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संपादकीय: बुमराह, हार्दिक, अर्शदीप और सूर्या ने कुछ इस तरह लिखी जीत की कहानी, हार के मुंह से कुछ इस तरह मैच छीन लाई भारतीय टीम

कभी दक्षिण अफ्रीका की टीम भारी पड़ती दिखी तो कभी भारत की टीम जीत के करीब दिखी। अपनी पारी में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 176 रन बनाए और दक्षिण अफ्रीका के सामने एक मजबूत चुनौती रखी थी।
Written by: जनसत्ता
नई दिल्ली | Updated: July 01, 2024 01:01 IST
विश्वकप विजेता भारतीय टीम
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कहते हैं कि हौसला और सब्र कायम रहे तो हारी हुई बाजी को भी जीत में तब्दील किया जा सकता है। बारबाडोस में टी-20 क्रिकेट विश्वकप के फाइनल मैच में भारत ने दक्षिण अफ्रीका पर जो जीत दर्ज की, वह मौजूदा क्रिकेट की दुनिया की एक बड़ी उपलब्धि तो है ही, मगर इस खिताब को हासिल करने के क्रम में मैदान में जिस तरह का रोमांच पैदा हुआ, उसने भारत के लिए इस जीत को बेहद अहम और यादगार बना दिया। दरअसल, मैच की शुरुआत से ही दोनों टीमों ने अपने दमखम के जरिए एक दूसरे पर हावी होने की हर स्तर पर कोशिश की।

कभी दक्षिण अफ्रीका की टीम भारी पड़ती दिखी तो कभी भारत की टीम जीत के करीब दिखी। अपनी पारी में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 176 रन बनाए और दक्षिण अफ्रीका के सामने एक मजबूत चुनौती रखी थी। हालांकि अतीत में दक्षिण अफ्रीका की टीम के प्रदर्शन को देखते हुए इस लक्ष्य को बहुत मुश्किल काम नहीं माना जा रहा था और एक समय वह जीत के बेहद करीब पहुंच भी गई थी, मगर अंतिम पांच ओवरों में भारतीय गेंदबाजों ने बाजी पलट दी।

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यों बल्लेबाजी से लेकर गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण तक के मामले में दोनों ही टीमों ने बेहतरीन क्रिकेट का प्रदर्शन किया, लेकिन मैच के आखिरी दौर में भारत ने मैदान में गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण पर पूरा जोर लगा दिया और एक तरह से हाथ से छूटती बाजी को दक्षिण अफ्रीका से आखिरकार छीन लिया। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि बीस ओवरों के मैच में पंद्रह ओवर तक दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ियों ने जैसी पकड़ बना रखी थी, उसमें उसे रोक पाना एक मुश्किल चुनौती थी।

मगर यह कहा जा सकता है कि इस मैच के आखिरी ओवरों में भारतीय खिलाड़ियों ने गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण के मामले में जैसा प्रदर्शन किया, उसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा। जसप्रीत बुमराह और अर्शदीप सिंह ने अपनी गेंदों से एक ओर विपक्षी टीम के हाथ बांध दिए, दूसरी ओर उनके मजबूत खिलाड़ियों को मैदान बाहर भी भेज दिया। इसमें हार्दिक की गेंद पर मिलर के छक्का मारने की कोशिश को सीमा रेखा पर सूर्यकुमार यादव ने जिस तरह शानदार और यादगार कैच पकड़ कर रोका, उसने मैच की बाजी पलट दी।

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गौरतलब है कि टी-20 में यह दूसरा मौका है, जब भारत ने खिताबी जीत हासिल की है और जाहिर है इसके साथ ही एक तरह से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारतीय दावेदारी एक बार फिर पुष्ट हुई है। मगर इस मैच के साथ ही टी-20 के इस प्रारूप में भारत के मजबूत स्तंभों- विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविंद्र जडेजा ने संन्यास लेने की घोषणा कर दी। अब ये तीनों खिलाड़ी इसके अंतरराष्ट्रीय प्रारूप में मैदान में नहीं दिखेंगे, मगर उनसे प्रेरणा हासिल कर एक नई पीढ़ी विश्व क्रिकेट के इस मोर्चे पर उतरेगी। विराट कोहली ने अपने संन्यास की घोषणा के मौके पर कहा भी कि अब समय आ गया है कि अगली पीढ़ी टी-20 मैचों में भारत को आगे ले जाएं। बहरहाल, इस खिताबी जीत के साथ भारत ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वह आज भी क्रिकेट की दुनिया में बादशाहत का रुतबा रखता है और मैच में रोमांच और उत्तेजना बनाए रखते हुए जीत को अपने हिस्से कर सकता है।

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