शिमला की जीत कांग्रेस के लिए उत्साह बढ़ाने वाली
पांच महीने पहले कांग्रेस ने हिमाचल जीता और अब हिमाचल का दिल कहे जाने वाले शिमला को भी जीत लिया। शिमला नगर निगम के चुनावों में पहली बार किसी दल को सबसे अधिक सीटें मिली। विवादों में फंस कर 11 महीने देरी से तथा प्रदेश में सता परिवर्तन के एकदम बाद हुए इन चुनावों में कांग्रेस ने 34 में से 24 सीटें हासिल करके नया कीर्तिमान कायम किया। इससे पहले कभी किसी दल को इतनी सीटें शिमला नगर निगम में नहीं मिली थी।
विधानसभा चुनाव में मिली हार से पस्त हुई भाजपा को महज नौ सीटें मिलीं जो उसकी राजनीतिक सेहत के लिए काफी नुकसानदायक माना जा रहा है। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 11 दिसंबर 2022 को सत्ता संभाली थी और शिमला नगर निगम के चुनाव उनके लिए पहली परीक्षा की तरह थे। चूंकि ठीक एक साल बाद लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में इन चुनावों से पहले मिली कोई भी जीत किसी उत्साह से कम नहीं है।
यह बात अलग है कि निगम चुनावों व लोकसभा चुनावों में मुद्दे बिल्कुल अलग-अलग होते हैं और लोगों के वोट देने का नजरिया भी अलग होता है। फिर भी जिस बड़े आंकड़े के साथ कांग्रेस ने शिमला नगर निगम का चुनाव जीता, जिसमें कभी सत्ता संभालने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को महज एक और राष्ट्रीय दर्जा हासिल करके देश में छा जाने का सपना देख रही आम आदमी पार्टी का खाता तक नहीं खुला, में कांग्रेस की इस जीत को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
2019 के लोकसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश में सभी चारों सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। भले ही बाद में मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन से खाली हुई मंडी सीट पर कांग्रेस की प्रतिभा सिंह काबिज हो गई थीं। ऐसे में भाजपा को 2014 व 2019 का 4-0 वाला परिणाम दोहराने की एक बड़ी चुनौती हिमाचल प्रदेश में है।
भाजपा ने सत्ता में रहते हुए पहले सभी चारों उपचुनाव हारे, फिर विधानसभा चुनाव भी सीटों के बड़े अंतर से हारा और अब नगर निगम शिमला जो प्रदेश की राजधानी है, जहां प्रदेश के हर कोने का मतदाता रहता है, वह भी रिकार्ड अंतर से हार गई। ऐसे में केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के लिए लोकसभा चुनाव में हिमाचल को जीतना एक बड़ी चुनौती रहेगा क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होगी और इसके साथ ही इसे जीत की खुराक भी मिलेगी।
नगर निगम की जीत प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार के लिए अतिरिक्त लाभ की तरह है। अब इसे सुक्खू सरकार किस तरह इस्तेमाल करके क्या इसका असर एक साल यानी मई 2024 जब लोकसभा के चुनाव होंगे तब तक रख पाएगी कि बार बार हारने से सबक लेकर भाजपा लोकसभा में पलटवार करके सुक्खू सरकार को चारों खाने चित करेगी, इसी पर चर्चा शुरू होगी।
संगठन को दुरुस्त करने में जुटी भाजपा
भाजपा ने बार बार हार से सबक लेकर अपने संगठन में बड़ा फेरबदल तो शुरू कर दिया है। नगर निगम शिमला के चुनावों की प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्रदेशाध्यक्ष व संगठन महामंत्री बदल दिया गया। सांसद सुरेश कश्यप को हटाकर तेजतर्रार नेता ड राजीव बिंदल को अध्यक्ष बना दिया, संगठन महामंत्री के लिए दिल्ली से सिद्धार्थन को लाया गया और अब पूरे प्रदेश में बदलाव की तैयारी है।
भाजपा की यह कवायद लोकसभा चुनावों को देखते हुए ही मानी जा रही है। अपने को दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बताने वाली भाजपा हिमाचल प्रदेश को किसी भी हालत में खोना नहीं चाहती मगर एक के बाद एक हार से अब सारा ध्यान लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर ही टिका दिया गया है। देखना होगा कि इस चुनावी साल में दो दलों में सत्ता की बांट करने वाले इस प्रदेश में दोनों क्या रणनीति अपनाते हैं।