उत्तराखंड: काशी विश्वनाथ की तर्ज पर हर की पैड़ी गलियारा बनाने की योजना पर अब भी भ्रम की स्थिति
उत्तराखंड के प्रवेश द्वार हरिद्वार में हर की पैड़ी पर काशी विश्वनाथ की तर्ज पर गलियारा बनाने की योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए जहां हरिद्वार जिला प्रशासन और राज्य सरकार मुस्तैदी के साथ कार्य कर रही है वहीं कुछ धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं भ्रम की स्थिति में हैं। हर की पैड़ी की प्रबंध कारिणी संस्था के श्रीगंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष राम कुमार मिश्रा ने हर की पैड़ी गलियारा को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खुला पत्र लिखा है।
वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने गलियारा का प्रबल विरोध किया
हर की पैड़ी गलियारा का मामला उस समय चर्चा में आया जब पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने हरिद्वार दौरे के दौरान इसे बनाने का प्रबल विरोध किया। उन्होंने कहा कि हरकी पैड़ी पर गलियारा बनाने का कोई औचित्य ही नहीं है। केवल अच्छी सड़कें बन जाएं इतना ही काफी है। स्वामी ने कहा कि हर की पैड़ी पर गलियारा बनाने की जानकारी उनके संज्ञान में आई है। बनारस में काशी विश्वनाथ गलियारा के लिए कई मंदिरों को तोड़ना पड़ा, इसलिए हरिद्वार में ऐसा कुछ न हो, इसका विरोध करता हूं। जिन अधिकारियों ने भी योजना के बारे में सोचा है मुख्यमंत्री उन्हें समझाएं कि ये करना पवित्र भूमि को ठेस पहुंचाने के बराबर होगा।
पुष्कर सिंह धामी सरकार की कैबिनेट ने प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति दी है
हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण ने बोर्ड की बैठक में हर की पैड़ी कारिडोर का प्रस्ताव पारित कर शासन को भेजा। इस प्रस्ताव पुष्कर सिंह धामी सरकार की कैबिनेट ने सैद्धांतिक की सहमति दी है। दरअसल हरिद्वार में कुंभ मेले के समय तीर्थ यात्रियों की इतनी जबरदस्त भीड़ आती है। मौजूदा हर की पैड़ी और उसके आसपास के गंगा घाटों में उस भीड़ को नियंत्रित करने में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है। अधिकारियों का कहना है कि गलियारा बनने के बाद यह क्षेत्र बड़ा आकार लेगा और कुंभ मेला तथा अन्य मेलों में तीर्थयात्री आसानी से सुरक्षित रूप से स्रान कर सकेंगे।
हरिद्वार के जिलाधिकारी और हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विनय शंकर पांडेय का कहना है कि प्रशासन का काम स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा प्रदान करना है। अभी हर की पैड़ी गलियारा का मामला शुरुआती चरण में है। इस परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए एक सलाहकार नियुक्त किया जाना है।
हर की पैड़ी कारिडोर परियोजना के तहत पांच परियोजनाएं शामिल हैं। जिनमें हर की पैड़ी, कनखल, सती कुंड, संन्यास मार्ग, भूपतवाला के अलावा मनसा देवी और चंडी देवी क्षेत्र को विकसित करने की योजना है। वर्ष 2024 में इस परियोजना पर काम शुरू होने की उम्मीद है। परियोजना के प्रारूप को तैयार करने से पहले हर की पैड़ी की प्रबंध कारिणी संस्था श्रीगंगा सभा, अखाड़ा परिषद तथा स्थानीय लोगों से सलाह ली जाएगी और कारिडोर का क्या स्वरूप रखा जाए जिस पर विस्तृत चर्चा होगी।
उधर, गंगा सभा हरिद्वार के पूर्व अध्यक्ष और तीर्थ पुरोहित रामकुमार मिश्रा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हर की पैड़ी गलियारे को लेकर खुला पत्र भेजा है और जिस में प्रमुखता के साथ कई बिंदु उठाए हैं। मिश्रा ने अपने पत्र में लिखा है कि हर की पैड़ी के एक और मां श्री गंगा प्रवाहमान हैं। उसके बाद नीलधारा व मां चंडीदेवी का पौराणिक मंदिर है, वहीं दूसरी और मां श्री मंशादेवी का प्रसिद्ध पौराणिक मंदिर है।
केंद्र सरकार काशी विश्वनाथ की तर्ज पर हर की पैड़ी के लिए गलियारा बनाने की योजना ला रही है। हमारे लिए यह समझना आवश्यक है की काशी विश्वनाथ मंदिर में आने-जाने के लिए बहुत छोटी-छोटी व संकरी गलियां थी, उसके अलावा गंगा घाट से भी आने का कोई साधन नहीं था। परंतु हर की पैड़ी की परिस्थिति बिल्कुल भिन्न है।
हर कुंभ में हरकी पैड़ी पर आवागमन के लिए अस्थायी चार लोहे के पुल निर्मित किए जाते हैं। विशिष्ट घाट के निकट से भी पुल बनाकर हर की पैड़ी पर आवागमन सुरक्षित व दुर्घटना रहित बनाया जा सकता है। मालवीय द्वीप घाट को पंतद्वीप घाट से जोड़कर प्लेटफार्म बढ़ाया जा सकता है। जिस प्रकार भीमगोड़ा से कांगड़ा पुल तक घाट बना है, उसी प्रकार हर की पैड़ी से मायापुर तक बने हुए भवनों के आगे एक विशाल घाट का निर्माण कराया जा सकता है, जो हर की पैड़ी आवागमन के लिए कारगर व सुरक्षित तो रहेगा ही, साथ ही हरिद्वार की पौराणिकता भी बनी रहेगी एवं हजारों लाखों लोग उजड़ने से बचेंगे।
हर की पैड़ी के आसपास के क्षेत्र में सब्जी मंडी,विष्णु घाट, मायापुर तक अनेक भवन बने हुए जिसमें बाहर से आने वाले तीर्थयात्री श्रद्धालु निवास करते हैं। अगर इन भवनों को तोड़ दिया गया तो सबसे अधिक हानि अनादि काल से हरिद्वार के मूल निवासी पुरोहित समाज को होनी निश्चित है, जिनकी गद्दी हर की पैड़ी व कुशा घाट पर बनी हुई हैं। यह भी विचारणीय है, पुरोहिताई का कार्य व्यापार नहीं है। एक अनादि काल से चली आ रही धार्मिक व सनातन धर्म को मानने वालों के आस्था व विश्वास की परंपरा का विषय है।
कोई भी योजना बनाने से पहले हरिद्वार की प्राचीनता, भौगोलिकता,धार्मिकता का भी विचार किया जाना आवश्यक है। श्रीगंगा सभा के मौजूदा अध्यक्ष नितिन गौतम का कहना है कि हर की पैड़ी कारिडोर परियोजना को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया है कि सभी धार्मिक संस्थाओं, व्यापारियों व साधु संतों के संग बैठक कर सुझाव मांगे जाएंगे और गैर कानूनी रूप से कब्जा करने वाले लोगों को हटाया जाएगा। जो जनहित में होगा वही किया जाएगा, कारिडोर का प्रारूप सामने आने पर ही श्रीगंगा सभा अपनी अधिकृत प्रतिक्रिया देगी।