कनाडा में प्रवासी नागरिकों के नियमों में बड़ा बदलाव, भारतीय छात्र कर रहे हैं विरोध, लौटना पड़ सकता है अपने देश
कनाडा में भारतीय नागरिकों की बड़ी संख्या रहती है। उसके पीछे वजह ये है कि कनाडा हमेशा से ही प्रवासी नागरीकों का स्वागत करता है। इस समय वहां का सबसे छोटा प्रदेश प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (PEI) बड़ी मात्रा में इमिग्रेशन परमिट में कटौती कर रहा है।
PEI के इस निर्णय का खूब विरोध भी हो रहा है और विरोध भी सबसे ज्यादा बड़ी मात्रा में भारतीय छात्र ही कर रहे हैं। विरोध करने वाले ज्यादातर छात्र कनाडा में रहकर पढ़ाई करते हैं। भारतीय छात्रों की डिमांड है कि उनकी परमिट कुछ समय के लिए बढ़ा दी जाए। लेकिन वहां के स्थानीय लोग इसके खिलाफ हैं। वहां के लोगों को कहना है कि ये नियम सरकार द्वारा बहुत पहले ही लागू होना चाहिए था। क्योंकि बाहर से आने वाले प्रवासी नागरिकों की वजह से ही उनको रोजगार के अवसर कम मिलते हैं।
कनाडा के एक प्रांत प्रिंस एडवर्ड आइलैंड ने बड़ी संख्या में अन्य देशों से आने वाले प्रवासी नागरिकों को देखते हुए कुछ नियम में बदलाव किए हैं। राज्य के नियम बदलने का असर बड़ी मात्रा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर पड़ रहा है। इस नियम की वजह भारतीय छात्र भी निर्वासन का सामना कर रहे हैं। आपको बता दें कि (PEI) ने अपने अप्रवासन परमिट में 25 प्रतिशत की कटौती कर दी है। इसके पीछे की मुख्य वजह आवास, स्वास्थ्य और नौकरियों से जुड़े हुए हैं।
राज्य के लोगों को हैं अप्रवासीयों से आपत्ति
कनाडा जैसे देश के लिए इस तरह के निर्णय अन्य देश के लोगों को अश्चर्य कर रहे हैं। इसका सीधा असर भारतीय नागरिकों पर पड़ रहा है। कनाडा के नागरिकों ने इसको लेकर अपनी प्रतिक्रिया भी दी है। उनका कहना है कि यह आने वाले छात्र और युवा धीरे-धीरे कनाडा के स्थाई निवासी हो जाते हैं। वहीं अप्रवासीय नागरिकों पर यह भी आरोप है कि वो यहां आकर आवास बना लेते हैं। कनाड़ा में लोगों की आबादी तो बढ़ रही है लेकिन आवास स्थिर है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहले किराया पर रहने वाला की संख्या .08 प्रतिशत से बढ़कर 1.0 हो गई है। जो केवल .2 प्रतिशत है।
लौटना पड़ सकता है अपने देश
प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (PEI) के इस नए नियम का विरोध हो रहा है। अगर वहां की सरकार अपने इस निर्णय पर बरकरार रहती है तो भारतीय या अन्य देशों के नागरिकों को अपने देश वापस लौटना भी पड़ सकता है।