Pilibhit Lok Sabha Elections: दशकों बाद पीलीभीत की सियासी जमीन पर भिड़ेंगे गैर गांधी प्रत्याशी, समझें यहां क्या है सियासी समीकरण
Pilibhit Lok Sabha Elections 2024: पीलीभीत लोकसभा सीट से बीजेपी ने इस बार युवा चेहरे वरुण गांधी की बजाए, यूपी सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद (Jitin Prasada) को मौका दिया है। ऐसे में इस सीट पर मुकाबाल दिलचस्प हो सकता है, क्योंकि वरुण गांधी (Varun Gandhi) का टिकट कटने के चलते उनके समर्थकों में नाराजगी देखने को मिल रही है। हालांकि जितिन प्रसाद की बात करें तो उन्हें उम्मीद है कि वे लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम मोदी (PM Narendra Modi) के फैक्टर के चलते उनकी आसानी से जीत हो सकती है।
बता दें कि यह सीट साल 1996 से लगातार गांधी परिवार के पास ही रही है। पहले इस सीट से केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी उतरती थीं, फिर उनके बेटे वरुण गांधी जीतकर संसद पहुंचे थे। बीजेपी ने परंपरा से अलग हटकर इस सीट से वरुण गांधी की बजाए जितिन प्रसाद को प्रत्याशी बनाया है।
जितिन प्रसाद शाहजहांपुर से आते हैं और वे पीलीभीत सीट पर "मोदी का दूत" बनकर प्रचार कर रहे हैं। उनके खिलाफ समाजवादी पार्टी ने भागवत सारण गंगवार को प्रत्याशी बनाया है, जो कि बरेली जिले का रहने वाले हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत भी पीलीभीत से ही की है।
जमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं जितिन प्रसाद
जितिन प्रसाद ने एक कार्यक्रम के दौरान जनता को संबोधित करते हुए कि पीएम का यहां आना एक स्पष्ट संदेश है कि पीलीभीत के विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। मैं उनके दूत के रूप में आपके सामने खड़ा हूं। उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक और राज्य मंत्री संजय सिंह गंगवार उनके बगल में खड़े थे। प्रसाद का कहना है कि पीडब्ल्यूडी ने पीलीभीत में सड़कों के लिए बहुत सारा फंड जारी किया है और हालांकि बहुत काम करने की जरूरत है, जो कि भविष्य में और भी काम दिए जाएंगे।
मोदी-योगी का कामकाज गिना रहे हैं जितिन
मंत्री ने गांधी परिवार को लेकर कहा कि पार्टी दशकों से यहां जीत रही है, इसलिए यहां पार्टी की संरचना काफी मजबूत है। यह निर्णय शीर्ष नेतृत्व द्वारा एक कठोर चयन प्रक्रिया के माध्यम से लिया गया है कि वह यहां से चुनाव लड़ें। उन्होंने कहा कि हम अनुशासित सिपाही हैं और जब पार्टी निर्णय लेती है तो सभी उसका पालन करते हैं। चुनावी कैंपेन में पार्टी के मुद्दों को लेकर जितिन प्रसाद ने कहा कि गेहूं और धान की खरीद के लिए सिस्टम लगाए गए हैं, गन्ना भुगतान में कुछ देरी हुई है लेकिन प्रक्रिया जारी है। शारदा नहर पर 200 करोड़ रुपये का पुल बनाया गया है।
सपा विधायक को अखिलेश ने बनाया है उम्मीदवार
लगभग 40 किमी दूर बलरामपुर गांव में सपा भगवत सरन गंगवार भीड़ को बरेली के नवाबगंज के विधायक के रूप में अपने काम की याद दिलाते हैं, जब वह 2003 की सपा सरकार में मंत्री थे। प्रसाद की तरह निर्वाचन क्षेत्र में नए होने के कारण वह जनता को संबोधित करते हैं कि मैं नवाबगंज से पांच बार विधायक रहा हूं। मैं दो बार राज्य सरकार में मंत्री रहा हूं. आप वहां मेरे काम के बारे में पूछ सकते हैं। मैंने राजनीति में 40 साल बिताए हैं और मेरे खिलाफ कोई विवाद नहीं है। मेरे क्षेत्र के लोगों के लिए मेरे दरवाजे हमेशा खुले हैं।
जातिगत समीकरणों की बात करें तो क्षेत्र में लोध राजपूतों की संख्या लगभग चार लाख है। बीजेपी ने लोध हेमराज वर्मा को नजरअंदाज कर दिया, जिन्होंने 2019 में वरुण के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो गए थे। उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रसाद का समर्थन किया है और उनके अभियान कार्यक्रमों का भी हिस्सा हैं।
कैसा है यहां का जातिगत समीकरण
दूसरी ओर अपने भाषणों में सपा प्रत्याशी इस बात का भी जिक्र करते रहते हैं कि पड़ोस में बीजेपी ने फिर से टिकट दे दिया। बता दें कि लखीमपुर खीरी से अजय मिश्रा 'टेनी' को फिर से टिकट मिल गया है। जिनके बेटे पर किसानों को गाड़ी से कुचलने का आरोप है। पीलीभीत सीट पर जातिगत समीकरणों की बात करें तो मुस्लिम 5 लाख, लोधी किसान 4 लाख 35 हजार, कुर्मी दो लाख 15 हजार, मौर्य 70 हजार, पासी- 70 हजार और जाटव 65 हजार के करीब हैं।