scorecardresearch
For the best experience, open
https://m.jansatta.com
on your mobile browser.

NGRI: इस राज्य में मिला दुर्लभ खनिजों का विशाल भंडार; ऊर्जा, एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण, जानिए क्या कहते हैं वैज्ञानिक

Andhra Pradesh Anantapur: एनजीआरआई (National Geophysical Research Institute) के वैज्ञानिक पीवी सुंदर राजू ने कहा कि रेड्डीपल्ले और पेद्दावदागुरु गांवों में अलग-अलग आकार का ज़िरकॉन देखा गया।
Written by: vivek awasthi
Updated: April 04, 2023 15:41 IST
ngri  इस राज्य में मिला दुर्लभ खनिजों का विशाल भंडार  ऊर्जा  एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण  जानिए क्या कहते हैं वैज्ञानिक
देश में 30 से दुर्लभ खनिजों की पहचान की गई है। (Image Credit-Indian Express)
Advertisement

National Geophysical Research Institute: हैदराबाद स्थित नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (National Geophysical Research Institute) ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। NGRI के वैज्ञानिकों को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में 15 दुर्लभ खनिज तत्वों (REEs) के बड़े भंडार मिले हैं। इन दुर्लभ खनिज तत्वों का प्रयोग सेलफोन और टीवी से लेकर कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल और औद्योगिक के लिए महत्वपूर्ण हैं। एनजीआरआई (NGRI) के वैज्ञानिक साइनाइट जैसी गैर-पारंपरिक चट्टानों के लिए एक सर्वेक्षण कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने लैंथेनाइड सीरीज में यह महत्वपूर्ण खोज की। पहचान किए गए तत्वों में एलानाइट, सीरीएट, थोराइट, कोलम्बाइट, टैंटलाइट, एपेटाइट, जिरकोन, मोनाज़ाइट, पायरोक्लोर यूक्सेनाइट और फ्लोराइट शामिल हैं।

वैज्ञानिक पीवी सुंदर राजू ने दी जानकारी

एनजीआरआई (National Geophysical Research Institute) के वैज्ञानिक पीवी सुंदर राजू ने कहा कि रेड्डीपल्ले और पेद्दावदागुरु गांवों में अलग-अलग आकार का ज़िरकॉन देखा गया। उन्होंने कहा कि मोनाजाइट के दानों के भीतर रेडियल दरारों के साथ उच्च-क्रम के कई रंग दिखाई देते हैं, जो रेडियोधर्मी तत्वों की उपस्थिति का संकेत देते हैं। राजू ने बताया कि इन आरईई (Rare Earth Elements) के बारे में अधिक जानने के लिए डीपड्रिलिंग द्वारा अध्ययन किया जाएगा। इन तत्वों का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा, एयरोस्पेस, रक्षा और स्थायी चुम्बकों के निर्माण में भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स का एक प्रमुख घटक - पवन टर्बाइन, जेट विमान और कई अन्य उत्पाद है। REE का व्यापक रूप से उच्च प्रौद्योगिकी में भी उपयोग किया जाता है, क्योंकि उनके ल्यूमिनेसेंट और उत्प्रेरक गुण होते हैं।

Advertisement

एनजीआरआई (National Geophysical Research Institute) के वैज्ञानिकों ने बताया कि आंध्र प्रदेश में अल्कलाइन साइनाइट कॉम्प्लेक्स में मेटलोग्राफी को लेकर आरईई का मूल्यांकन चल रहा है। मेटलोजेनी भूविज्ञान की एक शाखा है जो किसी क्षेत्र के भूवैज्ञानिक इतिहास और उसके खनिज भंडार के बीच संबंधों से संबंधित है। क्षारीय परिसर अनंतपुर जिले में पेलियोप्रोटेरोज़ोइक कडप्पा बेसिन के पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम में स्थित हैं।

अनंतपुर के कई इलाकों में आरईई युक्त खनिजों के क्षेत्र

वैज्ञानिकों ने कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा पहले रिपोर्ट किए गए कई क्षारीय साइनाइट जमाओं को आरईई युक्त खनिजों के लिए नए सिरे से देखा गया था। अनंतपुर और चित्तूर जिलों में दंचेरला, पेद्दावदुगुरु, दंडुवरिपल्ले, रेड्डीपल्ले चिंतलचेर्वू और पुलिकोंडा परिसर इन आरईई युक्त खनिजों के लिए संभावित केंद्र हैं। मुख्य डेंचेरला साइनाइट पिंड अंडाकार आकार का है और इसका कुल क्षेत्रफल 18 वर्ग किमी है। एक वैज्ञानिक ने कहा कि आरईई खनिजीकरण की क्षमता को समझने के लिए तीन सौ नमूनों को और भू-रासायनिक अध्ययन किया गया था।

Advertisement
Advertisement
Tags :
Advertisement
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा एजुकेशन समाचार (Education News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
tlbr_img1 राष्ट्रीय tlbr_img2 ऑडियो tlbr_img3 गैलरी tlbr_img4 वीडियो