Shani Jayanti 2024: शुभ योग में शनि जयंती, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और आरती
Shani Jayanti 2024: हर साल ज्येष्ठ मास की अमावसया तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। इसी के कारण इसे शनि जन्मोत्सव और शनि जयंती के रूप में मनाते हैं। माना जाता है कि इस दिन शनि देव की विधिवत पूजा करने से शनि दोष, साढ़े साती, ढैय्या, शनि की महादशा से छुटकारा मिल जाता है। आइए जानते हैं शनि जयंती का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि सहित अन्य जानकारी...
शनि साढ़े साती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए करें ये उपाय
शनि जयंती तिथि और शुभ मुहूर्त (Shani Jayanti 2024 Muhurat)
हिंदू पंचांग के मुताबिक, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून 2024 को शाम 7 बजकर 53 मिनट पर होगी, जो 6 जून को शाम 6 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी। इस साल शनि जयंती पर शश राजयोग के साथ गजकेसरी योग, मालव्य राजयोग, बुधादित्य, लक्ष्मी नारायण जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है।
शनि जयंती पूजा विधि (Shani Jayanti 2024 Puja Vidhi)
शनि जयंती के दिन भगवान शनि की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। अब शनि मंदिर जाकर सरसों का तेल अर्पित करें। सुबह नहीं जा सकते हैं, तो शाम के समय चले जाएं। शनिदेव को फूल, माला चढ़ाने के साथ के साथ शनि स्त्रोत, शनि चालीसा, शनि मंत्र के साथ अंत में आरती कर लें।
शनि मंत्र (Shani Mantra)
शनि बीज मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः।
शनि महामंत्र- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
शनि का वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
शनि गायत्री मंत्र- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
तांत्रिक शनि मंत्र- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
शनि दोष निवारण मंत्र- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।
शनि स्त्रोत (Shani Jayanti Stotra)
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।
शनि आरती (Shani Aarti)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
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