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Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी पर करें ॐ जय जगदीश हरे…आरती, साथ ही पढ़ें विष्णु मंत्र, होंगे हर काम सिद्ध

Yogini Ekadashi 2024, Vishnu Ji Aarti And Mantra Lyrics in Hindi: योगिनी एकादशी पर विष्णु जी की पूजा करने के साथ-साथ अंत में इस आरती और मंत्र का जरूर पाठ कर लें।
Written by: Shivani Singh
नई दिल्ली | July 02, 2024 10:47 IST
Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी में करें विष्णु आरती और मंत्र
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Vishnu Ji Aarti And Mantra Lyrics in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। ऐसे ही आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जानते हैं। आज इस व्रत को रखा जा रहा है। 2 जुलाई को रखा जाने वाले इस व्रत में भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत करने का विधान है। आज के दिन विष्णु जी की पूजा करने के साथ मां लक्ष्मी और पीपल के पेड़ की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि आज के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और सुख-समृद्धि , धन-संपदा की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज के दिन भगवान विष्णु की विधिवनत पूजा करने के साथ अंत में विष्णु जी आरती करने के साथ-साथ इन मंत्रों का जरूर जाप करना चाहिए। आइए जानते हैं विष्णु जी की संपूर्ण आरती के साथ मंत्र के बारे में…

योगिनी एकादशी शुभ योग (Yogini Ekadashi 2024 Shubh Yog)

हिंदू पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं। आज सर्वार्थसिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग, धृति योग, शिववास योग, कौलव करण योग और गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है।

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भगवान विष्णु जी की आरती…

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

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जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

भगवान विष्णु के मंत्र

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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