World Thyroid Day 2024: प्रेग्नेंसी में खतरनाक होगा थायराइड का बढ़ना, बच्चे के लिए है घातक, जानें कौन से Thyroid Test कराना है जरूरी
Thyroid Test During Pregnancy: मां बनना हर एक महिला का सपना होगा। मां बनना जितना अधिक सुखद होता है, उतना ही ज्यादा कठिनाइयों से भरा होता है, क्योंकि मां बनके समय उसे कई तरह के खतरनाक दर्द से भी गुजरना पड़ता है। प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं के शरीर, हार्मोन में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते है। ऐसे में कई महिलाओं को थायराइड की समस्या भी हो सकती है। वहीं कई ऐसी महिलाएं भी जिन्हें पहले से ही थायराइड की समस्या होती है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के समय मां और होने वाले बच्चे का खास ख्याल रखने की जरूर होती है, क्योंकि मां के स्वास्थ्य के अलावा थायराइड हार्मोन भ्रूण के विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान थायराइड ग्रंथि की क्रिया में शिथिलता होने से, जिसमें हाइपोथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म शामिल है। ये मां और बच्चे दोनों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि इस रोग के बारे में पूरी तरह से सतर्क रहें। थायराइड के बारे में प्रेग्नेंसी के समय सटीक जानकारी के लिए कुछ टेस्ट कराना लाभकारी हो सकता है। आइए न्यूबर्ग अजय शाह लॅबोरेटरी के प्रबंध निदेशक डॉ. अजय शाह से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी के समय थायराइड से संबंधित कौन से टेस्ट कराना चाहिए। इसके साथ ही जानें आखिर ये टेस्ट क्यों कराना है जरूरी?
हर साल 25 मई को मनाते हैं विश्व थायराइड दिवस (World Thyroid Day 2024)
आज के समय में खराब लाइफस्टाइल और खानपान के कारण थायराइड एक गंभीर बीमारी बनकर सामने आ चुकती है। पब्लिक हेल्थ अपडेट की एक रिपोर्ट को जानकर आपको हैरानी होगी कि दुनियाभर में 200 मिलियन से ज्यादा लोग इस समस्या का सामना कर रहे हैं। जिसमें महिलाओं की समस्या सबसे अधिक होती है। बता दें कि हर साल 25 मई को विश्व थायराइड दिवस मनाते हैं। इसका उद्देश्य लोगों को इस रोग के प्रति जागरूक करना है। इस साल की थीम की बात करें, तो वो है गैर-संचारी रोग (Non-Communicable Diseases (NCDs)।
प्रेग्नेंसी में जरूर कराएं ये टेस्ट (Thyroid Test During Pregnancy)
थायराइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid Function Test)
थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) परीक्षण: टीएसएच पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा निर्मित होता है और यह थायराइड हार्मोन बनाने के लिए थायरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करता है। गर्भावस्था के दौरान, ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) के प्रभाव के कारण टीएसएच का स्तर स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है, जो कभी-कभी अंतर्निहित थायरॉयड रोग को छुपा सकता है। लेकिन, टीएसएच का अधिक स्तर हाइपोथायरायडिज्म का लक्षण हो सकता है, जबकि इसका कम स्तर हाइपरथायरायडिज्म का संकेत दे सकता है।
फ्री थायरोक्सिन (FT4) परीक्षण (Free Thyroxine Test)
FT4 रक्त प्रवाह में संचरित होने वाले थायराइड हार्मोन का सक्रिय रूप है। FT4 स्तरों को मापने से थायराइड क्रिया का अधिक सटीक आकलन करने में, विशेषकर इसका टीएसएच स्तरों के साथ आकलन करने में मदद मिलती है। कम FT4 स्तर हाइपोथायरायडिज्म का संकेत दे सकता है, जबकि इसका अधिक स्तर हाइपरथायरायडिज्म का संकेत दे सकता है।
टोटल थायरोक्सिन (T4) परीक्षण (Total thyroxine Test)
टोटल T4 में रक्त में थायराइड हार्मोन के बाउंड और अनबाउंड दोनों रूप शामिल होते हैं। जहां टोटल T4 स्तर समग्र थायरॉइड क्रिया की जानकारी दे सकते हैं, वे गर्भावस्था के दौरान बाइंडिंग प्रोटीन में हुए परिवर्तन जैसे कारकों से प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए, थायराइड की स्थिति का आकलन करने के लिए अक्सर FT4 स्तर के मापन को तरजीह दी जाती है।
थायराइड एंटीबॉडी परीक्षण (Thyroid Antibody Test)
थायराइड ऑटोएंटीबॉडी, जैसेकि थायरॉयड पेरोक्सीडेज एंटीबॉडी (टीपीओएबी) और थायरोग्लोबुलिन एंटीबॉडी (टीजीएबी), हाशिमोटो थायरॉयडिटिस और ग्रेव्स रोग जैसे ऑटोइम्यून थायरॉयड विकारों के मार्कर हैं। गर्भावस्था में एंटीबॉडी के ऊंचे स्तर से थायरॉयड क्रिया की शिथिलता और गर्भावस्था से जुड़ी प्रतिकूल घटनाओं, जैसे गर्भपात, समय से पहले शिशु का जन्म और प्रीक्लेम्पसिया का खतरा बढ़ सकता है।
आखिर प्रेग्नेंसी में थायराइड टेस्ट क्यों है जरूरी? (Importance of Thyroid Test During Pregnancy)
मां के स्वास्थ्य को बेहतर करना
गर्भावस्था में थायराइड की शिथिलता विभिन्न प्रतिकूल घटनाओं से जुड़ी होती है, जिसमें गर्भपात, गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप रहना, समय से पहले शिशु का जन्म और बच्चे में तंत्रिका विकास की असामान्यताएं शामिल हैं। थायराइड विकारों की शीघ्र पहचान करने और उनका इलाज करने से इन जोखिमों को रोकने या कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे मां और भ्रूण का स्वास्थ्य ठीक रहता है।
थायराइड दवा की खुराक की निगरानी करना
पहले से थायराइड विकार से ग्रस्त महिलाओं को थायराइड की क्रिया को ठीक रखने के लिए गर्भावस्था के दौरान अपनी थायराइड दवा की खुराक में कमी-वृद्धि करने की जरूरत हो सकती है। थायराइड हार्मोन के स्तर की नियमित निगरानी करने से यह सुनिश्चित हो पाता है कि इस रोग से जुड़ी समस्याओं को रोकने के लिए दवा की खुराक को आवश्यकतानुसार बढ़ाया-घटाया जा सकता है।
गर्भकालीन थायराइड विकारों का पता लगाना
कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान पहली बार थायराइड रोग हो सकता है, जिसे गर्भकालीन थायराइड विकार कहा जाता है। नियमित थायराइड फ़ंक्शन परीक्षण करवाने से इन समस्याओं का शीघ्र पता लगाने और उपचार-प्रबंधन में मदद मिलती है, जिससे मां और भ्रूण के स्वास्थ्य पर संभावित प्रतिकूल प्रभाव कम हो जाते हैं।
डिलीवरी के बाद देखभाल जरूरी
प्रसवोत्तर काल में थायराइड क्रिया का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए, विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए जिनका थायराइड रोग या ऑटोइम्यून थायराइड रोग का इतिहास रहा है। प्रसवोत्तर काल में थायराइड के स्वास्थ्य की निगरानी करने से थायराइड क्रिया में असामान्यताएं पैदा होने पर समय पर उपचार संभव हो पाता है, जिससे प्रसवोत्तर थायरॉयडिटिस और अन्य समस्याओं का खतरा कम हो जाता है।