UP Nikay Chunav: अखिलेश की साइकिल को सड़क से उतारेंगी मायावती! 'DM' पर लगाया बड़ा दांव, ब्राह्मणों को किया किनारे
उत्तर प्रदेश में नगर निगम चुनाव (Nagar Nigam Elections 2023) में अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। राज्य में 4 मई को पहले चरण का नगर निगम चुनाव होगा, इसके बाद बचे हुए शहरों में 11 मई को दूसरे चरण की वोटिंग होगी। राज्य में इस बार मायावती की पार्टी बीएसपी ने भी बड़ा दांव खेला है। मायावती ने इस बार नगर निगम चुनाव में कुल 17 मेयर प्रत्याशियों में से 11 टिकट मुस्लिमों को दिए हैं। इसके अलावा बसपा द्वारा उतारे गए 6 प्रत्याशियों में से 3 ओबीसी, 2 एससी कैटेगरी से आते हैं। बीएसपी द्वारा नगर निगम चुनाव में महज गोरखपुर में सवर्ण जाति (बनिया) से संबंध रखने वाले को टिकट दिया गया है।
साल 2012 में यूपी चुनाव हारने के बाद से लगातार बीएसपी का ग्राफ गिरता ही जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में तो बीएसपी को बहुत बड़ा झटका लगा था। 2022 विधानसभा चुनाव में प्रदेशभर के मुस्लिमों ने बीएसपी का साथ छोड़ साइकिल की सवारी की थी। अब मायावती द्वारा 11 मुस्लिम नेताओं को नगर निगम चुनाव में मेयर उम्मीदवार बनाने का फैसला अखिलेश (Akhilesh Yadav) के लिए घातक माना जा रहा है।
OBC के लिए भी रिजर्व आरक्षित सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर बीएसपी ने यह स्पष्ट संकेत दिए हैं कि अब वह अपने नए सामाजिक अंकगणित में ब्राह्मणों की जगह मुसलमानों के साथ मिलकर नई सोशल इंजीनियरिंग शुरू करने का प्रयास कर रही हैं। मायावती ने साल 2007 से 2012 में पूर्ण बहुमत की सरकार चलाई थी। माना जाता है कि इस सरकार को ब्राह्मणों ने खुलकर समर्थन किया था।
हालांकि अब आने वाले मेयर चुनाव में बीएसपी ने ब्राह्मणों को खुलकर दरकिनार कर दिया है। बीएसपी ने एक भी ब्राह्मण को मेयर पद का उम्मीदवार नहीं बनाया है। सिर्फ गोरखपुर में बीएसपी के नवल किशोर नैथानी (बनिया) ऊंची जाति से संबंध रखने वाले एकमात्र मेयर उम्मीदवार हैं। मायावती ने आगरा और झांसी में लता और भगवान दास फूले को मेयर उम्मीदवार बनाया है। ये दोनों ही सीटें एससी समुदाय के लिए रिजर्व हैं।
बीएसपी ने कानपुर से अर्चना निषाद, अयोध्या से राम मूर्ति यादव और वाराणसी से सुभाष चंद्र मांझी को उम्मीदवार बनाया है। अयोध्या और वाराणसी अनरिजर्व सीट हैं जबकि कानपुर महिलाओं के लिए आरक्षित है। मायावती ने ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षित सहारनपुर में खादिजा मसूद, मेरठ में हसमत अली, शाहजहांपुर में शागुफ्ता अंजुम और फिरोजाबाद में रुकसाना बेगम को मेयर उम्मीदवार बनाया है।
महिलाओं के लिए आरक्षित गाजियाबाद में बीएसपी ने निशारा खान और लखनऊ में शाहीन बानो को टिकट दिया है। इसके अलावा अन रिजर्व सीटों में शआमिल अलीगझड में बीएसपी ने सलमान शाहीद, बरेली में युसूफ खान, मथुरा में रजा मोहत्तसिम, प्रयागराज में सईद अहमद और मुरादाबाद में मोहम्मद यामीन को टिकट दिया है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बीएसपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि मायावती ने यह महसूस किया कि 2007 वाली सोशल इंजीनियरिंग अब काम नहीं कर रही है। इसलिए इस बार फोकस में बदलाव है। निकाय चुनाव लोकसभा चुनाव की नींव रखेंगे। उन्होंने कहा कि आज यूपी में दलितों की तरह मुसलमान भी बुरी तरह वंचित महसूस कर रहे हैं। सपा ने भी उन्हें वोट लेकर अकेला छोड़ दिया है। उन्होंने दावा किया कि बीएसपी का दलित मुस्लिम गठजोड़ सपा के MY फॉर्म्यूले पर भारी साबित होगा।
इसके अलावा बीएसपी के नेता मुस्लिम समुदाय के बीच यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि मायावती की सरकार में उनके विकास के लिए काम किया गया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय का हित सिर्फ बीएसपी के साथ ही सुरक्षित है। बीएसपी के नेता धर्मवीर चौधरी ने कहा कि बहनजी ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति सुनिश्चित करने के अलावा उर्दू फ़ारसी विश्वविद्यालय की स्थापना की। उन्होंने दावा किया कि बीएसपी अल्पसंख्यक समुदाय को मजबूत करेगी और वे बीएसपी को मजबूत करेंगे।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बीएसपी के पश्चिमी यूपी के संयोजक इमरान मसूद ने कहा कि सपा ने मुस्लिमों का इस्तेमाल सिर्फ वोट बैंक की तरह किया। इस बार मुस्लिम और दलित एक साथ जाएंगे और बाकी उन्हें फॉलो करेंगे। आपको इसका परिणाम भी दिखाई देगा। इमरान मसूद कुछ समय पहले तक सपा के साथ थे। उन्होंने कुछ ही समय पहले बीएसपी का दामन थामा है।