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बीजेपी सीधे नहीं लड़ पा रही तो ED और IT के जरिए लड़ने की कोशिश कर रही- अफसरों पर रेड के बाद भड़के सीएम बघेल

छत्तीसगढ़ में केंद्रीय एजेंसियों की रेड कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी बघेल की ओएसडी सौम्या चौरसिया के कई ठिकानों पर छापे पड़ चुके हैं।
Written by: जनसत्ता ऑनलाइन | Edited By: shailendra gautam
October 11, 2022 15:44 IST
बीजेपी सीधे नहीं लड़ पा रही तो ed और it के जरिए लड़ने की कोशिश कर रही  अफसरों पर रेड के बाद भड़के सीएम बघेल
रायपुर। लोगों की समस्या सुनते भूपेश बघेल। (फोटोः ट्विटर @bhupeshbaghe)
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छत्तीसगढ़ में ईडी की रेड से भड़के सीएम भूपेश बघेल ने बीजेपी को जमकर आड़े हाथ लिया है। उनका कहना है कि भाजपा सीधे लड़ नहीं पा रही है, इसलिए ईडी और इनकम टैक्स के माध्यम से लड़ने की कोशिश कर रही है। मैं पहले ही कह चुका हूं कि ये फिर आएंगे। ये आखिरी नहीं है। जैसे-जैसे चुनाव पास आएगा इनकी यात्राएं और बढ़ेंगी। डराने धमकाने के अलावा कोई काम नहीं है।

हालांकि छत्तीसगढ़ में केंद्रीय एजेंसियों की रेड कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी बघेल की ओएसडी सौम्या चौरसिया के कई ठिकानों पर छापे पड़ चुके हैं। कलेक्टर रानू साहू और कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी से भी कई दौर की पूछताछ हो चुकी है। आज 11 अक्टूबर को भी सुबह से इन सभी के ठिकानों पर रेड की जा रही है। केंद्रीय एजेंसी ने रायपुर के साथ रायगढ़, दुर्ग और महासमुंद में कई जगहों पर छापे मारे। सरकारी अफसरों के साथ ऐसे कारोबारियों को निशाना बनाया गया जो बघेल के करीबी हैं।

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केंद्रीय एजेंसी का दावा है कि पुख्ता सूचना मिलने के बाद ही छापे मारे जा रहे हैं। उनके पास जानकारी है कि छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर गोरखधंधा चल रहा है। सरकार की नाक के नीचे अफसर जमकर गोलमाल कर रहे हैं। इस सारे मामले में कई ऐसे कारोबारी भी शामिल हैं जो कांग्रेस सरकार के करीबी हैं। एजेंसी का दावा है कि उनका कदम पूरी तरह से कानून के दायरे में है।

उधर, सोशल मीडिया पर ईडी की रेड के बाद लोगों ने कांग्रेस सरकार को जमकर निशाने पर लिया। एक शख्स का कहना था कि डरने वाले गंदे काम ना करें। फिर आपको कोई डरा नहीं सकता पर आप है की मानते नहीं। एक यूजर का कहना था कि भूपेश बघेल और विपक्षी गिरगिटों को कई और नया जुमला पेश करने की जरूरत है, क्योंकि ऐसे जुमले सुन-सुन कर जनता बोर हो चुकी है।

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एक यूजर का कहना था कि बीजेपी इन एजेंसियों को वहीं पर एक्टिव करती है जहां चुनाव होना होता है। चुनाव खत्म होने के बाद ये एजेंसियां कहां चली जाती हैं। अगर गोलमाल हो रहा है तो केवल विपक्ष शासित सूबों में क्यों। कर्नाटक में इतने सारे घपले सामने आ रहे हैं लेकिन ये एजेंसियां वहां क्यों नहीं जा रहीं।

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