Apara Ekadashi 2024: 2 या 3 जून कब है अपरा एकादशी? जानें सही तिथि, मुहूर्त, पारण का समय और मंत्र
Apara Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। काल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। जिस सालमें अधिक मास होता है, तो उस साल 26 एकादशी पड़ती है। ऐसे में हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी पड़ती है। ऐसे ही ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जानके हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ उपवास करने से व्यक्ति को हर दुख-दर्द से निजात मिल जाती है और सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्रााप्ति होती है। इस एकादशी को अचला एकादशी, जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से भी जानते हैं। आइए जानते हैं अपरा एकादशी की तिथि, मुहूर्त और महत्व…
अपरा एकादशी 2024 तिथि (Apara Ekadashi 2024)
हिंदू पंचांग के अनुसार, अपरा एकादशी का आरंभ 2 जून 2024 की सुबह 5 बजकर 4 मिनट पर हो रहा है,जो 3 जून 2024 की रात 2 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत 2 जून को रखा जाएगा।
अपरा एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त (Apara Ekadashi 2024 Shubh Muhurat)
इस बार अपरा एकादशी पर रविवार के साथ आयुष्मान योग लग रहा है। इस शुभ योग में पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। बता दें कि इस दिन आयुष्मान योग सुबह 5 बजक 23 मिनट से दोपहर 12 बजर 12 मिनट के बीच पूजा करना लाभकारी होगा।
अपरा एकादशी व्रत 2024 पारण का समय (Apara Ekadashi 2024 Paran Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, अपरा एकादशी व्रत का पारण 3 जून 2024, सोमवार को सुबह 08 बजकर 05 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट के बीच किया जाएगा।
अपरा एकादशी 2024 महत्व (Apara Ekadashi 2024 Significance)
अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी और सूर्य देव की पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को हर तरह के दुखों से छुटकारा मिल जाता है और सुख-समृद्दि की प्राप्ति होती है। हर क्षेत्र में सफलता के साथ-साथ धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है।
अपरा एकादशी के दिन करें इन मंत्रों का जाप (Apara Ekadashi 2024 Mantra)
विष्णु मूल मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥
भगवते वासुदेवाय मंत्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
श्री विष्णु मंत्र
मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।
मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥
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