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संपादकीय: चकाचौंध में फीकी पड़ती IPL की चमक, कारोबार के आगे कम हो रहा आकर्षण

टैस्ट या एकदिवसीय मैचों के बरक्स बीस ओवर के मैचों में क्रिकेट की कलात्मकता और प्रयोगधर्मिता पीछे छूट रही है और सिर्फ आक्रामक प्रदर्शन की मांग बढ़ी है।
Written by: जनसत्ता
नई दिल्ली | Updated: May 28, 2024 14:11 IST
संपादकीय  चकाचौंध में फीकी पड़ती ipl की चमक  कारोबार के आगे कम हो रहा आकर्षण
कोलकाता नाइट राइडर्स ने तीसरी बार आईपीएल ट्रॉफी जीती। (सोर्स- X/@KKRiders)
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क्रिकेट की दुनिया में जब इंडियन प्रीमियर लीग यानी आइपीएल की शुरुआत हुई, तो इसकी गुणवत्ता में बढ़ोतरी की उम्मीद की गई थी। मगर इस पर जिस कदर चकाचौंध हावी होता गया, उससे लगता है कि इस खेल को कारोबार और कमाई का एक जरिया बना लिया गया। इसके समांतर यह भी सच है कि इससे क्रिकेट और इसके प्रति लोगों के भीतर आकर्षण में अब वह स्तर नहीं दिखता, जो कभी इसकी खासियत होती थी।

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क्रिकेट को एक रफ्तार के खेल की तरह देखा जाने लगा है

एक समय जिस क्रिकेट के सभी पहलुओं में कलात्मकता की ऊंचाई कायम करने की कोशिश की जाती थी और दर्शक से लेकर विश्लेषक तक इसमें तुलनात्मक प्रदर्शन, खेल की कला पर बात करते थे, अब आइपीएल के हावी होने के बाद क्रिकेट को एक रफ्तार के खेल की तरह देखा जाने लगा है। पहले जहां टीम के साथ भावनाएं जुड़ी होती थीं और उसकी जीत-हार को खेल भावना के साथ स्वीकार किया जाता था, वहीं अब यह पसंद किसी खास खिलाड़ी, उसे नीलामी में मिली ऊंची कीमत और फिर निजी प्रदर्शन तक सिमटती जा रही है। अब लोगों को यह उम्मीद होती है कि उनके पसंदीदा खिलाड़ी को ज्यादा से ज्यादा कीमत में कोई टीम खरीदे, वह खूब चौके-छक्के मारे या बहुत तेज रफ्तार से गेंद फेंके।

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बेशक इस आयोजन की वजह से बहुत सारे नए प्रतिभावान खिलाड़ियों को भी मौका मिला है, लेकिन दर्शकों की अपेक्षाओं और बाजार की जरूरतों के मुताबिक मैदान में खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ा है और निरंतरता की गुंजाइश घटी है। टैस्ट या एकदिवसीय मैचों के बरक्स बीस ओवर के मैचों में क्रिकेट की कलात्मकता और प्रयोगधर्मिता पीछे छूट रही है और सिर्फ आक्रामक प्रदर्शन की मांग बढ़ी है।

इसके अलावा, सट्टेबाजी जैसी अवांछित गतिविधियों ने भी क्रिकेट प्रेमियों को निराश किया है। ऐसे में क्रिकेट को जिस तरह चकाचौंध के कारोबार का जरिया बनाया गया है, उसमें क्रिकेट अब बाजार-आधारित खेल बन रहा है। यह बेवजह नहीं है कि आइपीएल जैसे आयोजन की चमक अब धुंधली पड़ती जा रही है।

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