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Kuno से निकल बाघों के बीच पहुंचा चीता ओबान! अधिकारी बोले- अभी रेस्क्यू का प्लान नहीं; बताई यह वजह

नामीबिया से आठ चीते 17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क लाए गए थे, इसके अलावा इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लाया गया था। इनमें से एक की किडनी की समस्या के चलते मौत हो गई।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: संजय दुबे
Updated: April 18, 2023 19:23 IST
kuno से निकल बाघों के बीच पहुंचा चीता ओबान  अधिकारी बोले  अभी रेस्क्यू का प्लान नहीं  बताई यह वजह
मप्र के कुनो नेशनल पार्क में चीतों में से एक। (फोटो: पीटीआई/फाइल) (Photo: PTI/file)
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मध्य प्रदेश के श्योपुर में कूनो नेशनल पार्क (KNP) से भटकने के बाद नर चीता ओबान पड़ोसी शिवपुरी जिले के माधव नेशनल पार्क में जा पहुंचा है। वहां हाल ही में दो बाघों को छोड़ा गया था। एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि पड़ोसी जंगल में चीते का प्रवेश करना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और अभी तक बचाव के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है।

पिछले साल नामीबिया से लाए गए थे आठ चीते

इस महीने अब तक यह दूसरी बार है जब पिछले साल नामीबिया से लाए गए आठ चीतों में से एक पांच साल का ओबान श्योपुर में कूनो नेशनल पार्क से भटक गया था। कूनो नेशनल पार्क का मुख्य क्षेत्र 748 वर्ग किमी है, और इसके आसपास 487 वर्ग किमी का बफर जोन है।

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ओबान दो अप्रैल को कूनो पार्क से बाहर निकला था

एक वन अधिकारी के मुताबिक ओबान रविवार से केएनपी से बाहर है। इससे पहले वह 2 अप्रैल को केएनपी से बाहर निकला था और चार दिन बाद शिवपुरी (Shivpuri) जिले के बैराड (Bairad) से बचाया गया था। केएनपी के प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) प्रकाश कुमार वर्मा ने कहा, "शिवपुरी जिले के माधव नेशनल पार्क (MNP) में मंगलवार को ओबान की गतिविधियां देखी गईं।"

इस साल मार्च में शेर, बाघ, तेंदुआ, हिम तेंदुआ और चीता की आबादी को बढ़ाने के लिए माधव नेशनल पार्क में एक बाघ और बाघिन को छोड़ा गया था। यह पूछे जाने पर कि क्या एमएनपी में बाघों की मौजूदगी से संघर्ष हो सकता है, वर्मा ने कहा, "(माधव) राष्ट्रीय उद्यान में बाघ हैं, लेकिन इससे कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि सभी जानवर खतरे को देखते हुए अपनी रक्षा कर सकते हैं।"

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नामीबिया से आठ चीते 17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क लाए गए थे, इसके अलावा इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लाया गया था। इनमें से एक की किडनी की समस्या के चलते मौत हो गई। देश के आखिरी चीते की मौत वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और इस प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

आज बाघ जीवित रहने वाली सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली बिल्ली प्रजाति का जीव है। एक गोल-मटोल एथलीट, बाघ तेजी से चढ़ सकता है, तैर सकता है, बड़ी दूरी तक छलांग लगा सकता है और एक मजबूत इंसान की तुलना में पांच गुना ताकत रखता है। बाघ उसी समूह (जीनस पैंथेरा) में आता है, जिसमें शेर, तेंदुआ और जगुआर आते हैं।

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