वृंदावन से जरूर लेकर आएं ये 2 चीज, हर दुख-दर्द होगा दूर, हर काम में मिलेगी सफलता
Vrindavan: मथुरा के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां पर स्थिति ठाकुर जी के 7 मंदिरों में से है। हर रोज बांके बिहारी के दर्शन के लिए हजारों लोग पहुंचते है। बांके बिहारी के कई रहस्य है, जो हर किसी को अचंभित कर देते है। वृंदावन और मथुरा श्री कृष्ण की लीलाओं से परिपूर्ण है। जहां जाने मात्र से आपका मन कृष्णमय हो जाता है। बांके बिहारी के दर्शन करने के बाद यहां पर स्थिति यमुना तट, श्री राधावल्लभ जी, श्री गोविंद देव जी आदि के दर्शन करते हैं। ऐसे में कई लोगों ब्रज रज के दर्शन करने के साथ अपने पूरे शरीर में लगाते हैं। बता दें कि ब्रज रज ब्रज की मिट्टी को कहा जाता है। ब्रज रज का काफी अधिक महत्व है। मान्यता है कि इसे अपने शरीर में लगाने मात्र से हर रोग-दोष दूर हो जाता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। कई लोगों का मानना है कि ब्रज रज घर लाना शुभ माना जाता है, तो कई पंडितों का मानना है कि ब्रज रज लाना शुभ माना जाता है। अगर आप भी वृंदावन गए हैं, तो इन दो चीजों को लाने शुभ माना जाता है…
वृंदावन से घर लाएं ये 2 चीजें
ब्रज की रज
कई पंडितों का मानना है कि जब भी वृंदावन आए, तो थोड़ी सी बज्र रज को लेकर जाना चाहिए। इसे अपने घर पर उस स्थान पर रख दें। जहां पर ठाकुर जी का स्थान हो। रोजाना स्नान आदि करने के बाद यह रज अपने माथे और थोड़ी सी मुंह में डाल लें। मान्यता है कि ऐसा करने से हर रोग-दोष दूर हो जाता है। इसके साथ ही अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। इसके साथ ही श्री कृष्ण और रादा रानी की कृपा से हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
कई पंडितों का मानना है कि वृंदावन से ब्रज की रज लाना काफी शुभ माना जाता है। इसी मिट्टी में भगवान श्री कृष्ण से बाल्यकाल में कई लीलाएं की है। इतना ही इसे प्रसाद के रूप में भी मानते हैं, क्योंकि यह एक ऐसा प्रसाद है जिसे ब्रजवासियों को भगवान ने दिया है। यह प्रसाद जन्म जन्मांतर तक दूषित नहीं होगा और न ही इसका कभी अंत होगा। इस जगह पर स्वयं श्री कृष्ण और राधा रानी से वास किया है। ऐसे में यहां ही मिट्टी किसी अमृत से कम नहीं है। ब्रज की रज को लेकर आने को लेकर दो मत है। कुछ पंडितों का मानना है कि इसे घर ले जाना चाहिए। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इसे सभी देवी-देवता होने के साथ वर्षों तक तपस्या करते हुए ऋषि इस रज में मिलने की कामना रखते हैं। ऐसे में जब आप इस रज को अपने घर ले जाते हैं, तो इससे वह रुष्ट हो जाते हैं।
यमुना का जल
पंडितों का कहना है कि जिस तरह गंगा का जल पवित्र है। उसी तरह वृंदावन से थोड़ा सा यमुना का जल अवश्य ले जाना चाहिए, क्योंकि स्वयं श्री कृष्ण ने इसी यमुना जी में कई लीलाएं की है।
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