होमताजा खबरराष्ट्रीयमनोरंजन
राज्य | उत्तर प्रदेशउत्तराखंडझारखंडछत्तीसगढ़मध्य प्रदेशमहाराष्ट्रपंजाबनई दिल्लीराजस्थानबिहारहिमाचल प्रदेशहरियाणामणिपुरपश्चिम बंगालत्रिपुरातेलंगानाजम्मू-कश्मीरगुजरातकर्नाटकओडिशाआंध्र प्रदेशतमिलनाडु
वेब स्टोरीवीडियोआस्थालाइफस्टाइलहेल्थटेक्नोलॉजीएजुकेशनपॉडकास्टई-पेपर

संपादकीय: कुमाऊं के जंगलों में आग, तबाही के बाद ही होते हैं बचाव और सुरक्षा को लेकर सचेत

उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की यह कोई पहली या नई घटना है। हर वर्ष गर्मी में कई जगहों पर आग लगने की वजह से आसपास का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इस बार तापमान में बढ़ोतरी के साथ अभी ही राज्य में पांच सौ से ज्यादा आग लगने के मामले सामने आ चुके हैं।
Written by: जनसत्ता
नई दिल्ली | Updated: April 29, 2024 09:58 IST
प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो -(इंडियन एक्सप्रेस)।
Advertisement

किसी हादसे का सबसे बड़ा सबक यह होना चाहिए कि ऐसे इंतजाम किए जाएं, ताकि भविष्य में वैसे हालात से बचा जा सके। हैरानी की बात है कि उत्तराखंड के जंगलों में हर वर्ष आग लगने और उससे व्यापक नुकसान होने की घटनाओं के बावजूद इस ओर ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी जाती। इस बार फिर नैनीताल और उसके आसपास के जंगलों में आग लगी और फैल कर खतरनाक शक्ल ले चुकी है।

आग से पर्यटन कारोबार पर भी पड़ा असर

बीते दो-तीन दिनों में कुमाऊं के जंगलों में पच्चीस से ज्यादा जगहों पर आग लग गई। वनाग्नि की इन घटनाओं में जहां करीब चौंतीस हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन संपदा को नुकसान पहुंचा है, वहीं नैनीताल और आसपास के इलाकों में पर्यटन कारोबार पर भी इसका विपरीत असर पड़ा है। आग बुझाने के लिए भीमताल के पानी का उपयोग किया जा रहा है, जिससे उस झील में पर्यटन गतिविधियां ठप पड़ गई हैं। इससे इलाके की अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है।

Advertisement

ऐसा नहीं कि उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की यह कोई पहली या नई घटना है। हर वर्ष गर्मी में कई जगहों पर आग लगने की वजह से आसपास का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इस बार तापमान में बढ़ोतरी के साथ अभी ही राज्य में पांच सौ से ज्यादा आग लगने के मामले सामने आ चुके हैं। विडंबना है कि प्रत्यक्ष आशंका और खतरा होने के बावजूद गर्मी की शुरुआत के पहले सरकार की ओर से आग लगने के लिहाज से संवेदनशील जगहों पर बचाव और आग को फैलने से रोकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए जा सके।

Advertisement

जंगल में कुछ ऐसे खाली क्षेत्र तैयार किए जा सकते हैं, जहां जलाशय बनाए जा सकते हैं कि अगर किसी क्षेत्र में आग लगे, तो उसे फैलने से रोका जा सके और बुझाने में मदद मिले। इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि क्या आग लगने की घटनाओं में कुछ अराजक तत्त्वों का हाथ है! मगर आम हो चुकी वनाग्नि की घटनाओं के बावजूद सरकार को इस ओर ध्यान देना शायद जरूरी नहीं लगता। नतीजतन, हर वर्ष राज्य में जंगलों का बड़ा हिस्सा वनाग्नि से तबाह होता है।

Advertisement
Tags :
Fire breaks outfire in forestJansatta EditorialUttarakhand
विजुअल स्टोरीज
Advertisement
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा एजुकेशन समाचार (Education News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
Advertisement