हिमाचल प्रदेश: चंडीगढ़ से मनाली का सफर अब महज छह से सात घंटे में
पहाड़ी क्षेत्र हिमाचल प्रदेश में सड़कों को जीवन रेखा की संज्ञा दी जाती है। इस पहाड़ी क्षेत्र में सड़कों का यूं तो जाल बिछ चुका है मगर नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया यानी एनएचएआइ के माध्यम से बन रही फोर लेन ने प्रदेश की तस्वीर ही बदल डाली है। परवाणु से शिमला, चंडीगढ़ कीरतपुर से मनाली और पठानकोट से मंडी व मटौर कांगड़ा से शिमला के लिए इन दिनों फोरलेन का काम युद्ध स्तर पर जारी है। इसमें चंडीगढ़ से कीरतपुर मनाली फोरलेन का अधिकांश भाग बन कर तैयार हो गया है जो जून महीने से विधिवत शुरू हो रहा है। इस फोरलेन के बनने से प्रदेश के मध्य भाग की तकदीर व तस्वीर ही बदल गई है।
चंडीगढ़ से मनाली पहुंचने के लिए जो पर्यटक व अन्य लोग अपने या सार्वजनिक परिवहन से 10 से 12 घंटों में पहुंचते थे, वे अब 6 से 7 घंटे में पहुंच जाएंगे या फिर यूं कहिए कि पहुंचने लगे हैं। सबसे बड़ी बात की इस फोरलेन सारा थकाऊ सफर ही खत्म कर दिया है। चढ़ाई पर रेंग रेंग कर वाहनों को चलाना अब बीते जमाने की बात हो गई है। उतार और चढ़ाई की जगह पर इस मार्ग पर बन चुकी 12 से अधिक निर्माण की अद्भुत निशानी बन चुकी सुरंगों ने ले ली है। न कोई जाम न वाहनों की लंबी कतार, सब खत्म।
सुहाने व रोमांचक सफर की शुरुआत कीरतपुर से आगे बढ़ते गड़ामोड़ के पास कैंची मोड़ जहां से प्रसिद्ध शक्ति पीठ नयना देवी माता के लिए सड़क जाती है, के पास बनी पहली सुरंग जो दो किलोमीटर लंबी है, यानी स्वारघाट की चढ़ाई व आगे उतार का झंझट खत्म। सुरंग का प्रवेश द्वार किसी पर्यटन स्थल की तरह सजा दिया गया है ताकि हिमाचल आने वाले पर्यटकों को एक रोमांचक व अतिथि देवो भव:, वाले माहौल का एहसास हो। कुछ ही पलों में इस सुरंग को पार करके 65 किलोमीटर दायरे में फैली भाखड़ा बांध की झील के दर्शन होने लगते हैं जिसे अब गोबिंद सागर बांध कहा जाता है।
पुरानी सड़क से हटकर नए क्षेत्र में सतलुज नदी पर बने बांध की इस झील के सुंदर नजारे के साथ यह फोरलेन एक के बाद एक सुरंग को पार करके बिलासपुर के सामने से गुजरते हुए मंडी जिले के डैहर में प्रवेश करती है। जब तक पहले वाले कष्टदायी, थकाऊ, तंग सड़क वाले सफर की याद आती है, तब तक इस फोरलेन से पर्यटक अपने वाहन से हवा में बातें करते हुए मंडी की सड़कों को नापना शुरू कर देता है और सुंदरनगर, बल्ह घाटी से होते हुए छोटी काशी मंडी के पास फिर से दो जुड़वां सुरंगों के रोमांच से दो चार होते हुए ब्यास नदी के किनारे तक जा पहुंचता है। यहां से यह मार्ग व्यास नदी के साथ आगे बढ़ता है और फिर इसका रोमांच भी कई गुना बढ़ने लगता है।
पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा है कि कीरतपुर मनाली फोरलेन का उदघाटन तीन चरणों, कीरतपुर नेरचौक, नागचला से टकोली व आगे मनाली तक का उदघाटन जून के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है जो बिलासपुर या कुल्लू कहीं एक जगह से हो सकता है। उनके अनुसार प्रदेश में इस समय 41 हजार करोड़ के फोरलेन तैयार हो रहे हैं।
अधिकांश मार्ग तैयार हो चुका है
शिमला से मटोर कांगड़ा तक 223 किलोमीटर फोरलेन 8 हजार करोड़, पठानकोट से मंडी 197 किलोमीटर फोरलेन 10 हजार करोड़, परवाणू से ढली तक का 104 किलोमीटर फोरलेन 8 हजार करोड़ से तैयार हो रहा है, जबकि कीरतपुर से मनाली तक 159 किलोमीटर फोरलेन पर 8100 करोड़ का खर्चा हो रहा है। उन्होंने माना कि इसमें सुंदरनगर बाइपास समेत कुछ हिस्सा तैयार होना बाकी है मगर अधिकांश मार्ग तैयार हो चुका है जिसका उद्घाटन जल्द होगा।
फोरलेन सड़कों ने बदली तस्वीर
ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच उपरिगामी पर चलने का आश्चर्यजनक रोमांच तो कहीं हणोगी से झलोगी तक की पांच सुरंगों से गुजरने के आनंद का अनुभव करते हुए एक दम से कुल्लू मनाली घाटी में पहुंचा देता है। चंडीगढ़ से मंडी 200 किलोमीटर और आगे मनाली तक 110 किलोमीटर और यानी 310 किलोमीटर के इस सफर को अब इस फोरलेन ने मनाली तक 49 और मंडी तक 37 किलोमीटर कम कर कर दिया है। साथ ही तंग सड़क, वाहनों का अंधाधुंध रेला और चढ़ाई उतार, सीमेंट से लदे ट्कों की लाइनों से पैदा होती झुंझलाहट अब कहीं नहीं दिख रही। ऐसे में अब इस सफर में थकान नाम की कोई चीज नहीं होती। ऐसा लगता कि यह फोरलेन नहीं नए हिमाचल की तकदीर और तस्वीर है जिससे प्रदेश में पर्यटन को और पंख लगेंगे। आइआइटी मंडी, एम्स बिलासपुर, सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी, मेडिकल कालेज नेरचौक मंडी या अन्य बड़े अदारों में आने वाले अब हिमाचल आने से कतई नहीं हिचकिचाएंगे। अब यह कोई सपना नहीं रहा, हकीकत में बदल गया है।