हमास से युद्ध के बीच इजरायल को ब्राजील ने दिया बड़ा झटका, वापस बुला लिया राजदूत
Israel Hamas War: इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध के बीच आज ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनसियो लूला दा सिल्वा ने राजदूत को इजरायल से वापस बुला लिया है। ब्राजील ने इसको लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया है। लूला गाजा में इजरायल के हमले की लगातार आलोचना करते रहे हैं, जिसकी तुलना उन्होंने इस साल की शुरुआत में उन्होंने नरसंहार से की थी।
इस घटना के कारण इजरायल के विदेश मंत्री इजरायल कैटज ने ब्राजील के राजदूत को जेरूसलम में राष्ट्रीय नरसंहार संग्रहालय में बुलाकर सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई। इस बयान के चलते ब्राजील और इजरायल के बीच टकराव काफी बढ़ गया था।
इजरायल के खिलाफ आक्रामक रहा ब्राजील
इजरायल ने उस दौरान आक्रामक रिएक्शन देते हुए ब्राजील के राष्ट्रपति को "अवांछनीय व्यक्ति" घोषित कर दिया था। इजरायल ने पहले दक्षिण अमेरिकी देश के राजदूत फ्रेडरिक मेयर को यरुशलम में याद वाशेम होलोकॉस्ट स्मारक केंद्र में एक बैठक के लिए बुलाई था, जिसके बारे में ब्राजील के सूत्र ने कहा कि यह (मेयर) के साथ किया गया अपमान था।
इसके जवाब में ब्राजील ने मेयर को परामर्श के लिए वापस बुलाया, और बदले में ब्रासीलिया में इजरायल के प्रतिनिधि को बुलाया।
सूत्र ने कहा कि मेयर के इजरायल में "वापस आने" के लिए शर्तें पूरी नहीं हुई हैं।
इजरायल ने तेज किए राफा में हमले
बता दें कि यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब इजरायल ने फिलीस्तीन के राफा में हमला तेज किया है। इजरायल ने राफा में हमला न करने की अमेरिका द्वारा दी गई चेतावनी तक को नजरंदाज कर दिया। इस मामले में तेल अवीव का आरो है कि हमास के लड़ाके यहां से छुपकर ही इजरायल के खिलाफ बड़े हमलों को अंजाम देते हैं।
जानकारी के मुताबिक इजरायली सैनिकों की ओर से गई बमबारी में 21 लोगों की मौत हो गई है, जिसमें 13 महिलाएं और कई बच्चियां भी शामिल हैं। राफा के इस इलाके में विस्थापित लोग टेंट में रहने को मजबूर हैं, लेकिन अब उसे भी निशाना बनाया जाने लगा है। इन सबसे इतर राफा में इजरायली हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई गई है।
यूरोप में भी मतभेद
फिलिस्तीन को अलग देश का दर्जा देने के मुद्दे पर यूरोप में मतभेद है। यहां स्पेन, आयरलैंड और नॉर्वे ने औपचारिक तौर पर फिलिस्तीन को अलग देश के तौर पर मान्यता देने का ऐलान किया है। वहीं फ्रांस, इटली, जर्मनी जैसे देशों ने अभी तक इस पर आधिकारिक फैसला नहीं किया है।