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Lord Ganesha Puja: भगवान गणेश की आरती करने के बाद बोल दें ये 3 शब्द, होगा भाग्योदय, जीवन में बनी रहेगी खुशहाली

Lord Ganesha Puja: गणेश पुराण के अनुसार, गणपति जी को प्रसन्न करना बहुत असाना है। अगर उनकी पूजा विधिवत तरीके से की जाए। आइए जानते हैं आरती करने के बाद कौन से शब्द बोलना होगा शुभ...
Written by: Shivani Singh
नई दिल्ली | June 19, 2024 14:16 IST
lord ganesha puja  भगवान गणेश की आरती करने के बाद बोल दें ये 3 शब्द  होगा भाग्योदय  जीवन में बनी रहेगी खुशहाली
गणपति की पूजा करने के बाद बोलें ये शब्द । (Insta/unofficial_shalz)
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Lord Ganesha Puja: हिंदू धर्म में देवी-देवता की पूजा करने का विशेष महत्व है। अपने दिन की शुरुआत अपने आराध्य की आराधना करने के साथ शुरू करते हैं। किसी भी मांगलिक और शुभ काम करने से पहले गणपति जी की पूजा करने का विधान है। प्रथम पूज्य गणपति की पूजा करने से वह जल्द प्रसन्न होते हैं और आपकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। लेकिन वह अगर क्रोधित हो जाएं, तो राजा को भी रंक बनाने का सामर्थ्य रखते हैं। शिव पुराण, गणेश पुराण में भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने के तरीकों को विस्तार से बताया गया है। अगर आप चाहे तो सच्चे मन से साधारण तरीके गणपति बप्पा की पूजा करें और अंत में आरती के समय इन शब्दों का उच्चारण कर दें, तो आपकी पूजा भी गणपति जी स्वीकार कर लेते हैं। आइए जानते हैं गणेश जी की पूजा करते समय किन तीन शब्दों को बोलना होगा शुभ…

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शिव पुराण, गणेश पुराण, मुद्गल पुराण में लिखा है कि भगवान गणेश की पूजा करते समय वह किसी भी समय आपके घर आ जाते हैं।  ऐसे में जब आप गणेश उत्सव के दौरान घर में गणपति की स्थापना करते हैं, तो वह किसी भी समय, पल आपके घर आ जाते हैं। लेकिन उस समय आपको पता ही नहीं चलता है। ऐसे में आप गणपति बप्पा की जब भी पूजा करने के बाद गणेश आरती करें लें, तो इसके बाद अज्ञारी जरूर करें।

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गणपति पूजा के बाद बोलें ये शब्द

जब आप भगवान गणेश की आरती (Ganesha Aarti) कर लें, तो आज्ञारी जरूर करें। इसके लिए एक गाय के गोबर के कंडे यानी उपला को जला लें। इसके बाद इसमें थोड़ी सी गुग्गल डालने के साथ ही ‘धुम्रवर्ण विनायक बैठो’ बोल दें। माना जाता है कि ऐसा करने से गणपति बप्पा आपकी पूजा जरूर स्वीकार करते हैं और सुख-समृद्धि, खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं।

कौन से धुम्रवर्ण ?

गणेश पुराण के अनुसार, धूम्रवर्ण भगवान गणेश का नाम ही एक नाम है। बता दें  कि धुम्रवर्ण 8 अवतारों में से एक माना जाता है। इस अवतार में भगवान गणेश ने अंहतासुर नामक दैत्य का सर्वनाश किया था।

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गणेश आरती (Ganesha Aarti)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
भगवान गणेश की जय, पार्वती के लल्ला की जय

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डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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