जजमेंट दिया और भूल गए, ऐसा आदेश रद्दी से ज्यादा कुछ नहीं, जस्टिस ने बताया- कैसे कोर्ट का फैसला हो सकता है असरदार
अदालतों का काम फैसला देना होता है। लेकिन ऐसा आदेश किसी काम का नहीं जिस पर अमल ही नहीं हुआ। मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस का कहना है कि ऐसा आदेश रद्दी पेपर से ज्यादा कुछ नहीं। ऐसा फैसला न भी दिया गया होता तो किसी को कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला था, क्योंकि उस पर काम तो हुआ नही नहीं। जिस चीज के लिए अदालत ने फैसला दिया था वो तो क्रियान्वित ही नहीं हो सकी।
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट से मद्रास हाईकोर्ट में ट्रांसफर होकर आए जस्टिस बट्टू देवानंद ने अपने शपथ गृहण समारोह में कहा कि जज को देखना चाहिए कि जो फैसला दिया गया है उस पर अमल हो। अदालत के पास अपना फैसला लागू करवाने के कई तरीके होते हैं। उन पर अमल होना चाहिए। उनका कहना था कि अदालतों का काम केवल फैसला देने का ही नहीं होना चाहिए। वो अपनी ताकत का इस्तेमाल करें उसे लागू करवाने के लिए।
संविधान में दिखता है डॉ. अंबेडकर और पेरियार के बीच की बातचीत का असर
जस्टिस देवानंद ने शपथ गृहण समारोह में बताया कि कैसे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट मद्रास हाईकोर्ट का ही हिस्सा था। उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि उनके और तमिल एक्टिविस्ट पेरियार के बीच जो वार्तालाप हुआ था वो एक मिसाल है। जस्टिस ने कहा कि दोनों के बीच हुई बातचीत का असर संविधान में दिखता है। उस दौरान जो कुछ हुआ वो संविधान में साफ तौर पर देखा गया।
शपथ गृहण समारोह के दौरान जस्टिस देवानंद भावुक भी हुए। उन्होंने अपने माता-पिता को याद करते हुए कहा कि वो स्कूल में पढ़ाते थे। एक दूर के गांव में वो पले बढ़े, जहां पर सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं था। लेकिन माता पिता ने उन्हें वो सारे गुण दिए जिसकी वजह से वो आज यहां हैं। जस्टिस देवानंद का कहना था कि अगर आज वो प्रतिष्ठत मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस बने तो ये उनके माता-पिता की वजह से है।
जस्टिस देवानंद को मद्रास हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस टी राजा ने शपथ दिलाई। उन्होंने उम्मीद जताई कि जस्टिस देवानंद हर मोर्चे पर खरे उतरेंगे।