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Hathras Stampede: 'मेरी मां का शव आगरा में था, भाभी का हाथरस में और भतीजी का अलीगढ़ में… पूरा परिवार खत्म हो गया'

Hathras Stampede: सिंह ने कहा, 'मैं सड़कों, राजमार्गों, अस्पतालों में दौड़ रहा था। मुझे नहीं पता था कि वे वास्तव में कहां हैं। मैं सफेद सूट पहने हर व्यक्ति से पूछता था - चाहे वह डॉक्टर हो या कोई अस्पताल कर्मचारी - क्या उन्होंने मेरे परिवार के सदस्यों को देखा है।' पढ़ें, धीरज मिश्रा और नीतिका झा की रिपोर्ट।
Written by: न्यूज डेस्क
Updated: July 04, 2024 07:47 IST
hathras stampede   मेरी मां का शव आगरा में था  भाभी का हाथरस में और भतीजी का अलीगढ़ में… पूरा परिवार खत्म हो गया
Hathras Stampede: बुधवार को हाथरस में पीड़ितों के शोकाकुल परिजन। (Express photo by Abhinav Saha)
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Hathras Stampede: हाथरस के सोखना गांव के दिहाड़ी मजदूर 31 वर्षीय प्रताप सिंह के लिए मंगलवार का दिन सामान्य दिन की तरह शुरू हुआ। वह सुबह-सुबह काम पर निकल गया और उसे नहीं पता था कि उसकी बुजुर्ग मां,उसकी नौ वर्षीय भतीजी सहित दो अन्य परिवार के सदस्यों के साथ फुलराई गांव में सत्संग के लिए निकल जाएगी।

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दोपहर करीब 3 बजे सिंह का फोन बार-बार बजने लगा। उन्होंने कुछ कॉल को अनदेखा किया और जब उन्होंने एक कॉल उठाया तो उन्हें एक दुखद समाचार मिला। उनकी 70 वर्षीय मां जयमंती देवी, 42 साल की भाभी राजकुमारी और नौ वर्षीय भतीजी भूमि सभी लापता थीं। उन्हें बताया गया कि वे स्थानीय प्रवचनकर्ता नारायण साकार विश्व हरि उर्फ ​​'भोले बाबा' के सत्संग में शामिल होने गई थीं और कार्यक्रम स्थल पर भगदड़ मच गई।

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इस अफरातफरी में उनके परिवार के तीनों सदस्य एक दूसरे से बिछड़ गए। जब ​​तक सिंह को उनके ठिकाने के बारे में पता चलता, तीनों की मौत हो चुकी थी और उनके शव तीन अलग-अलग जिलों में पहुंच चुके थे।

सिंह ने कहा, "मैं सड़कों, राजमार्गों, अस्पतालों में दौड़ रहा था। मुझे नहीं पता था कि वे वास्तव में कहां हैं। मैं सफेद सूट पहने हर व्यक्ति से पूछता था - चाहे वह डॉक्टर हो या कोई अस्पताल कर्मचारी - क्या उन्होंने मेरे परिवार के सदस्यों को देखा है।"

सिंह ने बताया, 'मंगलवार देर रात को ही मेरे गांव के एक व्यक्ति का फोन आया कि उसे वॉट्सऐप पर मेरी मां की फोटो मिली है और वह आगरा के एक अस्पताल में हैं। मुझे उम्मीद की किरण दिखी, लेकिन जल्द ही उस व्यक्ति ने फिर फोन करके बताया कि सरकारी एंबुलेंस उनकी बॉडी लेकर आ रही है। मेरी छोटी भतीजी भूमि का शव अलीगढ़ में और मेरी भाभी का शव हाथरस में मिला। पूरा परिवार ही खत्म हो गया। मेरे भाई के तीन और बच्चे हैं, अब वह कैसे जिंदा रहेंगे?"

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गांव की एक अन्य निवासी 32 वर्षीय रिंकू अपनी चाची सोन देवी के सोखना में अंतिम संस्कार के बाद अभी-अभी घर पहुंची हैं। देवी अपने दो भतीजों के साथ सत्संग में शामिल हुई थीं। भगदड़ में दो लोग तो बच गए, लेकिन सोन देवी अपनी जान बचाने के लिए भाग नहीं पाई। रिंकू को उनका शव खेत में मिला। सोखना से करीब 50 किलोमीटर दूर दोंकेली में बुधवार रात करीब 9 बजे कमलेश देवी (22) और उनकी छह महीने की बेटी चंचल का अंतिम संस्कार किया गया। उनके शव हाथरस जिला अस्पताल से वहां लाए गए थे। दोंकेली में दोपहर से ही बारिश हो रही है।

चंचल के शव को दफनाने के लिए गीली मिट्टी खोदी गई, जबकि उसकी मां की चिता महज 100 मीटर दूर एक आम के पेड़ के पास जली। कमलेश की शादी तीन साल पहले दोंकेली के लाला राम से हुई थी जो एक खेतिहर मजदूर है और उसकी दो बेटियां हैं। उसकी ढाई साल की बेटियां राम और लक्ष्मी दोनों ही चिता को दर्द से देखती रहीं जिसे वे बयां नहीं कर पा रही थीं।

(धीरज मिश्रा और नीतिका झा की रिपोर्ट)

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