भारत के इस शहर को यूनेस्को ने दिया पहला 'City of Literature' होने का गौरव, जानें क्या है इसका महत्व
केरल के कोझिकोड शहर को रविवार को यूनेस्को ने आधिकारिक तौर पर भारत का पहला 'साहित्य शहर (City of Literature)' घोषित कर दिया। अक्टूबर 2023 में कोझिकोड को 'यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क (UCCN)' की 'साहित्य' श्रेणी में स्थान मिला था। राज्य के स्थानीय स्वशासन विभाग (LSGD) मंत्री एम बी राजेश ने रविवार को एक आधिकारिक कार्यक्रम में कोझिकोड को मिले इस उपलब्धि की जानकारी दी। इसके तहत उसे यूसीसीएन की 'साहित्य' श्रेणी में स्थान मिला है। मंत्री ने कहा कि कोझिकोड नगर निगम के कुशल कामकाज ने कोलकाता जैसे समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास वाले शहर को पीछे छोड़कर यूनेस्को से 'साहित्य के शहर' की उपाधि हासिल की है।
दुनिया के प्रतिष्ठित नगरों की सूची में शामिल हुआ शहर
इस उपलब्धि के साथ ही कोझीकोड दुनिया के कुछ प्रतिष्ठित शहरों की सूची में शामिल हो गया, जिसमें चेक गणराज्य में प्राग, इटली में मिलान, यूनाइटेड किंगडम में एडिनबर्ग, फ्रांस में अंगौलेमे, पाकिस्तान में लाहौर और इंडोनेशिया में जकार्ता शामिल हैं।
हर साल 23 जून को 'साहित्य शहर' दिवस मनाया जाएगा
राज्य सरकार ने ऐलान किया है कि अगले साल से 23 जून को कोझिकोड 'साहित्य शहर' दिवस के रूप में मनाया जाएगा। राज्य के स्थानीय स्वशासन विभाग (LSGD) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस दिन छह श्रेणियों में विशेष पुरस्कारों की घोषणा की जाएगी। कोझीकोड स्व. एस के पोट्टक्कड़ और वैकोम मुहम्मद बशीर जैसे महान साहित्यिक लोगों के लिए जाना जाता है। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पर्यटन मंत्री पी.ए. मोहम्मद रियास ने यूनेस्को द्वारा 'साहित्य के शहर' के लोगो का अनावरण किया।
राज्य के स्थानीय स्वशासन विभाग के मंत्री एम.बी. राजेश ने ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता एम.टी. वासुदेवन नायर के घर गये और कोझिकोड नगर निगम की ओर से स्थापित हीरक जयंती पुरस्कार सौंपा।
दिलचस्प बात यह है कि यह सम्मान राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कालीकट के छात्रों की एक रिपोर्ट के बाद मिला। इसमें क्षेत्र के साहित्यिक इतिहास का दस्तावेजीकरण किया गया था। हाल ही में कोझीकोड की मेयर बीना फिलिप ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "कोझीकोड को 'साहित्य के शहर' के रूप में टैग करने का विचार सबसे पहले अक्टूबर 2021 में केरल स्थानीय प्रशासन संस्थान (KILA) के निदेशक अजीत कालियाथ के मन में आया था। हमने इस पर चर्चा की और एक योजना बनाई।"
यह अध्ययन वास्तुकला और योजना विभाग के सदस्यों द्वारा किया गया था, जिसके प्रमुख मोहम्मद फिरोज ने कहा कि छात्रों ने एक सर्वेक्षण किया, क्षेत्र की साहित्यिक पहुंच का अध्ययन किया, और एक शैक्षणिक परियोजना के हिस्से के रूप में साहित्यिक संपत्तियों, स्थानों और महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों के बारे में दस्तावेज तैयार किए। उन्होंने बताया, "छात्रों ने क्षेत्र में पुस्तकालयों और प्रकाशन गृहों का मैप तैयार किया, और एक बफर विश्लेषण किया। दस्तावेजों का केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने अनुमोदन किया था। बाद में इसे यूनेस्को के सामने प्रस्तुत किया गया।"