Chhattisgarh coal scam: सीएम भूपेश बघेल के करीबी नेताओं के ठिकानों पर ED के छापे, कांग्रेस ने कहा सियासी प्रतिशोध
जयप्रकाश एस नायडू
छत्तीसगढ़ में आठ कांग्रेस नेताओं के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Department) ने सोमवार को छापा मारा तो हंगामा मच गया। ये छापे कोल लेवी घोटालों को लेकर मारे गये। कांग्रेस ने इसे "प्रतिशोध की राजनीति" की कार्रवाई बताई। सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि मोदी सरकार रायपुर में 24 से 26 फरवरी तक प्रस्तावित आल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के पूर्ण सत्र को रोकने के लिए ऐसा कर रही है।
जिन नेताओं के ठिकानों पर छापे मारे गये हैं, उनमें देवेंद्र यादव, धर्मेंद्र यादव, रामगोपाल अग्रवाल, आरपी सिंह, गिरीश देवांगन, विनोद तिवारी, सुशील सन्नी अग्रवाल और चंद्रदेव प्रसाद राय शामिल है।
33 वर्षीय देवेंद्र यादव छत्तीसगढ़ विधानसभा में सबसे कम उम्र के विधायक हैं। वह भिलाई के रहने वाले हैं और 2016 से 2021 तक स्टील सिटी के मेयर रह चुके हैं। देवेंद्र यादव सीएम बघेल के बहुत नजदीकी हैं। उनके बड़े भाई धर्मेंद्र यादव के घर पर भी छापा मारा गया। वह भी मुख्यमंत्री के पुराने मित्र हैं। धर्मेंद्र यादव कांग्रेस के भिलाई जिलाध्यक्ष रह चुके हैं और पार्टी में अपने भाई को आगे बढ़ाने में उनकी अहम भूमिका रही है। दोनों भाइयों का अपना पारीवारिक कारोबार भी है। भिलाई नगर से पहली बार विधायक बने देवेंद्र अपने कॉलेज के दिनों से ही कांग्रेस के सक्रिय सदस्य रहे हैं। वह 2009 में राज्य में कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई के अध्यक्ष थे।
कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल संगठन में सक्रिय भूमिका निभाते थे
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (CPCC) के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल मुख्यमंत्री से अपनी नजदीकी के लिए जाने जाते हैं। वह राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के चेयरमैन भी हैं। उनका कांग्रेस से जुड़ाव दशकों पुराना है। यहां तक कि 2000 में छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग राज्य के रूप में बनाए जाने से पहले ही उसके संगठनात्मक मामलों में वे सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। चावल मिलों सहित कई व्यवसायों वाले अग्रवाल ने कभी चुनाव नहीं लड़ा।
अडानी मामले में मोदी सरकार के खिलाफ आरपी सिंह ने उठाई थी आवाज
सीएम बघेल से जुड़े सीपीसीसी के प्रवक्ता आरपी सिंह भी कोयला लेवी मामले में ईडी के निशाने पर रहे हैं। ईडी ने उन्हें मंगलवार को पूछताछ के लिए बुलाया था और बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था। उन्होंने अब तक चुनावी राजनीति में कदम नहीं रखा है। सिंह ने भाजपा नेता और पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में उनके मंत्री कार्यकाल के दौरान रायपुर में अधूरे स्काईवॉक के निर्माण में अनियमितता का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। अडानी मामले पर चुप्पी को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ सिंह काफी मुखर रहे हैं। पिछले रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में करोड़ों रुपये के चिट फंड "घोटाले" की जांच के लिए लिखे सीएम बघेल के पत्र पर कार्रवाई नहीं करने पर उन्होंने एजेंसी का काफी विरोध किया था।
बघेल के भरोसेमंद साथी माने जाते हैं गिरीश देवांगन
छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन के बारे में कहा जाता है कि बघेल के साथ उनकी मित्रता के कारण राज्य कांग्रेस में उनका कद बढ़ा है। कांग्रेस सूत्रों ने कहा, “देवांगन को बघेल एक भरोसेमंद व्यक्ति के रूप में देखते हैं। वह एक किसान परिवार से आते हैं और सीएम के करीबी हैं। देवांगन इससे पहले सीपीसीसी के महासचिव थे। उनके परिवार के सदस्य भी कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। उनकी सार्वजनिक छवि काफी साफ-सुथरी रही है।
छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के निदेशक और सीपीसीसी के पूर्व महासचिव विनोद तिवारी बघेल के वफादार माने जाते हैं। तिवारी कभी छत्तीसगढ़ के पहले सीएम और कांग्रेस के पूर्व दिग्गज दिवंगत अजीत जोगी के करीबी थे। वह उन नेताओं के समूह में शामिल थे, जो 2018 के राज्य विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले जोगी की पार्टी जेसीसी (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़) से कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उन्होंने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है।
सीपीसीसी के पूर्व सचिव और छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल का विवादों से पुराना नाता रहा है। पार्टी कार्यालय के बाहर पार्किंग विवाद को लेकर पार्टी के एक अन्य नेता के साथ विवाद होने के बाद उन्हें 2021 में कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था। उन्हें छत्तीसगढ़ के पूर्व एआईसीसी प्रभारी पीएल पुनिया का करीबी माना जाता था। कांग्रेस के ट्रेड यूनियन इंटक (INTUC) के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अग्रवाल एक व्यवसायी भी हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, वह पार्टी को रसद मुहैया कराते थे और पुनिया के साथ अपनी निकटता के कारण रसूख हासिल करते थे।
बलौदा बाजार के बिलाईगढ़ से विधायक चंद्रदेव प्रसाद राय कांग्रेस में और लोगों की अपेक्षा नए सदस्य हैं। एक पूर्व स्कूल शिक्षक, राय ने अपना पेशा छोड़ दिया और 2018 के चुनावों से बमुश्किल एक महीने पहले कांग्रेस में शामिल हुए। तत्कालीन रमन सिंह सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी शिक्षकों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने के बाद राय को एससी-आरक्षित बिलाईगढ़ सीट से कांग्रेस का टिकट मिला था। ईडी के सूत्रों ने कहा कि कोयला लेवी मामले में राय का नाम आयकर विभाग की जांच में पिछले साल छापे के दौरान सामने आया था।