RBI Repo Rate: चुनाव के बाद भी EMI में कोई राहत नहीं, आरबीआई ने लगातार 8वीं बार रेपो रेट में नहीं किया बदलाव
RBI Monetary Policy Meeting June 2024: भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार आठवीं बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि हम ‘ग्लोबल साउथ’ में भारतीय रिजर्व बैंक को मॉडल केंद्रीय बैंक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने उदार रुख को वापस लेने के रुख पर कायम रहने का निर्णय किया है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि मुद्रास्फीति वृद्धि संतुलन अनुकूल रूप से आगे बढ़ रहा है।
केंद्रीय बैंक ने खाद्य मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर पर चिंता जताई। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने आगे कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहने से खरीफ उत्पादन बढ़ेगा। इससे जलाशयों में पानी का स्तर भी बढ़ेगा। आरबीआई मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। सामान्य मानसून को देखते हुए चालू वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों तरफ घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
आरबीआई गवर्नर दास ने कहा,'खाद्य मुद्रास्फीति पर नजदीकी नजर रखने की जरूरत है। अगर चालू वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जाती है तो यह लगातार चौथा साल होगा जब वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक होगी। वित्त वर्ष 2023-24 के वित्तीय नतीजों से पता चलता है कि बैंकिंग प्रणाली मजबूत और जुझारू बनी हुई है। वित्त वर्ष 2023-24 के वित्तीय नतीजों से पता चलता है कि बैंकिंग प्रणाली मजबूत और जुझारू बनी हुई है। ग्राहकों का संरक्षण आरबीआई की सर्वोच्च प्राथमिकता है। केंद्रीय बैंक बिना गारंटी वाले कर्ज और अग्रिम को कम करने के लिए और कदम उठाएगा। आपातकालीन जोखिम बफर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि से आरबीआई का बही-खाता और मजबूत होगा।'
शक्तिकांत दास ने आगे कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर धन प्रेषण में 15.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ इस मामले में सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता देश बना हुआ है।
इसके अलावा आरबीआई ने बैंकों में थोक जमा की सीमा दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये की। आरबीआई ने वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात-आयात से संबंधित विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के दिशानिर्देशों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव रखा।