'पैरों की धूल लेने दौड़ रहे थे लोग, बाबा के निजी ब्लैक कमांडो ना होते तो...', हाथरस हादसे पर SDM ने सौंपी रिपोर्ट
Hathras Stampede SDM Report: हाथरस हादसे को लेकर सिंकदरा राव के सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) रविंद्र कुमार ने अपनी रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भोले बाबा के सत्संग में 2 लाख से ज़्यादा लोगों की भीड़ आई थी, बाबा सत्संग के बाद बाहर निकले तो पब्लिक उनके पीछे दौड़ने लगी। बाबा के पैरों की धूल उठाने के चक्कर में लोगों में भगदड़ मच गई है। जिसमें मंगलवार को 121 लोग मारे गए। सूत्रों ने बताया कि एसडीएम की यह रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण मानी जाएगी, क्योंकि इसी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। जिसको मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा जाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार, जैसे ही बाबा कार्यक्रम स्थल से निकले। भक्तगण उनकी एक झलक पाने के लिए उनके वाहन की ओर दौड़ पड़े। कई लोगों ने उनके पैरों की धूल लेने की कोशिश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे ही भीड़ बढ़ी, बाबा के निजी सुरक्षा में शामिल लोगों ने पीछे धकेलने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे, जिसके कारण धक्का-मुक्की और अराजकता की स्थिति पैदा हो गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, हाथरस के फुलरई गांव में भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि का सत्संग तय था। बाबा दोपहर करीब 12.30 बजे पंडाल पहुंचे और कार्यक्रम करीब एक घंटे तक चला। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, 'भोले बाबा दोपहर करीब 1.40 बजे पंडाल से निकलकर एटा की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 91 पर चले गए। जब भोले बाबा बाहर निकले तो वहां आए पुरुष, महिलाएं और बच्चे उनके पैरों की धूल को अपने माथे पर लगाने लगे। जीटी रोड के किनारे और बीच सड़क पर डिवाइडर पर उनकी एक झलक पाने के लिए पहले से ही भारी भीड़ मौजूद थी।'
कुमार बताते हैं कि जब बाबा आगे बढ़े, तो उनके पीछे चल रहे भक्तों के साथ-साथ सड़क और डिवाइडर के किनारे खड़े लोग भी उनकी एक झलक पाने के लिए उनकी गाड़ी की ओर दौड़ने लगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह देखकर बाबा के “निजी ब्लैक कमांडो” और “सेवादार” ने भीड़ को पीछे धकेलना शुरू कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ भक्त गिर गए, लेकिन भीड़ आगे बढ़ती रही, जिससे अराजकता फैल गई।
एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अफरा-तफरी से बचने के लिए श्रद्धालुओं ने पंडाल के सामने खुले मैदानों में जाने की कोशिश की, लेकिन मैदान का रास्ता फिसलन भरा था। इसलिए जब भीड़ खुले मैदानों की ओर भागने की कोशिश कर रही थी तो ज़्यादातर श्रद्धालु गिर गए। कुमार की रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग गिरे, वे फिर से उठ नहीं पाए, क्योंकि सड़क से भीड़ उन्हें कुचलते हुए मैदानों की ओर भागने लगी, जिससे कई महिलाएं, पुरुष और बच्चे घायल हो गए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घायलों को घटनास्थल पर मौजूद राजस्व और पुलिस अधिकारियों की मदद से एम्बुलेंस और अन्य उपलब्ध वाहनों से पड़ोसी अस्पतालों और सिकंदराराऊ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया।
कुमार की रिपोर्ट के अनुसार, मृतकों में से 89 को स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने मृत घोषित कर दिया, जबकि बाकी को इलाज के लिए एटा जिले में भेजा गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, 23 लोग घायल हुए हैं जिनका इलाज हाथरस के साथ-साथ अलीगढ़ के पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल और अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।
बुधवार सुबह राहत आयुक्त लखनऊ कार्यालय ने भगदड़ में मृतकों और घायलों पर अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया कि मरने वालों की संख्या 121 हो गई है, जिनमें से छह शव अज्ञात हैं। मरने वालों में तीन पुरुषों के अलावा मुख्य रूप से महिलाएँ और कुछ बच्चे हैं। इस बीच, 28 लोगों का अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है।