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UP: पुलिस ने नाबालिग पर ही लगा दिया गैंगस्टर, परिजनों ने हाईकोर्ट से लगाई गुहार

पुलिस का कहना है कि आरोपी लुटेरे के जेल जाने से लेकर जमानत तक कहीं भी उसके परिजनों ने नाबालिग होने का कोई दावा नहीं किया।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: संजय दुबे
नई दिल्ली | Updated: May 25, 2024 10:01 IST
up  पुलिस ने नाबालिग पर ही लगा दिया गैंगस्टर  परिजनों ने हाईकोर्ट से लगाई गुहार
पुलिस का कहना है कि उसने परिजनों से उम्र संबंधी प्रमाण मांगा था, लेकिन तब वे नहीं दिये।
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यूपी के गोरखपुर में एक आपराधिक केस में लुटेरों के लीडर के खिलाफ पुलिस के गैंगस्टर का केस दर्ज करने पर हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया। इस मामले में परिजनों ने कोर्ट में हाईस्कूल की मार्कशीट को पेश कर दावा किया कि घटना के वक्त वह नाबालिग था। लिहाजा उस पर गैंगस्टर केस नहीं दर्ज किया जा सकता है। जबकि पुलिस का कहना है कि उसने परिजनों से उसकी उम्र संबंधी प्रमाणपत्र मांगा था, लेकिन तब घर वालों ने उसको यह नहीं उपलब्ध कराये। बाद में पुलिस ने ग्राम सचिव के जरिए कुटुंब रजिस्टर से नकल हासिल कर आरोपी की उम्र का निर्धारण किया था और उम्र 21 साल दर्शाया गया। इसके बाद उस पर गैंगस्टर का केस दर्ज किया गया था।

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गोरखपुर के खजनी इलाके में 2022 में लूट की घटना हुई थी

गोरखपुर के खजनी इलाके में 2022 में लूट की एक घटना हुई थी। इस मामले की जांच के दौरान खजनी थाने की पुलिस ने आरोपी की उम्र संबंधी प्रमाणपत्र पता लगाने की कोशिश की थी। आरोप है कि तब उसके परिजनों ने पुलिस को कोई प्रमाणपत्र नहीं उपलब्ध कराया था। पुलिस ने ग्राम सचिव से कुटुंब रजिस्टर की कापी लेकर उसके आधार पर उसे बालिग पाते हुए केस दर्ज किया था।

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पुलिस का आरोप- बालिग की तरह परिजनों ने कराई थी जमानत

पुलिस का यह भी कहना है कि आरोपी लुटेरे के जेल जाने से लेकर जमानत तक कहीं भी उसके परिजनों ने नाबालिग होने का कोई दावा नहीं किया। बालिग की तरह उसकी जमानत भी कराई। गैंगस्टर की कार्रवाई के लिए पुलिस ने उम्र के रिकार्ड से जुड़ी चीज हासिल करने का प्रयास किया तो आरोप है कि घरवालों से कोई सहयोग नहीं मिला। लेकिन अब वह उसके घटना के वक्त नाबालिग होने का दावा करते हुए प्रमाणपत्र लेकर हाईकोर्ट पहुंच गये। हाईकोर्ट ने उसे घटना के वक्त नाबालिग मानते हुए उसके खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई रोक दी।

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि केवल इसलिए कि किसी व्यक्ति का नाम किसी अपराध में नहीं लिया गया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उस पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। न्यायालय ने धनशोधन मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

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