scorecardresearch
For the best experience, open
https://m.jansatta.com
on your mobile browser.

हिमाचल की मंडी का सलाना मेला संपन्न, एक झील में हो रही है पैसों की बरसात

कमरूनाग झील पूरी तरह से नोटों से लबालब हो गई है। रविवार को छुट्टी का दिन होने के कारण बच्चे, बूढ़े जवान, युवक युवतियां, महिला पुरुष यहां पर पहुंचे। दर्शनों के लिए कतारें लगी रहीं। झील, जिसे श्रद्धालु देवता का स्वरूप मानते हैं, में मन्नत के तौर पर श्रद्धालु करंसी, सिक्के, गहने आदि अर्पित करते हैं। गहने व सिक्के तो झील के गर्भ में तह तक समा जाते हैं, मगर नोट झील के पानी पर तैरते हुए साफ दिखते हैं।
Written by: बीरबल शर्मा
नई दिल्ली | Updated: June 26, 2024 06:51 IST
हिमाचल की मंडी का सलाना मेला संपन्न  एक झील में हो रही है पैसों की बरसात
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित कमरूनाग झील इस समय श्रद्धालुओं से भरा हुआ है।
Advertisement

हिमाचल प्रदेश के मंडी जनपद के बड़ा देओ कमरूनाग में जनसैलाब का दौर जारी है। हालांकि यहां पर पहली आषाढ़ यानी 14 जून को सालाना सारानाहुली मेला संपन्न हो चुका है, मगर इसका श्रद्धालुओं के आने जाने पर कोई असर नहीं हुआ।

Advertisement

सिर्फ मंडी जिले से ही नहीं, बल्कि हमीरपुर, बिलासपुर, कुल्लू व प्रदेश के अन्य जिलों के अलावा दूसरे प्रांतों से भी लाखों लोगों ने एक ही दिन में इस स्थल पर हाजिरी भरी। सुबह चार बजे से ही लोगों का आना जाना शुरू हो रहा है जो पूरा दिन अनवरत चला रहता है। रोहांडा से पैदल या फिर चैलचौक मंढोगलू, शाला, जाच्छ या जहल से जाने वाले सभी रास्तोें से हजारों वाहनों के माध्यम से पहुंचे श्रद्धालुओं व पर्यटकों से पटे रहे। जंगलों के बीच जहां भी खाली जगह नजर आती वाहन ही वाहन नजर आते रहे। वाहनों की तादाद इतनी हो गई कि सड़कें छोटी पड़ गई और घंटों तक जाम लगा रहा। यूं शाला, मंढागलू, जाच्छ व जहल से कमरूनाग की सीमा तक जा रही सड़कों की हालत इतनी दयनीय है कि सैकड़ों वाहन तो रास्ते में भी हांफ रहे हैं और श्रद्धालुओं को मीलों पैदल ही पहाड़ नापने पड़ रहे हैं। सड़कें नालों की तरह बन गई है। ताकतवर गाड़ियां किसी तरह कमरूनाग की सीमा तक पहुंच भी रही हैं मगर जरा सी बारिश हो जाने पर यह सड़कें जानलेवा बन रही हैं।

Advertisement

इधर, कमरूनाग झील पूरी तरह से नोटों से लबालब हो गई है। रविवार को छुट्टी का दिन होने के कारण बच्चे, बूढ़े जवान, युवक युवतियां, महिला पुरुष यहां पर पहुंचे। दर्शनों के कतारें लगी रहीं। इस झील जिसे श्रद्धालु देवता का स्वरूप मानते हैं, में मन्नत के तौर पर श्रद्धालु करंसी, सिक्के, गहने आदि अर्पित करते हैं। गहने व सिक्के तो झील के गर्भ में तह तक समा जाते हैं, मगर नोट झील के पानी पर तैरते हुए साफ दिखते हैं। मैदानी इलाकों में पड़ रही प्रचंड गर्मी का कमाल है या श्रद्धाभाव मगर जिस तरह से समुद्रतल से नौ हजार फुट की ऊंचाई पर देवता कमरूनाग की इस झील परिसर में इन दिनों नजारा है वह अकल्पनीय, अद्भुत, रोमांचक, आकर्षक व हैरानीजनक है।

सभी रास्तों पर जनसैलाब जैसे माहोल बना हुआ है। देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित कमरूनाग परिसर की सीमा परिसर के चारों ओर डेढ़ किलोमीटर से शुरू हो जाती है से बाहर दानी लोगों व संगठनों ने लंगर भंडारे भी लगा दिए हैं। लोगों की प्रदेश सरकार, मंडी जिला व गोहर उपमंडल प्रशासन से मांग है कि इस मंदिर में रोजाना करोड़ों रुपए का चढ़ावा चढ़ रहा है। इसकी महिमा पूरे देश में होने लगी है। श्रद्धालुओं व धार्मिक पर्यटकों की तादाद में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार मिला है। स्थानीय किसान बागवानों के उत्पाद पलम, सेब, आड़ू, खुरमानी, फ्रांसबीन, आलू, गोभी, लींगड़, मटर, फूल आदि सड़कों के किनारे घरों के पास ही बिकने लगे हैं, ऐसे में इस तक पहुंचने वाली खस्ताहाल सड़कों को सही कर दिया जाए। मंढोगलू, शाला, जाच्छ व जहल आदि से जो भी संपर्क सड़कें यहां तक बनी हैं उनकी हालत को सुधारा जाए। यहां लोगों को बेहद परेशानी उठानी पड़ रही है। कम से कम ऐसे पर्यटक व धार्मिक स्थलों के लिए जाने वाली सड़कों को प्राथमिकता दी जाए ताकि धार्मिक पर्यटन में और अधिक बढ़ोतरी हो।

Advertisement

Advertisement
Advertisement
Tags :
Advertisement
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा एजुकेशन समाचार (Education News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
×
tlbr_img1 Shorts tlbr_img2 खेल tlbr_img3 LIVE TV tlbr_img4 फ़ोटो tlbr_img5 वीडियो