अध्यक्ष के चुनाव से संगठन में बदलाव तक, BJP में जारी उठापटक के बीच RSS चीफ के बयान के क्या है मायने?
RSS Chief Mohan Bhagwat Remark: एनडीए को मिले बहुमत और पीएम मोदी के शपथ के बाद मंत्रिमंडल ने काम शुरू कर दिया है। दूसरी बीजेपी को लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान को संगठन में धीरे-धीरे बदलाव होने की संभावना है। अध्यक्ष जेपी नड्डा के बाद अगले अध्यक्ष को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। पार्टी जल्द ही बैठक कर नए अध्यक्ष को लेकर बड़ा फैसला लेगी। बीजेपी में जारी इस उठापटक के बीच राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का बयान काफी अहम है।
RSS चीफ मोहन भागवत ने अपने बायन में कहा था कि सच्चा सेवक काम करते समय मर्यादा बनाए रखता है, जो मर्यादा बनाए रखता है, वह अपना काम करता है, लेकिन अनासक्त रहता है। इसमें कोई अहंकार नहीं है कि मैंने यह किया। केवल ऐसे व्यक्ति को ही सेवक कहलाने का अधिकार है।
क्या पार्टी और संघ के बीच है खटपट
सूत्रों ने कहा कि आरएसएस चीफ मोहन भागवत के इस बयान को बीजेपी की टॉप लीडरशिप की आलोचना के तौर पर ही देखा जाना चाहिए। वहीं एक अन्य ने कहा कि इस तरह की सार्वजनिक अभिव्यक्ति का मतलब है कि संघ और पार्टी के बीच संवाद में समस्या है।
मोहन भागवत शायद ही कभी सार्वजनिक रूप से बीजेपी नेताओं की आलोचना करते हैं, ऐसे मे अगर उन्होंने आलोचना की है, तो संभावनाएं हैं कि पार्टी और संघ के बीच भी खटपट की स्थिति हो।
मणिपुर की हिंसा का उठाया मुद्दा
सूत्रों ने कहा है कि मोहन भागवत का मणिपुर पर संदेश स्पष्ट था कि संघ इस बात से सहमत नहीं है कि क्या हो रहा है और कैसे (संकट) को संभाला जा रहा है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि आरएसएस और भाजपा के बीच संचार टूट गया है, बस यह वैसा नहीं है जैसा होना चाहिए।
नागपुर में आरएसएस नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भागवत ने मणिपुर में संकट की ओर इशारा किया था। भागवत ने कहा कि हर जगह सामाजिक वैमनस्य है। यह ठीक नहीं है। पिछले एक साल से मणिपुर शांति का इंतजार कर रहा है। पिछले एक दशक से यह शांतिपूर्ण था। ऐसा लग रहा था कि पुराने समय की बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है लेकिन अचानक से पैदा हुई या बनाई गई बंदूक संस्कृति के कारण मणिपुर अभी भी जल रहा है। इस पर कौन ध्यान देगा? इसे प्राथमिकता के आधार पर निपटाना हमारा कर्तव्य है।
गंभीर से विचार करेगी बीजेपी की टॉप लीडरशिप
बीजेपी नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि भागवत की टिप्पणी उन लोगों के बीच चर्चा का विषय सकती है जो चुनाव नतीजों के बाद असंतुष्ट” और नाखुश हैं, क्योंकि पार्टी लोकसभा में बहुमत से चूक गई है। मध्य भारत से एक अन्य पार्टी नेता ने कहा है कि चूंकि यह टिप्पणी भागवत जी की ओर से आई है, इसलिए कई लोगों को उम्मीद है कि शीर्ष नेतृत्व इसे गंभीरता से लेगा।
बीजेपी को अपने किलों में विफलता हाथ लगी है। इसमें उत्तर प्रदेश से लेकर राजस्थान, हरियाणा, बिहार और महाराष्ट्र शामिल है। पश्चिम बंगाल में भी पार्टी को नुकसान हुआ है, जहां पिछले चुनाव में बीजेपी को काफी फायदा देखने को मिला था। सूत्रों ने बताया कि यूपी में प्रत्याशियों की लिस्ट फाइनल करते समय बीजेपी की टॉप लीडरशिप ने संघ की बातों को तवज्जो नहीं दी थी, जिसका पार्टी को नुकसान भी हुआ।
संगठन में दिख सकते हैं बड़े बदलाव
पीएम मोदी ने सोमवार को अपने विभागों के बंटवारे में यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने जा रहा है। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि पार्टी के संगठन में बदलाव पार्टी में "नई राजनीतिक स्थिति" को दर्शा सकते हैं।
वैसे तो नड्डा का विस्तारित कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है, लेकिन भाजपा के संविधान में हाल ही में हुए संशोधन ने संसदीय बोर्ड को "आपातकालीन" स्थितियों में अध्यक्ष के कार्यकाल सहित किसी भी संबंधित निर्णय लेने का अधिकार दिया है। सूत्रों ने कहा कि बोर्ड नड्डा के कार्यकाल को तब तक बढ़ा सकता है जब तक कि उनकी जग लेने लिए किसी योग्य नेता का चयन नहीं हो जाता है।
नड्डा ने बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला था। अमित शाह 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा के अध्यक्ष रहे लेकिन फिर जब वे सरकार में चले गए, तो नड्डा पूर्ण कालिक अध्यक्ष बन गए। सूत्रों ने बताया कि पार्टी के कई वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को मौजूदा सरकार में शामिल किए जाने के साथ ही पार्टी अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारों का दायरा काफी छोटा हो गया है। जिन नामों पर चर्चा हो रही है, उनमें महाराष्ट्र के नेता विनोद तावड़े, देवेंद्र फडणवीस; वरिष्ठ भाजपा नेता ओम माथुर, के लक्ष्मण, सुनील बंसल और अनुराग ठाकुर का नाम भी शामिल है।