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अब इस अफ्रीकी देश के लिए मददगार बनकर पहुंचा भारत, बाढ़ पीड़ितों के लिए भेजी राहत सामग्री

बाढ़ से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। देश में खाने-पीने की सामग्री की भारी कमी हो गई है। भारत समेत कई देशों ने राहत सामग्री भेजकर सहायता उपलब्ध कराई है।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: संजय दुबे
नई दिल्ली | Updated: May 14, 2024 12:08 IST
गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट से केन्या रवाना होती राहत सामग्री।
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केन्या में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए 40 टन दवाओं, चिकित्सा आपूर्ति और अन्य उपकरणों से युक्त मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) सामग्री की दूसरी खेप मंगलवार को हिंडन हवाई अड्डे गाजियाबाद से राजधानी नैरोबी के लिए रवाना हो गई है। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसको ट्वीट कर बताया। उन्होंने लिखा, "बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए 40 टन दवाओं, चिकित्सा आपूर्ति और अन्य उपकरणों से युक्त एचएडीआर सामग्री की दूसरी किश्त केन्या के लिए रवाना हो रही है। एक ऐतिहासिक साझेदारी और विश्वबंधु के लिए हम खड़े हैं।"

भारत ने 10 मई को भी भेजी थी राहत सामग्री

10 मई को भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र में पहले रिस्पांडर के रूप में केन्या को भोजन, राहत और दवा की आपूर्ति सौंपी। केन्या में भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, "केन्या के साथ एकजुटता के साथ खड़े भारतीय नौसैनिक जहाज सुमेधा ने हिंद महासागर क्षेत्र में बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजन राहत और दवा की आपूर्ति केन्या सरकार को सौंप दी है।"

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बाढ़ से अब तक ढाई लाख लोग विस्थापित हो चुके है

पिछले कई दिनों से केन्या में भारी बारिश की वजह से पूरा देश बाढ़ से त्रस्त है। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक अब तक सैकड़ों लोगों की बाढ़ में मौत हो चुकी है। अब तक ढाई लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। बाढ़ ने पूर्वी अफ्रीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में घरों, सड़कों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया है।

देश में खाने-पीने की सामग्री की भारी कमी हो गई है

बाढ़ से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। देश में खाने-पीने की सामग्री की भारी कमी हो गई है। भारत समेत कई देशों ने राहत सामग्री भेजकर सहायता उपलब्ध कराई है। केन्या में इस तरह की भयानक बाढ़ पहली बार आई है।

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केन्या के लोगों ने बाढ़ से नुकसान के लिए सरकारी उपेक्षा को जिम्मेदार बताया है। हालांकि, अल नीनो जैसी जलवायु घटनाएं और कुछ क्षेत्रों में होने वाली भारी वर्षा भी बड़ा कारण हैं। मथारे क्षेत्र के लोग खराब रखरखाव और अक्सर बाधित जल निकासी प्रणालियों की समस्या को बाढ़ की पहली वजह बता रहे हैं।

ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे बाढ़ ने "कम मजबूत निर्माण, भीड़भाड़ और अपर्याप्त स्वच्छता बुनियादी ढांचे" जैसे कारकों के कारण मथारे जैसे कम आय वाले क्षेत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित किया। केन्या के राष्ट्रपति रुतो की सरकार ने चक्रवात हिदायत से पहले 33 काउंटियों में 178 बांधों और जलाशयों के पास के लोगों को अनिवार्य रूप से खाली करने का आदेश दिया था।

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