Jansatta Editorial: खानपान और गलत जीवन-शैली संबंधी बीमारियां सरकार के लिए बनी चिंता का विषय
पिछले कुछ दशक में जीवन-शैली संबंधी बीमारियां सरकार के लिए चिंता का विषय बनती गई हैं। स्वास्थ्य और आहार विशेष निरंतर लोगों से अपनी जीवन-शैली में बदलाव लाने, आहार संबंधी सतर्कता बरतने का आह्वान करते रहे हैं, मगर उसका अपेक्षित असर नहीं देखा जाता। खासकर पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह लोगों की खानपान संबंधी आदतें बदली हैं, उससे कई नई तरह की बीमारियां पैदा हो रही हैं।
स्वास्थ्य संबंधी इन नई समस्याओं की गिरफ्त में बच्चों और युवाओं को अधिक देखा जा रहा है। मोटापा और मधुमेह अब युवाओं के बीच आम समस्या की तरह उभरे हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आइसीएमआर ने अपनी एक रपट में खुलासा किया है कि 56.4 फीसद बीमारियां अस्वास्थ्यकर खानपान की वजह से होती हैं।
आइसीएमआर की तहत काम करने वाली संस्था राष्ट्रीय पोषण संस्थान यानी एनआइएन ने आहार संबंधी विवरण पेश करते हुए सत्रह ऐसे खाद्य पदार्थों की सूची जारी की है, जिनसे परहेज करके बीमारियों से दूर रहा और स्वास्थ्यकर जीवन बिताया जा सकता है। निश्चय ही इससे लोगों में अपने स्वास्थ्य को लेकर कुछ सतर्कता बढ़ेगी।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि खासकर शहरी और कस्बाई जीवन में खानपान की आदतें बहुत तेजी से बदली हैं। जबसे डिब्बाबंद और बने-बनाए भोज्य पदार्थों का बाजार बढ़ा है, तबसे खानेपीने के पारंपरिक नियम-कायदे छिन्न-भिन्न होने लगे हैं। बच्चों और युवाओं की जीभ पर बाजार का स्वाद अपना राज करने लगा है।
इसमें लोग भूल ही गए हैं कि क्या खाना सेहत की दृष्टि से उचित है और क्या अनुचित। खानेपीने का कोई तय समय भी नहीं रह गया है। इस तरह युवाओं के चयापचय पर बुरा असर पड़ा है, जिसका नतीजा उनमें बढ़ता मोटापा और उनके हृदय पर बढ़ता बोझ है। बहुत सारे कसरत करने वाले युवा, बिना सोचे-समझे प्रोटीन की खुराक लेते हैं, यह उनकी सेहत पर बहुत बुरा असर डाल रहा है।
इसे लेकर आइसीएमआर ने आगाह किया है। यह निश्चय ही चिंता का विषय है कि आधे से अधिक लोगों में बीमारियां केवल गलत खानपान की आदतों की वजह से पैदा हो रही हैं। इसके लिए जनजागरूकता बढ़ाना जरूरी है।