अतीक और अशरफ के मामले को देखेगा सुप्रीम कोर्ट, PIL में विकास दुबे समेत 183 एनकाउंटरों का भी जिक्र, 24 को सुनवाई
यूपी के डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हुई हत्या के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत ने एडवोकेट विशाल तिवारी की याचिका पर सुनवाई के लिए 24 अप्रैल की तारीख तय की है। याचिका में कहा गया है कि यूपी पुलिस मनमाने तरीके से काम करके कानून को अपने हाथ में ले रही है। 2017 के बाद 183 अपराधी पुलिस की गोली का शिकार बने हैं।
अतीक और अशरफ की शनिवार रात तकरीबन साढ़े 10 बजे उस वक्त हत्या कर दी गई थी जब पुलिस उन्हें अपनी कस्टडी में लेकर मेडिकल कराने जा रही थी। मीडिया के कैमरों के सामने तीन लोग आते हैं और ताबड़तोड़ गोलियां दागकर दोनों की हत्या कर देते हैं। हालांकि पुलिस ने तीनों आरोपियों को अरेस्ट कर लिया था। लेकिन पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान भी उठ खड़े हुए थे।
अपराधियों को मनमाने तरीके से निशाना बना रही योगी की पुलिस
एडवोकेट विशाल तिवारी का कहना है कि योगी की पुलिस मनमाने तरीके से काम कर रही है। अपराधियों को ऐसे निशाना बनाया जा रहा है जैसे पुलिस फाइनल अथॉरिटी है। अदालतों का काम भी पुलिस ने अपने हाथ में ले रखा है। उनका कहना है कि पुलिस ने मनमाने तरीके से काम करते हुए 2017 के बाद से 183 अपराधियों का मौके पर ही फैसला कर दिया। उनकी दलील है कि ऐसे में अदालतों की जरूरत ही क्या रहेगी।
पुलिस का काम है कि वो अपराधी को गिरफ्तार करके कोर्ट के सामने पेश करे। उनकी जो भी जांच है उसे अदालत के सामने रखा जाए। अदालत साक्ष्यों को देखने के बाद अपराधी के खिलाफ केस चलाने का फैसला करती है। उसके बाद गवाहों और सबूतों के आधार पर उसे सजा सुनाई जाती है। लेकिन यहां तो उलटा ही हो रहा है। अपराधी को कोर्ट तक पहुंचने ही नहीं दिया जा रहा है। ये तरीका लोकतंत्र के लिए बेहद घातक है।
2020 में विकास दुबे के एनकाउंटर का भी PIL में जिक्र
विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में कानपुर के विकास दुबे एनकाउंटर का तफसील से जिक्र किया है। उनका कहना है कि 2020 में उज्जैन की कोर्ट में पेशी के बाद विकास दुबे को कानपुर लाते समय पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने रिटायर जस्टिस बीएस चौहान की अगुवाई में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। उसने भी विकास दुबे एनकाउंटर को लेकर पुलिस पर तीखे सवाल खड़े किए थे।