ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की उम्र कितनी? नहीं मिला जवाब तो भड़का हाईकोर्ट, ASI के DG को दिया आखिरी मौका
ज्ञानवापी मस्जिद में मिला शिवलिंग वास्तविक रूप से कितना पुराना है। इस सवाल का जवाब हासिल करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को फरमान जारी किया था। उनसे पूछा गया था कि क्या शिवलिंग की उम्र का पता लगाने का कोई सुरक्षित तरीका उनके पास है। लेकिन कई तारीखों के बाद भी ASI की डायरेक्टर जनरल अपना जवाब दाखिल नहीं कर सकीं तो हाईकोर्ट का गुस्सा भड़क गया। डायरेक्टर जनरल को जवाब देने के लिए आखिरी मौका दिया गया है।
जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा-1 की बेंच ने ASI की डायरेक्टर जनरल को फटकार लगाते हुए कहा कि और कितने मौके दिए जाए। आपको बार-बार कहा जा रहा है कि शिवलिंग के बारे में सच्चाई से सारा देश अवगत होना चाहता है। क्या आप कार्बन डेटिंग के जरिये पता लगा सकती हैं कि शिवलिंग की उम्र कितनी है। इसके बाद इस विवाद पर कोर्ट अपना कोई फैसला दे सकती है। लेकिन आपका रवैया तो बेहद गैर जिम्मेदाराना दिख रहा है।
जज ने कहा कि 17 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करें DG
हाईकोर्ट ने ASI की डायरेक्टर जनरल वी विद्यावती को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक आखिरी मौका दिया। जज ने कहा कि 17 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करें। जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा का कहना था कि डायरेक्टर जनरल का रवैया निराश करने वाला है। उनका कहना था कि नवंबर 2022 से वो उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन ASI की तरफ से पेश वकील हर बार कुछ और समय मांगकर चले जाते हैं।
वाराणसी की कोर्ट ने कर दिया था शिवलिंग की जांच कराने से इनकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट एक रिवीजन पटीशन की सुनवाई कर रहा है। इसमें वाराणसी कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने एक याचिका को खारिज करते हुए शिवलिंग की जांच कराने का आदेश देने से इनकार कर दिया था। 14 अक्टूबर 2022 को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर कहा कि अगर कार्बन डेटिंग के जरिये शिवलिंग की वास्तविकता पता लगाने की कोशिश भी की गई तो उसे नुकसान पहुंच सकता है।
वाराणसी कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि शिवलिंग की सही उम्र का पता लगने से कोर्ट किसी ठोस नतीजे पर पहुंच सकती है। ये मामला काफी सुर्खियों में रहा है। हिंदू पक्ष मस्जिद में मिली आकृति को शिवलिंग बता रहा है। जबकि मुस्लिम पक्ष की तरफ से अंजुमन मस्जिद कमेटी का कहना है कि ये शिवलिंग नहीं बल्कि एक फव्वारा है।