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ऐसी तीर्थ यात्रा जहां मौत होने पर वहीं दफना देंगे, कई बार अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाता परिवार

हज यात्रा के दौरान अगर किसी की मौत हो जाती है तो शख्स का शव कभी भी उसके मुल्क नहीं भेजा जाता है।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: Sudhanshu Maheshwari
नई दिल्ली | June 21, 2024 20:23 IST
ऐसी तीर्थ यात्रा जहां मौत होने पर वहीं दफना देंगे  कई बार अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाता परिवार
हज यात्रा का जरूरी नियम
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हर मुसलमान का सपना होता है कि उसे एक बार हज यात्रा का मौका मिल जाए। लेकिन सऊदी अरब में स्थित मक्का जाने की प्रक्रिया काफी मुश्किल होती है, कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। बड़ी बात यह है कि सिर्फ सीमित लोगों के लिए हज यात्रा खोली जाती है, हर मुल्ल से सिर्फ कुछ श्रद्धालु ही वहां जा सकते हैं। लेकिन वहां जाने वाले कई श्रद्धालु अपनी जान गंवा बैठते हैं, किसी की कुचलने से मौत होती है, किसी की गर्मी तो किसी की दुर्घटना में।

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आखिर क्यों शव नहीं हो रहे वापस?

अब हैरान कर देने वाली बात यह है कि हज यात्रा के दौरान अगर किसी की मौत हो जाती है तो शख्स का शव कभी भी उसके मुल्क नहीं भेजा जाता है। उसके शव को वही दफना दिया जाता है। बड़ी बात यह है कि परिवार कितना भी बोलता रहे, गुहार लगा लगे, लेकिन उस शव की वतन वापसी संभव नहीं होती है। उस शव को वही दफना दिया जाता है। सऊदी अरब ने तो बकायदा एक नियम बना रखा है जिसमें साफ शब्दों में इस बारे में लिखा हुआ है। नियम में कहा गया है कि हज यात्रा के दौरान अगर मौत होगी तो शव को उसके देश नहीं भेजा जाएगा, सऊदी अरब में ही दफना दिया जाएगा।

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नियम क्या कहता है?

इतना जरूर रहता है कि अगर कोई दूसरा साथी भी साथ में हज यात्रा करने आया हो तो उसे अंतिम दर्शन का मौका मिल सकता है। बाकी किसी भी परिजन को ना शव मिलेगा, ना ही अंतिम दर्शन कोई मौका। बड़ी बात यह है कि अगर सऊदी की सरकार से गुहार भी लगाई जाए, अगर कोई परिवार विनती करे कि उन्हें अपने परिजन का शव चाहिए, उस स्थिति में भी मांग नहीं मानी जाती है। असल में हज करने जो भी आते हैं, उनसे एक आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं, उसमें लिखा होता है कि मौत होने पर शख्स के शव को सऊदी में ही दफना दिया जाएगा।

900 यात्रियों की मौत

अब इस नियम को लेकर समाज में एक बहस छिड़ी रहती है, आखिर कोई कैसे किसी को अपने परिजन के शव वापस लेने से रोक सकता है, आखिर क्यों कोई अपने रिश्तेदार का अंतिम दर्शन नहीं कर सकता। यह सवाल कई सालों से उठ रहे हैं, लेकिन सऊदी अरब अपने नियमों को लेकर अडिग है, इनमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। इस साल भी 900 से ज्यादा लोगों की हज यात्रा के दौरान मौत हो चुकी है, कई परिवार चाहते हैं कि उनके करीबी के शव की वतन वापसी हो जाए, लेकिन ऐसा होने नहीं वाला है।

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शव की पहचान कैसे होती है?

वैसे सऊदी में हज करने वालों की पहचान करना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है। जो भी यात्रा करने आते हैं, उनके पास एक बैंड रहता है जिसमें उनका नाम, उम्र, राष्ट्रीयता सबकुछ लिखा होता है। ऐसे में अगर किसी श्रद्धालु की मौत भी हो जाती है तो यह पता करना मुश्किल नहीं होता कि वो कौन से देश से आया था।

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