रेप मामले में गवाहों से पूछे थे वाहियात सवाल, जस्टिस को आया गुस्सा तो सजा को तीन से बढ़ाकर किया सात साल
पांच साल की एक बच्ची से रेप के मामले में आरोपी की तरफ से पेश वकीलों ने गवाहों से जिस तरह के वाहियात सवाल किए, उन्हें देखकर हाईकोर्ट के जस्टिस को गुस्सा आ गया। उन्होंने वकीलों के गिरते स्तर को देखकर चिंता जताई। फिर दोषी की सजा को बढ़ाकर सात साल कर दिया।
मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने आईपीसी की धारा 376, 377 के मामले में ये फैसला सुनाया। पांच साल की बच्ची से रेप के मामले में एक कोर्ट ने आरोपी को तीन साल की सजा सुनाई थी। दोषी ने अपनी सजा के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में अपील की थी। जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने सारे मामले की फाइल को देखा तो उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने गहरी चिंता जताते हुए कहा कि लोअर कोर्ट के वकील क्रास करना जानते ही नहीं हैं।
सीनियर वकील अपने जूनियर्स को बहस करना सिखाए
जस्टिस वेंकटेश का गुस्सा इतना ज्यादा था कि उन्होंने सीनियर वकीलों को परामर्श दिया कि वो लोअर कोर्ट में मौजूद अपने जूनियर्स को सिखाए कि बहस कैसे की जाती है। जस्टिस का कहना था कि बहस का स्तर दिन प्रति दिन गिरता जा रहा है। लोअर कोर्ट का माहौल तो बहुत खराब है।
आरोपी के वकील ने महिला गवाह से पूछे थे वाहियात सवाल
दरअसर जस्टिस वेंकटेश को गुस्सा उस बात पर आया जिसमें पीड़ित बच्ची की तरफ से पेश गवाहों से वाहियात सवाल वकीलों ने पूछे थे। गवाह नंबर छह से सवाल किया गया था कि क्या उसे लगता है कि कीड़े के काटने से कौमार्य भंग हो सकता है। महिला गवाह से इसकी कोर्ट में व्याख्या करने को कहा गया था। जस्टिस का कहना था कि ये सवाल दिखाता है कि वकीलों ने कैसे शारीरिक संरचना के साथ मेडिकल टर्म्स का मजाक बनाया।
उनका कहना था कि इस मामले में कुछ और भी सवाल था जिनका कोई सिर पैर नहीं था। उन्हें देखकर लगता है कि कैसे गवाहों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करके केस को दूसरी शक्ल देने की कोशिश की गई। जस्टिस को इस कदर गुस्सा था कि जो दोषी उनके पास अपनी सजा को बर्खास्त करने की अपील लेकर आया था, उन्होंने उसकी सजा को बढ़ाकर सात साल कर दिया। इस मामले ने सरकार ने सजा को बढ़ाने की अपील की थी।