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Nirjala Ekadashi 2024: त्रिपुष्कर योग में निर्जला एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, पारण का समय और आरती

Nirjala Ekadashi Vrat 2024: निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में से श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और हर पाप से मुक्ति मिल जाती है।
Written by: Shivani Singh
नई दिल्ली | Updated: June 18, 2024 10:20 IST
Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी मुहूर्त, पूजा विधि सहित अन्य जानकारी
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Nirjala Ekadashi 2024 Date: आज निर्जला एकादशी का व्रतरखा जा रहा है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का काफी अधिक महत्व है। साल भर में कुल 24 एकादशी पड़ती है जिसमें से निर्जला एकादशी काफी खास मानी जाती है। इस एकादशी को सबसे कठोर एकादशी कहा जाता है, क्योंकि इसमें खाने के साथ जल पीने की मनाही होती है। इसी के कारण इसे सर्वश्रेष्ठ एकादशी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी, भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi 2024) के नाम से जानते हैं। इस बार निर्जला एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, शुभ योग, पारण का समय और आरती…

कब है निर्जला एकादशी 2024? (Nirjala Ekadashi 2024 Date)

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ- 17 जून को सुबह 04 बजकर 42 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 18 जून को सुबह 06 बजकर 23 मिनट तक

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निर्जला एकादशी 2024 पारण का समय (Nirjala Ekadashi 2024 Date)

निर्जला एकादशी के पारण का समय 19 जून को सुबह 5 बजकर 21 मिनट से 7 बजकर 28 मिनट तक है।

निर्जला एकादशी 2024 शुभ योग (Nirjala Ekadashi 2024 Shubh Yog)

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार निर्जला एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन दोपहर 3 बजकर 46 मिनट से लेकर 5 बजकर 45 मिनट तक त्रिपुष्कर योग रहेगा। इसके साथ ही सूर्योदय से लेकर रात 9 बजकर 38 मिनट तक शिव योग रहेगा। इसके अलावा ग्रहों की स्थिति के हिसाब से बुधादित्य, शुक्रादित्य, त्रिग्रही योग, शश राजयोग, मालिका राजयोग, मालव्य जैसे राजयोगों का भी निर्णाण हो रहा है।

निर्जला एकादशी 2024 पूजा विधि (Nirjala Ekadashi 2024 Puja Vidhi)

एकादशी तिथि को सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। अब एक तांबे लोटे में जल, फूल, सिंदूर आदि डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर व्रत लेने का संकल्प लें। इसके बाद इसे भगवान को चढ़ा दें। इसके बाद पूजा शुरू करें। एक लकड़ी की चौकी में पीला रंग का वस्त्र बिछाकर विष्णु जी की तस्वीर या फिर मूर्ति रखें। इसके बाद जल, फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत चढ़ाने के बाद भोग लगाएं। इसके साथ ही तुलसी दल चढ़ाएं। फिर घी का दीपक और धूप जलाकर विष्णु मंत्र (Vishnu Mantra) , विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa) के साथ एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha) का पाठ कर लें। अंत में आरती कर लेँ। दिनभर निर्जला व्रत रखें और दूसरे दिन पारण के समय अपने व्रत को खोल लें।

श्री विष्णु मंत्र (Shri Vishnu Mantra)

1- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
3- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
4- ॐ विष्णवे नम:
5- ॐ हूं विष्णवे नम:
6- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
7- लक्ष्मी विनायक मंत्र –
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

श्री विष्णु आरती (Shri Vishnu Aarti)

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।

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