रोचक हुई मंडी की जंग: कंगना और विक्रमादित्य का वोटरों से सीधे संपर्क पर जोर, जीत के लिए बनाई यह रणनीति
माचल में सियासी पारा चढ़ गया है। करिश्माई चेहरों का गढ़ रहे मंडी में सियासत उफान पर है। कारण यहां भाजपा और कांग्रेस ने युवा चेहरों पर दांव लगाया है। भाजपा ने फिल्मी पर्दे की ‘रानी’ कंगना रनौत को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने राजघराने के विक्रमादित्य सिंह को मैदान में उतारा है। जिसकी वजह से मंडी की जंग सबसे रोचक होती जा रही है। दोनों प्रतिद्वंद्वी आक्रामक रुख अपनाते हुए जोरदार अभियान में जुटे हैं।
बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती है कमल खिलाए रखना
रणनीतिकारों की मानें तो मंडी लोकसभा चुनाव में कमल खिलाए रखना भारतीय जनता पार्टी के लिए कड़ी चुनौती है। वर्ष 2021 के उपचुनाव में भाजपा की इस सीट पर कांग्रेस ने कब्जा किया था। इसकी वजह कांग्रेस की उम्मीदवार प्रतिभा सिंह बनी थीं। इस चुनाव में भाजपा ने अपने पुराने उम्मीदवार को बदला है और सीट पर बालीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को चुनाव मैदान में उतारा है। इस कोशिश से भाजपा ने अपनी परंपरागत सीट फिल्म अभिनेत्री और हिमाचल की बेटी का तमगा देने की कोशिश की है।
पार्टी के नेताओं का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मंडी सीट का चुनाव हो रहा है। इसका सीधा लाभ पार्टी को मिल रहा है। इस सीट पर नए चेहरे के साथ फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के चेहरे ने यहां पर युवा मतदाताओं को अपनी और खींचा है। हालांकि बीते उपचुनाव में हुए नुकसान की वजह से पार्टी नेताओं का अत्यधिक आत्मविश्वास माना जा रहा है क्योंकि लगातार जीत होने की वजह से पार्टी के नेता ये मान बैठे थे कि एक बार फिर से मंडी सीट पर भाजपा का ही कब्जा हो। पार्टी नेताओं का कहना है कि इस बार भाजपा ने अपनी रणनीति को बदला है और घर - घर जाकर कार्यकर्ताओं को जोड़ा जा रहा है, इसका लाभ आगामी चुनाव में मिलेगा।
मंडी सीट पर बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के बीच ही सीधी लड़ाई हैं
मंडी सीट पर भाजपा और कांग्रेस पार्टी के बीच ही सीधी लड़ाई हैं। दोनों ही युवा नेता हैं। यह रणनीति काफी सोच समझ कर तैयार की गई है क्योंकि विक्रमादित्य सिंह हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रतिभा सिंह के बेटे हैं। प्रतिभा सिंह ने ही इस सीट को वर्ष 2021 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी से वापस ले लिया था। इस उपचुनाव में भाजपा ने बिग्रेडियर खुशहाल ठाकुर को उतारा था। उपचुनाव में करीब 7.53 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और साढ़े आठ हजार से अधिक वोट से इस सीट पर कांग्रेस जीती थी।
कांग्रेस की इस जीत के बाद से ही इन उपचुनाव परिणामों को सीट का रुझान माना जा रहा था। हालांकि वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा नेता राम स्वरूप शर्मा ने इस सीट को जीता था और इस सीट पर भाजपा करीब चार लाख वोट से जीत दर्ज कराई थी। राम स्वरूप शर्मा के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था। इस चुनाव में भी सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही थी। प्रतिभा सिंह मंडी सीट पर 2004 और वीरभद्र सिंह 2009 में अपनी जीत दर्ज करा चुके हैं। प्रतिभा सिंह के दिवंगत पति वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश में पांच बार मुख्यमंत्री रह रहे हैं और वे मंडी सीट से सांसद भी रहे हैं। इस सीट पर इस परिवार ने एक जमीनी पृष्ठभूमि तैयार की है। विक्रमादित्य वर्तमान सरकार में बतौर मंत्री भी प्रदेश में सक्रिय हैं।
इतनी है दोनों उम्मीदवारों की संपत्ति
बीजेपी उम्मीदवार कंगना रनौत ने अपने शपथपत्र में बताया है कि उनके पास दो लाख रुपए नकद हैं। इनकी कुल संपत्ति की कीमत करीब 28.73 करोड़ रुपए है और आठ बैंकों में खाते हैं। उनकी पचास एलआइसी से जुड़ी पालिसी हैं, जिनकी जानकारी उन्होंने शपथपत्र में दी है। इसकी अपनी चार गाड़ियां है, 6.70 किलोग्राम सोना, 60 किलो चांदी और 14 कैरेट के हीरे हैं इनका बाजार मूल्य करीब तीन करोड़ रुपए हैं।
कांग्रेस उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह ने शपथ पत्र में बताया है कि उनके पास उसकी कुल संपत्ति करीब 6.21 करोड़ रुपए से अधिक की बताई है। उनके पास पांच सौ बीस ग्राम सोना और सोने से बने अन्य जेवरात हैं, जिनकी बाजार मूल्य करीब 2.37 लाख रुपए है। 29.32 लाख रुपए के हीरे के भी जेवरात हैं। इसके अतिरिक्त इसके पास 1200 ग्राम सोना भी है, जो इन्होंने मार्च 2023 में खरीदा था। इसके अतिरिक्त इनके पास तीन अपनी गाड़ियां हैं।