फिर हो गई बेइज्जती! पैसा चुका पाएगा या नहीं, पाकिस्तान के कर्ज मांगने पर IMF भी हो गया हां और न में कन्फ्यूज
Pakistan Economic Crisis: कैश क्रंच, महंगाई, करप्शन और संसाधनों की कमी के चलते भयंकर आर्थिक त्रासदी… ये सारी समस्याएं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की हैं। ऐसे में हाल ही में बनी शहबाज शरीफ की नई सरकार को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में IMF से वह फिर लोन मांग रहा है। इस पर अब IMF ने कहा है कि पाकिस्तान को कर्ज चुकाने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पाकिस्तान IMF से लोन मांग रहा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय संस्था को संदेह है कि क्या पाकिस्तान कर्ज चुका भी पाएगा, या नहीं। पाकिस्तानी मीडिया एजेंसी जियो न्यूज के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान पर जारी अपनी स्टाफ रिपोर्ट में आईएमएफ के हवाले से कहा कि कर्ज चुकाने की पाकिस्तान की क्षमता गंभीर जोखिमों के अधीन है, और यह नीतियों को लागू करने तथा समय पर बाहरी वित्तपोषण पर निर्भर है।
पहले भारी लोन दे चुका है IMF
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में विशेष रूप से सुधारों को अपनाने में देरी, उच्च सार्वजनिक ऋण और सकल वित्त पोषण की जरूरतें और सामाजिक-राजनीतिक कारक – देश में नीति कार्यान्वयन को खतरे में डाल सकते हैं। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को राहत पैकेज के तहत 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की तत्काल मदद की मंजूरी दी थी।
कितना पैसा मांग रहा पाकिस्तान?
जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने आईएमएफ से मिले 3 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की आखिरी किश्त पाई थी। इसके चलते वह डिफाल्ट होने से बचा था। बेलआउट कार्यक्रम पूरा होने के बाद एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश को बचाने के लिए आईएमएफ से गुहार लगाई है।
5 साल तक कितने कर्ज की जरूरत?
ऐसा नहीं है कि एक बार लोन मिलने पर पाकिस्तान की स्थिति सुधर जाएगी। IMF का कहना है कि पाकिस्तान को अगले पांच साल के दौरान 123 अरब डॉलर की फंडिंग की जरूरत होगी। पीटीआई ने अपने सूत्रों के जरिए से बताया कि IMF की सपोर्ट टीम पाकिस्तान के वित्तीय दल के साथ अगले लॉन्ग टर्म लोन प्रोग्राम के बारे में चर्चा करेगी।
शहबाज सरकार ने पाकिस्तान को आर्थिक संकट से निकालने के लिए आईएमएफ से दीर्घकालिक राहत कार्यक्रम की आवश्यता पर जोर दिया है, लेकिन आईएमएफ कन्फ्यूज है कि मुल्क को कर्ज दिया जाए या नहीं, क्योंकि एजेंसी को पाकिस्तान के कर्ज चुकाने की कंडीशनों पर संदेह है।