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Paper Leaks: पेपर लीक रोकने के लिए योगी सरकार ला रही सख्त अध्यादेश, 1990 के दशक के यूपी के ऐसे ही कानूनों पर एक नजर

Paper Leaks: इससे पहले, 1998 से ही पेपर लीक और परीक्षाओं में अनुचित साधनों के इस्तेमाल के खिलाफ यूपी कानून पहले से ही मौजूद था, जिसे उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 1998' कहा जाता है, जिसे कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा लाया गया था।
Written by: मनीष साहू
Updated: June 30, 2024 15:08 IST
paper leaks  पेपर लीक रोकने के लिए योगी सरकार ला रही सख्त अध्यादेश  1990 के दशक के यूपी के ऐसे ही कानूनों पर एक नजर
Yogi Govt Ordinance To Curb Paper Leaks: पेपर लीक को रोकने के लिए योगी सरकार लाने जा रही है सख्त अध्यादेश। (एक्सप्रेस)
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Paper Leaks: योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने राज्य में सार्वजनिक परीक्षाओं में पेपर लीक और अन्य ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए कड़े प्रावधानों का प्रस्ताव करने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। बताया जा रहा है कि यह अध्यादेश इस साल यूपी में पुलिस कांस्टेबल और समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) की भर्ती के लिए हुई परीक्षाओं में पेपर लीक होने के मद्देनजर लाया गया है। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को दोनों परीक्षाएं रद्द करनी पड़ीं।

इससे पहले, 1998 से ही पेपर लीक और परीक्षाओं में अनुचित साधनों के इस्तेमाल के खिलाफ यूपी कानून पहले से ही मौजूद था, जिसे उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 1998' कहा जाता है, जिसे कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा लाया गया था। तब से इस अधिनियम को पेपर लीक और भर्ती और परीक्षाओं से जुड़े अन्य ऐसे अपराधों से संबंधित मामलों में लागू किया जाता है। 1998 के अधिनियम के तहत किसी भी सार्वजनिक परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करते हुए पकड़े गए परीक्षार्थी को तीन महीने तक के कारावास, दो हजार रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता था।

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इस अपराध को संज्ञेय और जमानती श्रेणी (Cognisable and Bailable) में रखा गया है। इसके अलावा, जो कोई भी इसके प्रावधानों का उल्लंघन करता है, उल्लंघन करने का प्रयास करता है या उल्लंघन को बढ़ावा देता है - जैसे प्रश्नपत्रों का अनधिकृत कब्ज़ा और पाया जाना, परीक्षा कार्य के लिए सौंपे गए व्यक्तियों द्वारा सूचना लीक करना,परीक्षा केंद्रों पर अनधिकृत व्यक्तियों का प्रवेश,परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाओं के कर्मचारियों द्वारा परीक्षार्थियों की सहायता करना और सार्वजनिक परीक्षाओं के लिए निर्दिष्ट परीक्षा केंद्रों के अलावा अन्य स्थानों का उपयोग करना - उसे एक वर्ष तक की कैद या 5,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इन अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती श्रेणी में रखा गया है। इस अधिनियम में हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं के साथ-साथ किसी भी विश्वविद्यालय या किसी अन्य बोर्ड या उत्तर प्रदेश अधिनियम द्वारा या उसके तहत स्थापित निकाय द्वारा आयोजित परीक्षाएं शामिल थीं।

कानून को और अधिक सख्त बनाने तथा पेपर लीक और सॉल्वर गिरोह जैसे अन्य पहलुओं को कवर करने के लिए योगी सरकार ने अब उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अध्यादेश 2024 को मंजूरी दे दी है, जिसमें सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित व्यवहार और पेपर लीक में शामिल लोगों के लिए आजीवन कारावास और अधिकतम 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।

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मौजूदा पेपर लीक मामलों की जांच से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'हमें ऐसे लोगों के लिए सख्त सजा वाले कानून की जरूरत थी। चूंकि पहले का कानून पर्याप्त सख्त नहीं था, इसलिए हमें अपने मामले को मजबूत बनाने के लिए आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धाराएं जोड़नी पड़ीं।' उन्होंने कहा, 'पहले के अधिनियम के तहत कई अपराधों का उल्लेख नहीं था, जैसे बाहरी लोगों द्वारा पेपर लीक करना और सॉल्वर गिरोह बनाना।'

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दिलचस्प बात यह है कि कल्याण सिंह सरकार ने भी 1992 में पेपर लीक विरोधी कानून पारित किया था, जिसे 1993 में सत्ता में आने के बाद मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार ने खत्म कर दिया था। हालांकि, जब 1998 में कल्याण सिंह सरकार सत्ता में लौटी तो इसे मामूली बदलावों के साथ फिर से लाया गया।

आदित्यनाथ कैबिनेट द्वारा लाए गए मौजूदा अध्यादेश में जेल की सजा और जुर्माने के अलावा इसमें शामिल पाए जाने वालों की संपत्ति जब्त करने का भी प्रावधान किया गया है। इसमें फर्जी प्रश्नपत्रों के वितरण और फर्जी रोजगार वेबसाइट बनाने को भी अपराध माना गया है और इन अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना गया है।

अध्यादेश में यूपी लोक सेवा आयोग, यूपी अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड, यूपी बोर्ड, राज्य विश्वविद्यालयों के साथ-साथ उनके द्वारा नामित प्राधिकरणों, निकायों या एजेंसियों द्वारा आयोजित परीक्षाओं को शामिल किया गया है। इसमें सरकारी नौकरियों में नियमितीकरण और पदोन्नति के लिए होने वाली परीक्षाओं को भी शामिल किया गया है।

अध्यादेश के तहत, यदि कोई परीक्षा प्रभावित होती है तो इसके कारण होने वाले वित्तीय बोझ की वसूली संबंधित व्यक्ति से की जाएगी। परीक्षाओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने के लिए दोषी पाए जाने वाली कंपनियों और सेवा प्रदाताओं को हमेशा के लिए ब्लैक लिस्ट में डालने का भी प्रावधान किया गया है। इन अपराधों की सुनवाई सत्र न्यायालयों में की जाएगी और इनमें समझौता नहीं किया जा सकेगा। इसमें जमानत के लिए भी सख्त प्रावधान हैं।

यूपी राज्य विधि आयोग ने पिछले साल सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित गतिविधियों को रोकने के लिए अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। रिपोर्ट तैयार करने से पहले आयोग ने सार्वजनिक परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल और सॉल्वर-गैंग की गतिविधियों को रोकने के लिए राज्य और अन्य राज्यों में प्रचलित कानूनों का गहन अध्ययन किया। आयोग ने पेपर लीक के बढ़ते मामलों का स्वतः संज्ञान लिया और तदनुसार रिपोर्ट तैयार की।

विधि आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट तैयार करने के लिए उन्होंने जम्मू-कश्मीर, राजस्थान , आंध्र प्रदेश , छत्तीसगढ़ , हरियाणा और उत्तराखंड जैसे विभिन्न राज्यों के विधायी उपायों की समीक्षा की।

संयोग से, पिछले साल उत्तराखंड सरकार द्वारा लाया गया अध्यादेश 'उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों के प्रयोग एवं रोकथाम के उपाय) अध्यादेश 2023' में आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है, हालांकि यह केवल प्रतियोगी परीक्षाओं पर लागू है, स्कूल या कॉलेज की परीक्षाओं पर नहीं।

इस बीच, NEET और NET जैसी परीक्षाओं में कथित पेपर लीक और अनियमितताओं को लेकर बढ़ते विवाद के बीच, केंद्र ने 24 जून को सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 को लागू करने के लिए आवश्यक नियमों को अधिसूचित किया। फरवरी में संसद द्वारा पारित धोखाधड़ी विरोधी कानून जिसमें 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और अधिकतम 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है।

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