Lok Sabha Chunav Rajasthan: राजस्थान में कल थम जाएगा चुनावी शोर, जानिए कांग्रेस को क्यों इन सीटों से है पूरी उम्मीद
राजस्थान में कल दूसरे चरण के मतदान के साथ लोकसभा चुनाव का शोर थम जाएगा। पहले चरण में 25 लोकसभा में से 12 पर वोटिंग हुई थी और कल 13 सीटों पर होगी। इस बार कांग्रेस प्रदेश में अपने 10 साल के सूखे को खत्म करने के लिए आश्वस्त दिख रही है। 2014 और 2019 में बीजेपी और एनडीए ने पूरी 25 सीटों पर कब्जा जमाया था।
राज्य में दो चरणों के मतदान में भाजपा को पूरी तरह से नहीं तो कम से कम आधी सीटों पर चुनौती का सामना करना पड़ा है। इस बार पीएम मोदी के नाम पर या राष्ट्रवाद, राम मंदिर जैसे मुद्दों पर राजस्थान का चुनाव पूरी तरह झुका हुआ नहीं दिखाई दिया। यहां कास्ट पॉलिटिक्स भी इस बार के लोकसभा चुनाव पर खास प्रभाव डाल रही थी।
राजस्थान में दूसरे चरण की प्रमुख सीटें जिनपर सभी की नज़रें रहने वाली हैं--बाड़मेर-जैसलमेर, बांसवाड़ा, जालौर, कोटा, जोधपुर और टोंक-सवाईमाधोपुर हैं। जहां मुकाबला काफी पेचीदा माना जा रहा है।
क्या कांग्रेस 10 साल का सूखा भर पाएगी?
राजस्थान में कांग्रेस के आशावादी होने का एक कारण तो यह भी है कि पार्टी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। जबकि भाजपा और पीएम मोदी देशभर में '400 पार' सीटों का नारा तो दे चुके हैं लेकिन अब उतने कॉन्फिडेंट नज़र नहीं आते है।
यह संयोग नहीं हो सकता है कि मोदी के कथित ध्रुवीकरण वाले दोनों भाषण जहां उन्होंने मुसलमानों का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर हमला किया था, राजस्थान के बांसवाड़ा और टोंक लोकसभा में दिए थे।
ऐसा माना जा रहा है कि पहले चरण के मतदान में गिरावट ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी हैं। लेकिन दूसरे चरण के मतदान से ठीक पहले पीएम मोदी की कुछ रैलियों और भाषणों से कांग्रेस भी ख़ासी परेशान दिखाई दी है।
संगठन के मोर्चे पर भी कांग्रेस भाजपा से पिछड़ सकती है, जबकि गठबंधन को लेकर भी कांग्रेस की राह कठिन नज़र आती है। उदाहरण के लिए, कांग्रेस बांसवाड़ा में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) का समर्थन तो कर रही है लेकिन कांग्रेस पार्टी के सिंबल पर एक अन्य उम्मीदवार भी इस सीट से मैदान में है जिसने नाम वापस नहीं लिया है। बीएपी ने चित्तौड़गढ़ और उदयपुर में अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जहां कांग्रेस चुनाव लड़ रही है।
बीजेपी को किन सीटों पर मिली चुनौती?
बीजेपी को खासतौर पर राजस्थान की बाड़मेर लोकसभा में खासी चुनौती का सामना करना पड़ा है। जहां शिव विधायक रवीन्द्र सिंह भाटी के मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। यहां जातिगत आंकड़े यह कहते हैं कि जाट और राजपूत वोटों के डिवाइड होने के बाद उम्मेदराम बेनीवाल को फायदा मिल सकता है। जालौर लोकसभा जहां पूर्व सीएम के बेटे वैभव गहलोत मैदान में हैं, बीजेपी को कड़ा मुकाबला दे रहे हैं। राजस्थान की जोधपुर, कोटा, टोंक-सवाई माधोपुर आदि सीटों पर मुकाबला काफी करीबी हो सकता है।