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Jansatta Editorial: वन्यजीवों के मामले में किसी भी तरह की लापरवाही चिंता का विषय

हवाई जहाजों के लिए पंछी सबसे खतरनाक माने जाते हैं। अगर कोई पंछी किसी विमान के डैनों से टकरा जाए या उसके प्रोपेलर के भीतर चला जाए तो विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा रहता है। इसलिए हवाई अड्डों के आसपास पंछियों के आवागमन पर हर समय नजर रखी जाती है।
Written by: जनसत्ता | Edited By: Bishwa Nath Jha
नई दिल्ली | May 23, 2024 08:44 IST
jansatta editorial  वन्यजीवों के मामले में किसी भी तरह की लापरवाही चिंता का विषय
प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो -(सोशल मीडिया)।
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मुंबई के एक पक्षी विहार इलाके में कथित रूप से हवाई जहाज की चपेट में आकर चालीस राजहंस यानी फ्लेमिंगो की मौत हो गई। इसे लेकर पक्षी और पर्यावरण प्रेमियों में रोष स्वाभाविक है। मगर यह समझना थोड़ा मुश्किल है कि इतने राजहंस किसी विमान की चपेट में आए कैसे। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि राजहंसों का झुंड मुंबई से गुजरात लौट रहा था और विमान की चपेट में आ गया।

अगर इसमें सच्चाई है, तो यह न केवल उस पक्षी विहार में विचरने वाले राजहंसों के लिए खतरे की बात है, बल्कि उस तरफ से गुजरने वाले विमानों के लिए भी गंभीर खतरा है। आमतौर पर हवाई अड्डों के आसपास के इलाकों में पंछियों की गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हवाई पट्टियों के आसपास पंछियों को भगाने के लिए लगातार पटाखे चलाए जाते हैं।

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हवाई जहाजों के लिए पंछी सबसे खतरनाक माने जाते हैं। अगर कोई पंछी किसी विमान के डैनों से टकरा जाए या उसके प्रोपेलर के भीतर चला जाए तो विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा रहता है। इसलिए हवाई अड्डों के आसपास पंछियों के आवागमन पर हर समय नजर रखी जाती है।

यों हवाई पट्टी से उठने के बाद विमान कुछ सेकेंड के भीतर ही इतनी ऊंचाई ले लेते हैं, जहां तक पंछियों की उड़ान क्षमता नहीं होती। यही नियम विमान उतरते समय भी लागू होता है। राजहंसों की उड़ान कुछ ऊंची जरूर होती है, मगर इतनी ऊंची नहीं कि वे हवाई उड़ान की परिधि को छू लें। फिर हैरानी की बात है कि मुंबई हवाई यातायात प्रबंधन से जुड़े लोगों को इस बात की आशंका क्यों नहीं थी कि उस इलाके में उड़ते हुए राजहंसों का झुंड पहुंच सकता है।

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गनीमत है, कोई हादसा नहीं हुआ। मगर इस मामले में दूसरी आशंकाओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि पक्षी विहार के प्रबंधन में ही कोई खामी हो या पक्षी किसी बीमारी की चपेट में न आ गए हों। हालांकि अभी पक्षियों के शव परीक्षण के बाद ही हकीकत पता चल सकेगी। मगर इस तरह वन्यजीवों के मामले में किसी भी तरह की लापरवाही चिंता का विषय है।

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