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चंडीगढ़: लोक सभा चुनाव में बाहरी होने का दंश झेल रहे मनीष तिवारी

आलाकमान ने पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला को मान-मनौव्वल के लिए चंडीगढ़ भेजकर मामला शांत करने का प्रयास तो किया लेकिन अभी इसमें कामयाबी मिलती नजर नहीं आ रही।
Written by: जनसत्ता | Edited By: Bishwa Nath Jha
नई दिल्ली | Updated: April 20, 2024 12:20 IST
मनीष तिवारी। फोटो -(इंडियन एक्सप्रेस)
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चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी को उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस में घमासान जारी है। एक तरफ लगातार पार्टी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं के इस्तीफे जारी हैं, वहीं पवन बंसल समर्थक पार्टी की चंडीगढ़ इकाई के अध्यक्ष हरमोहिंद्र सिंह लक्की के विरोध में भी खुलकर मुखर होने लगे हैं। आलाकमान ने पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला को मान-मनौव्वल के लिए चंडीगढ़ भेजकर मामला शांत करने का प्रयास तो किया लेकिन अभी इसमें कामयाबी मिलती नजर नहीं आ रही।

दरअसल, कांग्रेस ने चंडीगढ़ लोकसभा सीट से पवन बंसल का टिकट काटकर आनंदपुर साहिब के सांसद मनीष तिवारी को टिकट दिया है। पवन बंसल यहां से आठ बार चुनाव लड़े हैं और चार बार सांसद रह चुके हैं। पूर्व रेल मंत्री बंसल काफी समय से चंडीगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव की तैयारी भी कर रहे थे। अचानक टिकट कटने से बंसल समर्थक भड़क गए।

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वहीं, कांग्रेस की चंडीगढ़ इकाई के अध्यक्ष एचएस लक्की की एक इंस्टाग्राम पोस्ट ‘मनीष तिवारी को टिकट मिल गई, पवन बंसल के साथ खेल हो गया’ ने इस गुस्से को भड़काने का काम कर दिया। बताया जा रहा है कि लक्की भी टिकट के इच्छुक थे। बंसल समर्थकों का आरोप है कि लक्की कांग्रेस को हराने का काम कर रहे हैं। इसके बाद शहर कांग्रेस के अब तक 100 से अधिक पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफे दे दिए हैं। हालांकि लक्की से इस पर सफाई देते हुए कहा था कि वे पवन बंसल का सम्मान करते हैं। उनका सोशल मीडिया खाता विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा संभाला जाता है।

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इस्तीफा देने वालों में शामिल महिला कांग्रेस की चंडीगढ़ इकाई की अध्यक्ष दीपा दुबे ने कहा कि वे मनीष तिवारी की उम्मीदवारी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन चाहती हैं कि लक्की एक वरिष्ठ नेता के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट के लिए इस्तीफा दें। विवाद बढ़ता देख चंडीगढ़ प्रभारी राजीव शुक्ला ने उम्मीदवार मनीष तिवारी, पवन बंसल और अध्यक्ष एचएस लक्की से अलग-अलग मुलाकात की।

शुक्ला ने कहा कि पवन बंसल हमारे साथ हैं। ये अस्थायी प्रतिक्रियाएं हैं, जो हर राजनीतिक दल में होती हैं। इस्तीफा देने वाले न पार्टी और न उम्मीदवार के खिलाफ नहीं हैं। वे सिर्फ एक पार्टी पदाधिकारी के किसी बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। हालांकि अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि पवन बंसल की नाराजगी अभी दूर नहीं हुई है। वे केंद्रीय नेतृत्व से सीधी बात का न्योता मिलने का इंतजार कर रहे हैं। उनके समर्थक उन्हें राज्यसभा में भेजे जाने की वकालत भी कर रहे हैं। वहीं, पवन बंसल का कहना है कि वे पार्टी के साथ हैं, लेकिन अभी उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इसलिए घूम नहीं पा रहे हैं।

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