Zika Virus: जीका वायरस से Pregnant Women को ज्यादा खतरा, जानिए इस वायरस का कारण, लक्षण और बचाव का तरीका
महाराष्ट्र के पुणे जिले में जीका वायरस के 6 मामले सामने आ चुके हैं जिसमें दो प्रेग्नेंट महिलाएं भी शामिल हैं। इन वायरस का सबसे ज्यादा खतरा प्रेग्नेंट महिलाओं को है। हालांकि ये वायरस नया नहीं है बल्कि 77-78 साल पुराना है। इस वायरस की पहचान सबसे पहले 1947 में युगांडा में हुई थी। ये वायरस संक्रामित एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है, जो अधिकतर दिन में काटता हैं। मच्छर की यही प्रजाति डेंगू और चिकनगुनिया जैसा संक्रमण फैलाती हैं। WHO के मुताबिक जीका वायरस के ज्यादातर लोगों में लक्षण कम ही दिखते हैं।
इस वायरस के जो लक्षण लोगों में दिखते हैं उसमें आमतौर पर स्किन पर चकत्ते, बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सेहत में खराबी होना और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण 2-7 दिनों तक बने रहते हैं। इस वायरस का खतरा उन लोगों को ज्यादा रहता है जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं की इम्युनिटी कमजोर होने लगती है और उन्हें इस वायरस का खतरा भी ज्यादा रहता है। आइए जानते हैं कि जीका वायरस का खतरा प्रेग्नेंसी में क्यों ज्यादा होता है और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है।
जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है। इस बीमारी के लक्षण आसानी से नहीं दिखते। हर 5 में से एक मरीज में इस वायरस के कोई लक्षण नहीं दिखते है। संक्रमित इंसान में इस वायरस के अगर कोई लक्षण दिखते हैं वो 2-14 दिनों के बीच में दिखाई देते हैं। इस वायरस की चपेट में आने के बाद मरीज को बुखार आता है, जोड़ों में बहुत तेज दर्द होता है,स्किन पर रैशेज आते हैं, आंखें लाल सुर्ख हो जाती है और दर्द करती है, मरीज थकान और कमजोरी महसूस करता है। कई मामलों में मरीज घबराहट महसूस करता है और उसे पेट दर्द की भी शिकायत होती है।
जीका वायरस प्रेग्नेंट महिलाओं को कैसे करता है प्रभावित
WHO के मुताबिक इस वायरस का खतरा प्रेग्नेंट महिलाओं को ज्यादा रहता है। इस वायरस की वजह से शिशुओं में माइक्रोसेफली और अन्य जन्मजात विकृतियां पैदा हो सकती हैं। प्रेग्नेंसी में इस वायरस की चपेट में आने से बच्चे का समय से पहले जन्म हो सकता है और गर्भपात का खतरा भी बढ़ सकता है। साल 2017 के बाद दुनिया भर में जीका वायरस के मामलों में कमी आई है, लेकिन फिर भी अमेरिका और कई देशों में इस संक्रमण का असर अभी भी बना हुआ है।
प्रेग्नेंसी के दौरान जीका वायरस का संक्रमण शिशु में माइक्रोसेफली और कई जन्मजात विकृतियां पैदा कर सकता है जैसे अंगों का संकुचन होना, आंखों में असमानता पैदा होना, सुनने की क्षमता प्रभावित होना,मांसपेशियों में अधिक टोन होने जैसे दिक्कतें हो सकती हैं। इन सभी परेशानियों को जन्मजात जीका सिंड्रोम कहा जाता है।
WHO के मुताबिक जीका वायरस से संक्रमित महिलाओं से पैदा होने वाले 5-15% बच्चों में जीका वायरस से संबंधित कॉम्प्लिकेशन के सबूत मिले हैं। गर्भावस्था में जीका संक्रमण से संक्रमित महिला के भ्रूण को नुकसान पहुंच सकता है। बच्चा मरा हुआ पैदा हो सकता है या समय से पहले उसका जन्म हो सकता है। जीका वायरस संक्रमण से गुइलेन-बैरे सिंड्रोम, न्यूरोपैथी और माइलाइटिस भी हो सकता है खासकर वयस्कों और बड़े बच्चों में ये परेशानी हो सकती है।
जीका वायरस से बचाव कैसे करें
- प्रेग्नेंट महिलाएं जीका प्रभावित देशों या इलाकों की यात्रा करने से बचें।
- संक्रमित इलाके से लौटने के बाद महिलाएं शारीरिक संबंध थोड़ा सोच समझकर बनाएं। ओरल, एनल और वेजाइनल संबंध बनाने से परहेज करें।
- प्रेग्नेंट महिलाएं मच्छरों से बचाव करें। पूरी बाहों के कपड़े पहने। बॉडी को कवर करें।
- पानी का ज्यादा सेवन करें।
- विटामिन सी से भरपूर फूड्स का सेवन करें।