हिमाचल प्रदेश: कंगना ने रोचक बना दी मंडी की जंग
मंडी लोकसभा सीट पर देश भर की निगाहें लगी हैं। कारण यही है कि यहां से चर्चित व अक्सर विवादों में रहने वाली सिने अभिनेत्री कंगना रनौत भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार हैं। पिछले कुछ सालों से जिस तरह से कंगना रनौत ने फिल्मी दुनिया में अपनी धाक जमाई है और महाराष्ट्र सरकार से लेकर देश की कई बड़ी राजनीतिक हस्तियों से सीधा टकराव लिया है, उससे देश भर में वे एक चर्चित चेहरा हो गई हैं।
यही कारण है कि अब देश भर में जब भी कहीं मंडी का नाम कोई लेता है तो यही पूछा जाता है कि क्या यही वही मंडी है, जहां से कंगना चुनाव लड़ रही हैं। कभी पंडित सुख राम जब देश में संचार मंत्री थे तो उनको लेकर मंडी का नाम लिया जाता था। अब यही दोहराव कंगना के लिए है।
यूं तो वीरभद्र सिंह का बेटा होने के कारण विक्रमादित्य भी एक बड़ा नाम हैं और उनके मुकाबले में होने के कारण भी यह क्षेत्र चर्चा में आया है, मगर कंगना के होने से इस सीट को लेकर ज्यादा चर्चा है। प्रदेश की अन्य तीन सीटों पर भी चुनाव प्रचार के कारण मंडी की कंगना का ही जिक्र हो रहा है। भले ही कांगड़ा से कांग्रेस के बड़े दिग्गज राष्ट्रीय नेता आनंद शर्मा भी मैदान में हैं, हमीरपुर से केंद्र सरकार में तेजतर्रार मंत्री व नरेंद्र मोदी के नजदीकी अनुराग सिंह ठाकुर जो लगातार पांचवां चुनाव लड़ रहे हैं व अपराजित हैं।
वे भी एक बड़ा नाम हैं, मगर चर्चा केवल कंगना की हो रही है। एक बड़े राजनीतिक परिवार से होने के कारण व जन्म से राजनीति की घुट्टी पीने वाले विक्रमादित्य सिंह के मुकाबले में आने से कंगना रनौत की मुश्किलें कुछ बढ़ी हैं मगर इससे यह मुकाबला बेहद रोचक हो चुका है। नौ मई विक्रमादित्य के नामांकन के बाद जब मंडी के सेरी मंच पर अपार जनसमूह उमड़ा तो भाजपा के कान खड़े हो गए।
इस जनसमूह को देख कर मंडी से कांग्रेस की सुखद स्थिति होने के कयास लगाए जाने लगे, मगर 14 मई को जब नए तेवरों के साथ कंगना रनौत ने रोड शो किया व नामांकन भरने के बाद इसी सेरी मंच पर रैली की, मंच से लंबा जोशीला व राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर लयबद्ध भाषण दिया तो यह मिथक टूट गया और जनता कहने लगी कि यहां तो उन्नीस-बीस का खेल है। एक सेर तो दूसरा सवा सेर है।
इस रैली में मंडी संसदीय क्षेत्र से आए लोगों ने जहां जय राम ठाकुर ही हमारा नेता है पर मुहर लगाई बल्कि कंगना रनौत के एक नए रूप को देखा। अब पिछले कई महीनों से इस संसदीय क्षेत्र में पसीना बहा रहे पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर, जिन्होंने कंगना रनौत को जिताने का जिम्मा ले रखा है, के साथ नरेंद्र मोदी का नाम व आने वाले दिनों में उनकी मंडी में प्रस्तावित रैली ही कंगना के लिए बड़ा सहारा हो सकता है।
उधर, विक्रमादित्य सिंह के नामांकन व रैली में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शामिल जरूर हुए मगर मुख्यमंत्री ने अपने लंबे भाषण में सेरी मंच पर एक बार भी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का नाम नहीं लिया। मंडी संसदीय क्षेत्र में वीरभद्र सिंह की चर्चा किए बिना कांग्रेस जीत की कल्पना नहीं कर सकती है, मगर मुख्यमंत्री ने सिर्फ अपने ही सरकार के 14 महीने के कार्यकाल का जिक्र किया और उसके नाम पर ही वोट मांगे।
उन्होंने विक्रमादित्य को असली हीरो तो करार दिया मगर यह वीरभद्र का बेटा है, विकास के मसीहा की राजनीतिक विरासत है, ऐसा कहने दर्शाने से गुरेज किया। इसके भी कई मायने निकाले जाने लगे हैं। हालांकि विक्रमादित्य अपने प्रचार में वीरभद्र सिंह के विकास को ही केंद्रित कर रहे हैं।
कांग्रेस को अब वामदलों व आम आदमी पार्टी का भी साथ मिल गया है जो उसके लिए राहत की बात है। इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के कारण यहां से वामदलों व आम आदमी पार्टी ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है और कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस के प्रमुक प्रचारक भी अंतिम दिनों में विक्रमादित्य के पक्ष में रैलियां कर सकते हैं जिससे मंडी की इस सीट पर मुकाबला और अधिक रोचक, रोमांचक व उत्सुकता भरा हो जाएगा।