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लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व और भारत के ये लोग नहीं डाल पाएंगे वोट, जानिए आखिर क्यों हो रहा ये 'मतभेद'

Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव के दौरान ही भारत के एक राज्य में करीब 1.08 लाख से अधिक लोगों को वोट डालने की इजाजत नहीं मिलने वाली है।
Written by: न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | May 05, 2024 16:45 IST
लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व और भारत के ये लोग नहीं डाल पाएंगे वोट  जानिए आखिर क्यों हो रहा ये  मतभेद
Lok Sabha Chunav 2024: वोट डालने से वंचित रह जाएंगे ये लोग (सोर्स - PTI/File)
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Assam D voters Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर चुनाव आयोग दावा कर रहा है कि इस बार देश में सबसे ज्यादा 97 करोड़ वोटर्स हैं। तमाम दावों के बीच देश में एक आश्चर्यजनक बात यह भी है कि एक राज्य के 1 लाख से ज्यादा वोटर्स इस बार वोट नहीं डाल पाएंगे, जिसके चलते यह सवाल उठता है कि आखिर यह कहां हो रहा है और इसकी वजहें क्या हैं?

जिस राज्य में 1 लाख से ज्यादा लोग वोट डालने से वंचित रह जाएंगे, वह है असम। वहीं उनके वोट न डाल पाने की वजह है उनका डाउटफुल वोटर होना। असम में इन 1 लाख से ज्यादा लोगों को संदिग्ध मतदाता यानी डाउटफुल वोटर्स कहा जाता है। असम की सरकार के अनुसार इस वक्त ऐसे वोटरों की संख्या क़रीब एक लाख है।

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बता दें कि वोट डालने से वंचित रहने वाले ये लोग, वो हैं जिनकी नागरिकता पर सवाल उठे हैं। असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (NRC), सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट (CAA) जैसे नागरिकता से जुड़े मुद्दों के बीच डी-वोटर भी एक मुद्दा है और इन मुद्दों का सीधा संबंध इन डाउटफुल वोटर्स से भी है।

सुविधाओं के लिए करना पड़ता है संघर्ष

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार असम का बांग्लादेश बॉर्डर से जुड़ा है और इसीलिए नागरिकता यहां एक अहम मुद्दा है। इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि डी वोटर्स को तय करने की प्रक्रिया भी मनमाने तरीके से पूरी होती है। इस मुद्दे के निपटारे में भी काफी समय लगता है। खास बात यह है कि केवल वोटिंग ही नहीं,बल्कि इन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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कैसे तय होती है नागरिकता

बता दें कि असम में बांग्लादेश से कई बार माइग्रेशन हुआ है। साल 1979 में कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इसमें मांग की गई थी कि दस्तावेजों के साथ आए लोगों को निर्वासित दर्जा मिले। इसके बाद से चुनाव आयोग द्वारा लगातार लोगों की पहचान की गई जिनके पास नागरिकता नहीं थी। संदिग्ध नागरिकता वाले लोगों की पहचान की गई थी और शुरुआती जांच के बाद फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में भेज दिया गया। ये ट्रिब्यूनल्स, अर्ध-न्यायिक निकाय होते हैं, जो कि नियमों के अनुसार तय करते हैं कि कौन भारतीय नागरिक है।

डी वोटर्स की संख्या में भी है अलग-अलग

संदिग्ध वोटरों की सुनवाई जारी रहती है और उनके नाम के आगे 'डी' लगा दिया जाता है, उन्हें वोटिंग से रोक दिया जाता है। ऐसे वोटरों के आंकड़े अलग-अलग हैं, चुनाव आयोग के मुताबिक़, साल 1997 में 3.13 लाख लोगों की पहचान डी-वोटर्स के तौर पर की गई थी। वहीं फरवरी 2024 में असम सरकार ने बताया था कि डी वोटर्स की संख्या 97,000 है।

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