मायावती की रणनीति BJP-इंडिया गठबंधन के लिए बन रही चुनौती, जानें बचे हुए 4 चरणों के लिए क्या है BSP का प्लान
बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार अभियान में जुटी हुई हैं। चुनाव के पहले तीन चरणों के लिए अपने प्रचार अभियान में मायावती ने दलितों, मुसलमानों, जाटों, ब्राह्मणों और ठाकुरों सहित सभी समुदायों तक पहुंच बनाई है।
मायावती ने अपनी रैलियों में भाजपा और यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधना शुरू कर दिया है। यह उनके पिछले कुछ सालों के रुख से भी अलग है, जब वे विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर निशाना साधती थीं और सत्तारूढ़ खेमे पर हमला करने से कतराती थीं। 2014 के बाद मायावती कम रैलियां करती थीं लेकिन अबकी बार वह अधिक रैलियां कर रही हैं।
4 चरणों के लिए BSP का प्लान
मायावती पहले उस क्षेत्र की कई सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में एक ही जगह पर संयुक्त रैलियों को संबोधित करती थीं। लेकिन इस बार वह व्यक्तिगत उम्मीदवारों के लिए भी रैलियां कर रही हैं। उनके भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद भी इसमें शामिल हो गए हैं। दोनों ने सोमवार तक पूरे उत्तर प्रदेश में 13-13 रैलियां की हैं। यानी उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग रैलियां करना अगले चार चरण में बीएसपी की रणनीति है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों के लिए पहले चरण में मायावती ने पांच रैलियों को संबोधित किया और आकाश आनंद ने दो लोकसभा क्षेत्रों में रैलियां कीं।
दूसरे चरण में जिन आठ सीटों पर मतदान हुआ, वहां मायावती और आकाश दोनों ने पांच-पांच रैलियों को संबोधित किया। वहीं तीसरे चरण की 10 सीटों के लिए मायावती ने आगरा और सपा के गढ़ मैनपुरी और बदायूं सहित तीन सीटों पर रैलियों को संबोधित किया। आकाश ने आगरा और हाथरस में रैलियों को संबोधित किया। 4 मई को मायावती ने दलित बहुल आगरा सीट पर एक सभा को संबोधित किया, जहां उन्होंने जाटवों और गैर-जाटव दलितों के बीच एकता की आवश्यकता पर जोर दिया।
सभी जातियों के वोटों पर है नजर
जाटवों को बीएसपी का मुख्य आधार माना जाता है, लेकिन गैर-जाटव दलितों का एक वर्ग बीजेपी का समर्थन करने के लिए जाना जाता है। यूपी की आबादी में दलितों की हिस्सेदारी 21% है, जिनमें से 54% जाटव हैं। आगरा (बीएसपी ने जाटव उम्मीदवार पूजा अमरोही को उतारा है) में अपनी रैली में मायावती ने कहा कि उन्होंने आरक्षित सीटों पर विभिन्न अनुसूचित जाति (एससी) समूहों के नेताओं को मैदान में उतारा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल आगरा के मेयर चुनाव में उनकी पार्टी ने वाल्मीकि (गैर-जाटव) समुदाय की एक महिला नेता को मैदान में उतारा था।
मायावती ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हाथरस लोकसभा सीट पर धनगर समुदाय से एक उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। बसपा ने फतेहपुर सीकरी निर्वाचन क्षेत्र से एक ब्राह्मण उम्मीदवार राम निवास शर्मा को भी मैदान में उतारा है।"
मुस्लिमों को भी साध रहीं मायावती
इस चुनाव में अपनी पहली रैली में मायावती ने (जिसे उन्होंने 11 अप्रैल को महाराष्ट्र के नागपुर में संबोधित किया) मुस्लिम मतदाताओं से संपर्क साधा और उन्हें भरोसा दिलाया कि जब उनकी पार्टी सत्ता में आएगी तो पिछले कई सालों से मुसलमानों पर हो रहा अत्याचार खत्म हो जाएगा। 14 अप्रैल को मायावती ने सहारनपुर और कैराना सीटों से पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में सहारनपुर में एक रैली को संबोधित किया। उन्होंने सभा में कहा कि जब भी उनकी पार्टी मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारती है, तो कांग्रेस या अन्य विपक्षी दल भी अल्पसंख्यक समुदाय से उम्मीदवार उतारते हैं।
मायावती ने कहा, ‘‘अब भी कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवार (इमरान मसूद) को मैदान में उतारा है लेकिन वह जानते हैं कि वह नहीं जीतेंगे क्योंकि कांग्रेस के पास अन्य वोट नहीं हैं।" सहारनपुर में बसपा ने स्थानीय नेता माजिद अली को मैदान में उतारा है।
मायावती ने दावा किया कि बसपा के समर्थन में दलितों के साथ-साथ मुस्लिम भी शामिल हैं, इसलिए माजिद अली को क्षत्रिय (ठाकुर) समुदाय के वोट भी मिलेंगे, क्योंकि पार्टी ने कैराना सीट से क्षत्रिय नेता (श्रीपाल) को मैदान में उतारा है। मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं से अपील की कि वे अपने वोट न बंटने दें और बसपा के पक्ष में एकजुट हों। उन्होंने कहा, "अगर मुस्लिम वोट बंटते हैं और उसका छोटा हिस्सा भी कांग्रेस को जाता है, तो इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। अगर आप भाजपा को हराना चाहते हैं, तो आपको बसपा उम्मीदवार का पूरा समर्थन करना चाहिए।"
जाट-मुस्लिम भाईचारा का किया जिक्र
मुजफ्फरनगर की अपनी रैली में मायावती ने कहा, "सालों से यहां जाटों और मुसलमानों के बीच भाईचारा बना हुआ था, जो समाजवादी पार्टी के शासनकाल में टूट गया।" उन्होंने कहा कि बीएसपी ने मुजफ्फरनगर में प्रजापति समाज (ओबीसी) के उम्मीदवार को टिकट दिया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पड़ोसी बिजनौर लोकसभा सीट के कुछ विधानसभा क्षेत्र मुजफ्फरनगर जिले में हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने जाटों और मुसलमानों के बीच भाईचारा बनाए रखने के लिए बिजनौर से जाट उम्मीदवार (विजेंद्र सिंह) को टिकट दिया है।
मायावती ने यह भी कहा कि मुजफ्फरनगर में मुस्लिम चेहरा उतारना उनकी दिली तमन्ना है, लेकिन समुदाय से कोई भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ क्योंकि सपा और भाजपा सहित अन्य दलों ने जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय को प्रतिनिधित्व देने के लिए बसपा ने उत्तराखंड में पड़ोसी हरिद्वार सीट से स्थानीय मुस्लिम मौलाना जमील अहमद को मैदान में उतारा है।
15 अप्रैल को मुरादाबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने अल्पसंख्यक चेहरा न उतारने के लिए एसपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "मुरादाबाद में, जहां मुस्लिम आबादी सबसे ज़्यादा है, एसपी ने एक गैर-मुस्लिम उम्मीदवार (रुचि वीरा) को टिकट दिया है। यह एसपी की संस्कृति है।"
पीएम मोदी भी मायावती के निशाने पर
पीलीभीत में एक रैली में मायावती ने मुफ्त राशन योजना को लेकर भाजपा और आरएसएस के साथ-साथ पीएम मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "मैं आपको बताना चाहती हूं कि यह नमक मोदी का नहीं है। इसमें मोदी की कोई मेहरबानी नहीं है। जनता टैक्स देती है, उसी पैसे से आपको नमक, दाल, चावल और आटा दिया जा रहा है। यह आपके ही टैक्स के पैसे से है।"
चंद्रशेखर आजाद और भीम आर्मी भी निशाने पर
नगीना सीट से चुनाव लड़ रहे भीम आर्मी के संस्थापक और आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद का ज़िक्र किए बिना मायावती ने दलित मतदाताओं को सावधान करने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और बीजेपी जैसे बीएसपी के विरोधियों ने चुनाव में बीएसपी के दलित वोट आधार में सेंध लगाने के लिए विभिन्न संगठन बनाने के लिए हाथ मिला लिया है। उन्होंने कहा कि हम नगीना में यह देख रहे हैं। मायावती ने आरोप लगाया कि ऐसे संगठनों का उद्देश्य चुनाव जीतना नहीं बल्कि बीएसपी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाना है।