्रायोजित प्रशिक्षण, हथियार और गोला-बारूद मिल रहा है।

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‘अल्ट्रा सेट’ हैंडसेट पीर पंजाल क्षेत्र के दक्षिण में भी पाए गए हैं

चीन की कंपनियों द्वारा पाकिस्तानी सेना के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए इन विशेष हैंडसेटों को पिछले वर्ष 17-18 जुलाई की मध्य रात्रि को जम्मू क्षेत्र के पुंछ जिले के सुरनकोट के सिंदराह टाप क्षेत्र में हुई मुठभेड़ के बाद तथा इस वर्ष 26 अप्रैल को उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर के चेक मोहल्ला नौपोरा क्षेत्र में हुई मुठभेड़ के बाद जब्त किया गया था। सुरनकोट मुठभेड़ में चार विदेशी आतंकवादी मारे गए, जबकि सोपोर में दो को मार गिराया गया। ‘अल्ट्रा सेट’ हैंडसेट पीर पंजाल क्षेत्र के दक्षिण में भी पाए गए हैं।

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‘अल्ट्रा सेट’ सेल-फोन क्षमताओं को विशेष रेडियो उपकरणों के साथ जोड़ते हैं, जो ग्लोबल सिस्टम फार मोबाइल (जीएसएम) या कोड-डिवीजन मल्टीपल एक्सेस (सीडीएमए) जैसी पारंपरिक मोबाइल प्रौद्योगिकियों पर निर्भर नहीं होते हैं। अधिकारियों ने बताया कि यह उपकरण संदेश प्रेषण और प्राप्ति के लिए रेडियो तरंगों पर काम करता है, तथा प्रत्येक ‘अल्ट्रा सेट’ सीमा पार स्थित नियंत्रण स्टेशन से जुड़ा होता है।

उन्होंने यह भी बताया कि दोनों ‘अल्ट्रा सेट’ एक-दूसरे तक नहीं पहुंच सकते। उन्होंने कहा कि इन संदेशों को हैंडसेट से पाकिस्तान स्थित मास्टर सर्वर तक पहुंचाने के लिए चीनी उपग्रहों का उपयोग किया जाता है, संदेशों को बाइट्स में संपीड़ित कर भेजा जाता है। यह चीन द्वारा अपने प्रमुख सहयोगी पाकिस्तान को दी जा रही एक और मदद है। चीन काफी समय से नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना की रक्षा क्षमताओं को सक्रिय रूप से बढ़ा रहा है।

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इस सहायता में ‘स्टीलहेड’ बंकरों का निर्माण, मानवरहित हवाई और लड़ाकू हवाईयान की व्यवस्था, एन्क्रिप्टेड संचार टावरों की स्थापना और भूमिगत फाइबर केबल बिछाना शामिल है। इसके अतिरिक्त, लक्ष्य पहचान क्षमताओं में सुधार के लिए ‘जेवाई’ और ‘एचजीआर शृंखला जैसी चीनी रडार प्रणालियों को तैनात किया गया है, जबकि एसएच-15 ट्रक-पर लगे हावित्जर जैसे उन्नत हथियार नियंत्रण रेखा के विभिन्न स्थानों पर देखे गए हैं।

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इन प्रयासों को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में चीन के रणनीतिक हितों को मजबूत करने के रूप में माना जाता है, विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के संबंध में। अग्रिम चौकियों पर जनमुक्ति सेना (पीएलए) के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति का हालांकि पता नहीं चला, लेकिन ‘टैप’ किये गये संदेशों से पता चलता है कि चीनी सैनिक और इंजीनियर नियंत्रण रेखा के पास बुनियादी ढांचे के विकास में शामिल हैं, जिसमें पीओके की लीपा घाटी में भूमिगत बंकरों और सुरंगों का निर्माण भी शामिल है। माना जा रहा है कि इन कार्यों से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और चीन के शिनजियांग प्रांत के बीच काराकोरम राजमार्ग के माध्यम से एक सीधा मार्ग स्थापित करने में मदद मिलेगी।

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