'5 साल तक नहीं छोड़ूंगा पार्टी', पुणे में लगे पोस्टरों में लोकसभा कैंडिडेट्स से की गई मांग
Lok Sabha Elections: पिछले कुछ सालों से दलबदल काफी तेजी से बढ़ रहा है और लोकसभा इलेक्शन के नजदीक आने के बाद इसमें और इजाफा देखने को मिला है। महाराष्ट्र के पुणें में शहर में अब कुछ जगहों पर बैनर लगे हुए नजर आ रहे हैं, जिसमें नेताओं के द्वारा पाला बदलने पर चिंता जाहिर की गई है। इसमें कहा गया है कि आगामी लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवार एक वादा करें कि वह जिस टिकट पर चुनाव लड़ रहें है वह कार्यकाल के आखिर तक उसी पार्टी के साथ बने रहेंगे।
'जागृत पुणेकर' के नाम से लगे इन गुमनाम बैनरों में मांग की गई है कि उम्मीदवारों को अपने घोषणापत्र में घोषणा करनी चाहिए कि वे पांच साल तक किसी दूसरे राजनीतिक दलों में शामिल नहीं होंगे। इस शहर में लगे बैनरों में कहा गया है कि हरेक उम्मीदवार को घोषणापत्र में यह घोषणा करनी चाहिए कि मैं पांच साल तक अपनी पार्टी की नीतियों और वोटर्स के प्रति पूरा ईमानदार रहूंगा और किसी दूसरी पार्टी में नहीं जाऊंगा। अगर मैं दलबदल करता हूं तो भविष्य में मुझे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को वोट न दें।
इन बैनरों के पीछे के लोगों या संगठनों के बारे में अभी कुछ पता नहीं चल सका है। लेकिन शहर में समय-समय पर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर ऐसे पोस्टर और बैनर सामने आते रहते हैं। हाल के महीनों में उपचुनाव के लिए एक राजनीतिक दल के प्रत्याशी के चयन के खिलाफ पोस्टर लगे थे। हालांकि, इसमें कभी-कभी प्रासंगिक मुद्दों को उठाया जाता है और कभी-कभी एक-दूसरे को टारगेट करने के लिए ऐसा किया जाता है।
लोगों को पार्टी के प्रति वफादार रहना चाहिए
सजग नागरिक मंच के प्रमुख कार्यकर्ता विवेक वेलंकर ने कहा कि उन्हें इस बारे में किसी भी तरह की जानकारी नहीं है कि इन पोस्टरों के पीछे कौन है। उन्होंने कहा कि वह पोस्टर में लगी बातों से पूरी तरह सहमत है। इससे यह पता चलता है कि लोग पिछले कुछ सालों से दलबदल से कितने परेशान हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि लोग उम्मीदवारों को संदेश देना चाहते हैं कि वे कोई ऐसा व्यक्ति चाहते हैं जो पार्टी और उसकी नीतियों के साथ ही टिका रहे।
वेलंकर ने यह भी कहा कि लोगों को इस तरह के पोस्टर और बैनर लगाते समय छिपना नहीं चाहिए और खुलकर सामने आना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बैनर गुमनाम रूप से लगाया गया है इससे यह भी पता चलता है कि लोगों में कुछ नेताओं का डर भी है। वेलंकर ने सवाल करते हुए कहा कि लोगों को नेताओं से डरने की क्या जरूरत है? यह अच्छी स्थिति नहीं है।
दलबदल का खेल केंद्रीय एजेंसियों की वजह से बढ़ा
एक अन्य कार्यकर्ता विहार दुर्वे ने कहा कि देश में जो राजनीतिक दलबदल का खेल चल रहा है। वह काफी हद तक जांच एजेंसियों के डर की वजह से है। एजेंसियों की भी कुछ जवाबदेही तय की जानी चाहिए। इन मामलों में सजा काफी कम है लेकिन जेल का डर भी दलबदल की वजह बन रहा है। लोगों को केवल उन्हीं लोगों को वोट देना चाहिए जिनके बारे में उन्हें यकीन हो कि वे अपने कार्यकाल के दौरान दूसरी पार्टी का दामन नहीं थामेंगे।
महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कुछ सालों में काफी बदलाव देखने को मिला है। यहां पर नेताओं ने पार्टियों के प्रति अपनी ईमानदारी को धू्मिल कर दिया है। पिछले साल जुलाई के महीने में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजीत पवार और उनके कई नेताओं ने महाविकास अघाड़ी छोड़कर बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति का दामन थाम लिया था। उन्होंने भी एकनाथ शिंदे की ही तरह बीजेपी जॉइन कर ली थी। लोकसभा इलेक्शन से पहले राज्य में कई दलबदल हुए हैं। यहां पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए और शिरूर के पूर्व सांसद शिवाजी अधलराव पाटिल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना छोड़कर अजीत पवार के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गुट में शामिल हो गए।