Lok Sabha Chunav Results: कौन हैं वो सात निर्दलीय, जिन्होंने जीता 18वीं लोकसभा का चुनाव, एक पर तो लगा है NSA
Lok Sabha Chunav 2024 Results: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों की तो बात हो रही है लेकिन इस बार 7 निर्दलीय प्रत्याशी भी जीते हैं, जिसमें से कुछ के बारे में बात करना बेहद जरूरी है। ये नवनिर्वाचित सांसद देश के अलग-अलग इलाकों का लोकसभा के सदन में प्रतिनिधित्व करते नजर आएंगे, तो आज हम इन सभी नवनिर्वाचित निर्दलीय सांसदों के बारे में जानते हैं।
अमृतापल सिंह, खडूर साहिब
अमृतपाल सिंह उन दो उम्मीदवारों में से एक थे जिन्होंने जेल से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता, वह वर्तमान में खालिस्तान समर्थक सक्रियता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत असम के डिब्रूगढ़ की जेल में बंद है। एक चतुर रणनीतिकार, अमृतपाल ने पंजाब के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य का दोहन करके बहुत कम समय में अपना राजनीतिक करियर बनाया है। एक संपन्न निर्माण परिवार से ताल्लुक रखने वाले, वह 2022 में दुबई से लौटे, जब पंजाब किसानों के विरोध के बाद उबल रहा था। उनके कृत्यों के चलते उनके खिलाफ एनएसए लगा था। उन्होंने इस चुनाव में कांग्रेस नेता कुलबीर सिंह जीरा को 197120 के अंतर से हराया था।
उमेशभाई बाबूभाई पटेल, दमन और दीव
उमेश पटेल ने तीन बार के भाजपा सांसद लालू पटेल को हराया थाछ। गुजरात से घिरे केंद्र शासित प्रदेश में एक जमीनी नेता, उमेश डीएंडडी के लोगों के साथ अपने मजबूत संबंध के लिए जाने जाते हैं, जो घर-घर जाकर कठोर अभियान के माध्यम से विश्वास पैदा करते हैं। इससे उन्हें स्थानीय मुद्दों की गहरी समझ हासिल करने और स्थानीय शासन रणनीति को लागू करने के साथ-साथ लोगों के बीच अपनी पहचान बनाने में मदद मिली। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी लालूभाई बाबूभाई पटेल को हराया था। उनकी जीत का अंतर 6,225 था।
पप्पू यादव पूर्णिया
पप्पू यादव के नाम से मशहूर राजेश रंजन लंबे समय से बिहार के सबसे बड़े राजनीतिक दिग्गजों में से एक हैं। पिछले कुछ सालों में वे कई पार्टियों से जुड़े रहे हैं, लालू प्रसाद की आरजेडी और रामविलास पासवान की एलजेपी के साथ-साथ मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी से भी रहे हैं। उन्होंने 2015 में अपनी खुद की पार्टी जन अधिकार पार्टी भी बनाई थी, जिसका 2024 के चुनावों से पहले कांग्रेस में विलय हो गया था। उन्होंने पार्टी द्वारा टिकट न मिलने पर चुनाव लड़ा था और जेडीयू के संतोष कुमार को 23 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।
विशाल प्रकाशबापू पाटिल, सांगली सीट
महाराष्ट्र में गठबंधन वार्ता के दौरान सांगली सीट उद्धव ठाकरे की शिवसेना के खाते में जाने के बाद कांग्रेस पार्टी के लंबे समय से कार्यकर्ता रहे विशाल 'दादा' पाटिल ने निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा। उन्होंने सांगली सीट पर बीजेपी नेता संजय काका पाटिल को 1 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से शिकस्त दी।
इंजीनियर राशिद बारामूला
कंस्ट्रक्शन इंजीनियर से राजनेता बने शेख अब्दुल रशीद ने जेल से ही लोकसभा चुनाव लड़ा। आतंकी फंडिंग के आरोपी रशीद फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में बंद हैं। उनके चुनाव अभियान का नेतृत्व उनके दो बेटों और पूर्व कांग्रेस विधायक शोएब लोन ने किया, जिन्होंने नारा दिया था “जेल का बदला वोट से”। उन्होंने एनसी नेता उमर अब्दुल्ला का हराया था।
मोहम्मद हनीफा, लद्दाख
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के वरिष्ठ नेता लद्दाख में कांग्रेस उम्मीदवार त्सेरिंग नामग्याल को समर्थन देने के बाद हनीफा ने लोकसभा चुनाव में निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा था। हनीफा का मानना था कि लेह से आने वाले नामग्याल कारगिल के शिया समुदाय के हितों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, इसलिए उन्होंने एनसी से इस्तीफा दे दिया और निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा। उन्होंने कांग्रेस नेता त्सेरिंग नानग्याल को 37 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।
सरबजीत सिंह खालसा, फरीदकोट
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों में से एक बेअंत सिंह के बड़े बेटे सरबजीत सिंह खालसा ने फरीदकोट से आप उम्मीदवार और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के निजी मित्र कर्मजीत अनमोल को आसानी से हरा दिया। उन्होंने कमरजीत को 49000 के वोटों से अंतर से शिकस्त दी थी।