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Kajari Teej 2024: इस साल कब पड़ रही है कजरी तीज? जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

Kajari Teej 2024 Date: कजरी तीज के दिन मां पार्वती और शिव जी की पूजा करने के साथ नीमड़ी देवी की पूजा की जाती हैं और शां को चांद को अर्घ्य देने के साथ व्रत खोलते हैं।
Written by: Shivani Singh
नई दिल्ली | July 05, 2024 10:00 IST
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Kajari Teej 2024 Date: कजरी तीज की सही डेट से लेकर हर एक जानकारी
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Kajari Teej 2024 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में तीन बार तीज का त्योहार मनाया जाता है जिसे कजरी तीज, हरियाली तीज और हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है। हर एक तीज का अपना-अपना महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के दिन कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को हरियाली तीज की तरह की सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य क लिए व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इसके बाद शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपने व्रत को खोलती है। आइए जानते हैं इस साल कब पड़ रही है कजरी तीज? साथ ही जानें धार्मिक महत्व और आरती…

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कब है कजरी तीज 2024? (Kajari Teej 2024 Date)

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ- 21 अगस्त को शाम 5 बजकर 9 मिनट पर शुरू
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 22 अगस्त 2024 को दोपहर 01 बजकर 48 मिनट पर

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कजरी 2024 तिथि- उदया तिथि के हिसाब से कजरी तीज का पर्व 22 अगस्त 2024 को मनाया जा रहा है।

कजरी तीज 2024 पूजा मुहूर्त (Kajari Teej 2024 Shubh Muhurat)

सुबह का मुहूर्त - 22 अगस्त को सुबह 5 बजकर 52 मिनट से 7 बजकर 29 मिनट तक
दोपहर का शुभ मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से 3 बजकर 37 मिनट तक

कजरी तीज 2024 महत्व (Kajari Teej 2024 Significance)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहले मां पार्वती से कजरी तीज का व्रत रखा था। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। इसके साथ ही कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं। करवा चौथ की तरह इस दिन व्रत रखा जाता है और शाम को चांद को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है।

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कई जगहों पर कजरी तीज के दिन नीम के पेड़ की पूजा करने का विधान है। मान्यता है इस पेड़ में नीमड़ी माता का निवास स्थान होता है।

कजरी तीज आरती (Kajari Teej Aarti)

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।। जय पार्वती माता।।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय पार्वती माता।।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा।
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।। जय पार्वती माता।।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता।।
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।।
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।। जय पार्वती माता।।
शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता।
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।। जय पार्वती माता।।
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता। जय पार्वती माता।।
देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली मन में रंगराता।। जय पार्वती माता।।
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।। जय पार्वती माता।।

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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